विशेष केन्द्रीय सहायता योजना की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई बैठक

Update: 2021-06-25 12:29 GMT

रायपुर। विशेष केन्द्रीय सहायता के विषय में अपर सचिव (एलडब्ल्यूई), गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा चार राज्यों-छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र एवं तेलंगाना राज्य के गृह विभाग एवं इनके घोर नक्सल प्रभावित कुल 18 जिलों के जिला कलेक्टरों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा बैठक आयोजित की गई। छत्तीसगढ़ राज्य की ओर से श्री आरके विज (विशेष पुलिस महानिदेशक), अशोक जुनेजा (विशेष पुलिस महानिदेशक), श्री उमेश अग्रवाल, सचिव-गृह विभाग एवं संबंधित जिला-कलेक्टर/डिप्टी कलेक्टर बैठक में उपस्थित हुए। इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में घोर नक्सल प्रभावित आकांक्षी जिलों में अधोसंरचना विकास कार्य एवं मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए केन्द्र सरकार द्वारा दिये गये आर्थिक सहायता पर चर्चा की गई।

राज्य के आकांक्षी जिलों में और अधिक अधोसंरचना विकास कार्य एवं मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु फंड की आवश्यकता को देखते हुए विशेष केन्द्रीय सहायता योजना को निरंतर जारी रखने का अनुरोध किया गया। जिस पर अपर सचिव (एलडब्ल्यूई) गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा राज्य के इस योजनांतर्गत किये गये कार्यों को सराहा गया एवं छत्तीसगढ़ की मांगों के संबंध में चर्चा कर विशेष केन्द्रीय सहायता योजना को निरंतर जारी रखने या अन्य किसी योजना के रूप में घोर नक्सल प्रभावित जिलों को सहायता देने का आश्वासन दिया गया।

घोर नक्सल प्रभावित जिलों हेतु विशेष केन्द्रीय सहायता योजना भारत सरकार की नवीन केन्द्रीय क्षेत्रीय है, जो वर्ष 2017-18 से 2019-20 तक कुल (03) वर्ष के लिए लागू की गई थी। छत्तीसगढ़ राज्य वामपंथ उग्रवाद समस्या से ग्रसित है। राज्य के 14 जिले नक्सल प्रभावित एसआरई जिले हैं, जिनमें से आठ जिले अत्यंत घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र हैं। ये आठ जिले-राजनांदगांव, बीजापुर, बस्तर, दंतेवाड़ा, कांकेर, नारायणपुर, सुकमा एवं कोण्डागांव है। इन आठ जिलों को प्रति वर्ष राशि 33.33 करोड़ प्रति जिला के मान से राशि प्रदान की गई है एवं वर्ष 2020-21 में प्रति जिला राशि 14.25 करोड़ केन्द्रीय सहायता प्रदान की गई है। पूर्व में प्रदत्त राशि का उपयोग सार्वजनिक अधोसंरचना एवं बुनियादी जन सुविधा का सुदृढ़ीकरण जैसे-सड़क, पुल-पुलिया, स्वास्थ्य-पोषण, कृषि, शिक्षा, बिजली, पेयजल आपूर्ति, स्कूल भवन, सामुदायिक भवन, जन जागरूकता, रोजगार प्रशिक्षण एवं पुलिस संसाधनों में वृद्धि आदि कार्यों में किया गया है। जिससे इन आकांक्षी जिलों के जन-जीवन में सुधार एवं जन सुरक्षा में बढ़ोत्तरी हुई है।

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