लोकतंत्र के सेनानियों का योगदान याद किया समाजवादियों ने

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Update: 2024-11-02 18:25 GMT
Bhilai. भिलाई। आचार्य नरेंद्र देव स्मृति जन अधिकार अभियान समिति एवं जयप्रकाश नारायण स्मारक प्रतिष्ठान की ओर से भारतीय लोकतंत्र के सेनानियों पर केंद्रित विशेष परिचर्चा का आयोजन गुरुवार 31 अक्टूबर को किया गया। यह आयोजन समाजवाद के प्रमुख स्तंभ आचार्य नरेंद्र देव और देश के प्रथम गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती तथा देश की भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि के अवसर पर रखा गया था। आयोजन की शुरुआत में आचार्य नरेंद्र देव, सरदार वल्लभभाई पटेल और श्रीमती इंदिरा गांधी के चित्र पर माल्यार्पण करते हुए देश के प्रति उनके योगदान को विशेष रूप से याद किया गया। आयोजक रमेश प्रसाद शर्मा ने कहा कि आज याद की जा रही तीनों विभूतियों ने देश में लोकतंत्र को पुष्पित-पल्लवित करने में अपना अहम योगदान दिया। उन्होंने कहा कि दो-दो यूनिवर्सिटी के बारी-बारी से कुलपति रहे आचार्य नरेंद्र देव ने समाज के अंतिम तबके के लोगों के बारे में सोचा और देश को एक नई दिशा दी। उन्होंने लोह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि देश के प्रथम गृह मंत्री के जन्मदिन पर सतर्कता जागरूकता सप्ताह सरकारी स्तर पर आयोजित किया जाता है लेकिन मौजूदा सरकार में सबसे ज्यादा दुरूपयोग सतर्कता आयोग का हुआ है।


विजिलेंस के होते हुए सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार बढ़ा है। इंदिरा गांधी के बलिदान का स्मरण करते हुए श्री शर्मा ने कहा कि एक साहसी महिला का देश के प्रति योगदान को जानबूझ कर किनारे करने की साजिश में कुछ लोग आज सफल होते जरूर दिख रहे हैं लेकिन आने वाला समय इनकी कारगुजारियों का भी मूल्यांकन करेगा। वरिष्ठ अधिवक्ता जमील अहमद ने कहा कि अंग्रेजी शासन काल में जिस तरह देश ने एकजुटता के साथ आजादी की लड़ाई लड़ी अब वक्त आ गया है कि हम सब वैसे ही
एकजुटता
के साथ समाज में व्याप्त बुराइयों को खत्म करने आगे आए। उन्होंने समाजवादी विचारधारा के प्रसार में आचार्य नरेंद्र देव के योगदान, राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने में सरदार पटेल और सुदृढ़ व सक्षम भारत के निर्माण में इंदिरा गांधी के योगदान का विशेष रूप से उल्लेख किया। एचएमएस के महासचिव प्रमोद कुमार मिश्रा ने कहा कि महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू के बाद आचार्य नरेंद्र देव ने समाजवाद की राह पर चलते हुए देश को एक नई दिशा दी। आज आचार्य नरेंद्र देव के विचार और ज्यादा प्रासंगिक हो गए हैं। इसी तरह सरदार वल्लभ भाई पटेल और इंदिरा गांधी का योगदान भी कभी भुलाया नहीं जा सकता। आयोजन में मुख्य रूप से अरविंद कुमार, कपिल देव प्रसाद, जयराम पासी, मिश्री राम रजकर और श्यामलाल सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
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