महिला को गोबर बिक्री से अब तक हुआ 44 हजार रूपए से अधिक का मुनाफा

Update: 2022-03-17 10:42 GMT

धमतरी: आज गोधन न्याय योजना हितग्राहियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव का बड़ा ज़रिया बन गया है। प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल ने दो साल पहले इस महती योजना की शुरुवात की। तब किसी को यकीन नहीं था कि मवेशियों के गोबर को भी खरीद कर खाद बनाकर बेचने के अलावा अन्य प्रयोजनों में इसका व्यापक रूप से उपयोग किया जाएगा। गोधन न्याय योजना ने मगरलोड के आमाचानी के सीमांत कृषक परिवार में भी ऐसा बदलाव लाया है। सरस्वती बाई साहू बताती हैं कि उनका छोटा सा परिवार खेती-बाड़ी पर निर्भर है। पति याद राम साहू सहित पुत्र महेंद्र, बहु और एक तीन साल का पोता है। अगर कृषि में परिवार संलग्न है, तो वाजिब है घर में पशु भी इसके लिए रखे गए हैं। गोधन न्याय योजना शुरू होने से पहले घर के मवेशियों के गोबर का कोई हिसाब-किताब नहीं था, ना ही गोबर एकत्र करने में कोई खास जतन किया गया। मगर गोधन न्याय योजना शुरू होने से इन मवेशियों के गोबर का महत्व बढ़ गया है। अब वे अपने आठ मवेशियों का गोबर गांव के 'जय शीतला गौठान' में नियमित रूप से बेच रही हैं। इसके एवज में हर 15 दिन में उनके बैंक खाते में पैसे भी समय पर आ जाते हैं।

आमाचानी स्थित जय शीतला गौठान में पहले चरण में जुलाई 2020 में ही गोबर खरीदी शुरू हो गई थी। नतीजन अब तक श्रीमती सरस्वती बाई ने 22 हजार 112 किलो गोबर बेचा और इसके लिए 44 हजार 224 रुपए भी उनके खाते में आ चुके हैं। इस आमदनी ने पूरे परिवार को काफी सुकून दिया। सबसे पहले श्रीमती साहू ने इसका उपयोग जर्सी गाय खरीदने में लगाया। वर्ष 2020 में दीपावली के आसपास उन्होंने एक उन्नत नस्ल की जर्सी गाय खरीदी। यह गाय औसतन 6 से 8 लीटर दूध देती है, जिससे उन्हें मासिक 12 से 14 हजार रुपए की आमदनी हो रही है। इससे बड़ी बात कि ऐसा पहली बार हुआ है कि इस परिवार ने राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत खरीफ वर्ष 2020-21 में आधे एकड़ भूमि का पंजीयन कराया, लेकिन पूरे एक एकड़ में सुगंधित धान 'पूसा बासमती' की फसल उगाई। इसमें गौठान से खरीदे पांच किं्वटल वर्मी खाद का उपयोग कर जैविक तरीके से धान उत्पादित किया। इससे पहली बार 24 किं्वटल बासमती धान की फसल खेत में लहलहाई। सरस्वती बाई के पुत्र महेन्द्र साहू बताते हैं कि यह सुखद अनुभव रहा है, क्योंकि स्थानीय बाजार में ही यह सुगंधित धान हाथों-हाथ बिक गया। हालांकि पूरा धान उन्होंने नहीं बेचा, कुछ अपने घर के लिए भी सहज के रख लिया है। वे खुश होकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का साधुवाद करते हैं, जिनके कारण आज सरस्वती बाई का पूरा परिवार कृषि से हटकर अन्य स्त्रोतों से भी मुनाफा कमा रहा है। क्योंकि कृषि तक सीमित परिवार के आमदनी का दायरा और ज़रिया अब बढ़ गया है।

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