धमतरी: आज गोधन न्याय योजना हितग्राहियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव का बड़ा ज़रिया बन गया है। प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल ने दो साल पहले इस महती योजना की शुरुवात की। तब किसी को यकीन नहीं था कि मवेशियों के गोबर को भी खरीद कर खाद बनाकर बेचने के अलावा अन्य प्रयोजनों में इसका व्यापक रूप से उपयोग किया जाएगा। गोधन न्याय योजना ने मगरलोड के आमाचानी के सीमांत कृषक परिवार में भी ऐसा बदलाव लाया है। सरस्वती बाई साहू बताती हैं कि उनका छोटा सा परिवार खेती-बाड़ी पर निर्भर है। पति याद राम साहू सहित पुत्र महेंद्र, बहु और एक तीन साल का पोता है। अगर कृषि में परिवार संलग्न है, तो वाजिब है घर में पशु भी इसके लिए रखे गए हैं। गोधन न्याय योजना शुरू होने से पहले घर के मवेशियों के गोबर का कोई हिसाब-किताब नहीं था, ना ही गोबर एकत्र करने में कोई खास जतन किया गया। मगर गोधन न्याय योजना शुरू होने से इन मवेशियों के गोबर का महत्व बढ़ गया है। अब वे अपने आठ मवेशियों का गोबर गांव के 'जय शीतला गौठान' में नियमित रूप से बेच रही हैं। इसके एवज में हर 15 दिन में उनके बैंक खाते में पैसे भी समय पर आ जाते हैं।