रायपुर। वायरल रामायण वीडियो को लेकर पंकज कुमार झा ने कहा, जैसा आपका और आपकी पार्टी का रिकॉर्ड रहा है श्रीमान, वैसे में कोई बड़ी बात नहीं कि सुर्खियां बटोरने के लिए खुद ही बनवाया हो और उसका खुद ही विरोध कर हमेशा की तरह नॉन इशू को इशू बनाने में लगे हों।
अगर ऐसा नहीं है, तो आम जनता अपनी तरह से आजकल रचनात्मक अभिव्यक्ति करती है सोश्यल मीडिया पर, इसमें अनावश्यक रूप से किसी ‘टीम’ पर प्रहार करना आपकी विवशता दिखाता है।अगर यह आपकी टीम ने नहीं किया है, तो ऐसी क्रियेटिविटी को अपने विरुद्ध प्राकृतिक न्याय मानकर कृपया सहन कीजिये। भांचा राम आपको सहिष्णु बनायें।
@INCChhattisgarhके तमाम अपराधों को अगर क्षमा भी कर दिया जाय, तो जिस तरह की हरकत आपकी टीम ने अटलजी की स्मृति को बदनाम कर किया था, जिस तरह राज्य निर्माता भारत रत्न का अपमान किया था आपलोगों ने, जिस तरह एक राजनीतिक अभियान के तहत गावों से एकत्र मिट्टी को आपने सत्ता के अहंकार में अटलजी की अस्थि के रूप में दुष्प्रचारित करने की कोशिश की थी, उसके आगे तो ऐसे लाखों वीडियो कम होंगे। अगर यह आपकी टीम का काम नहीं है, तो इसे जनता की ऑर्गेनिक अभिव्यक्ति मानते हुए स्वीकार कीजिए।जहां तक मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का प्रश्न है, तो उसी परम पिता का अंश होने के कारण हम सभी राम होते हैं, अगर वचन निभाने की मर्यादा रखते हों तो। रघुकुल की उस रीत के हम सभी उत्तराधिकारी हैं जहां ‘वचन’ को प्राण से भी अधिक महत्व का समझा जाता है। ऐसा समझने वाले सभी श्रीराम हैं - ईश्वर अंश जीव अविनाशी, चेतन अमल सहज सुखरासी। इसके उलट वचन भंग के अपराधी को समाज रावण समझता है।
अगर तुलना करनी हो, प्रेरणा लेना हो तो अपने आराध्य श्रीराम से ही लेंगे न, रावण से थोड़े ही लेंगे? भारतीय मनीषा यह कहता है कि हम सबके भीतर श्रीराम और रावण, सतो गुण और तमों गुण के रूप में विद्यमान होते हैं। यह हम पर, हमारे कर्मों पर निर्भर करता है कि हम क्या होना चाहते हैं, किनसे प्रेरणा लेना चाहते हैं। भगवान श्रीराम के लिये अनर्गल और अनुचित शब्दों का उपयोग करने वाले संस्कार से यह भाव समझना कठिन है।
जिस पार्टी और इण्डी गठबंधन के नेतागण, परिजन भगवान श्रीराम को अपमानित करते हों, उनके लिए अशोभनीय शब्द उच्चारित करते हों, उनके होने का प्रमाण मांगते हों, सनातन की तुलना घृणित बीमारियों से करते हों, उस समूह के लोगों द्वारा विवशता में ही सही, भांचा श्रीराम का नाम लेना सुखकर है, बशर्ते वह ‘कालनेमि भावना’ से नहीं लिया जा रहा हो। हम सभी ‘राम’ हों, राममय हों, एक-दूसरे में श्रीराम का दर्शन और प्रतीति पाने लगें, ऐसी प्रीति हममें सनातन विचारों के प्रति हो, इससे पुनीत विषय और क्या हो सकता है भला? जल में, थल में, खड्ग खम्ब में
सबमें व्यापित हैं श्रीराम।
आपको श्रीराम महोत्सव की, श्रीअवध में वैभव के संग रामलला के विराजमान होने वाले पुण्य दिवस की शुभकामना। जय सियाराम।
नोट : इस वीडियो से किसी कथित पीआर टीम का लेना-देना नहीं है। भावना आहत हुई हो तो आप न्यायिक उपचार का सहारा ले सकते हैं। इस सरकार का दरवाजा हर प्रार्थी के लिए सदा खुला हुआ है।
जय सियाराम।