युवा नशेडिय़ों को तस्कर गिरोह देता है रंगदारी का प्रशिक्षण
गांजा, अफीम, चरस सहित नशा की दवाई खरीदने कहां से मिल रहा पैसा
अकिफ फरिश्ता
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। राजधानी में नशे का कारोबार बढ़ते जा रहा है। शराब से लेकर ड्रग्स तक की तस्करी रायपुर शहर और उसके आसपास के इलाके में हो रही है। नशा कराने वाले अपना अच्छा-खासा दिमाग लगाकर गाडिय़ों और नशे के सामानों की तस्करी कर रहे है। युवा नशे की गिरफ्त में बुरी तरह फंस चुका है, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। बीड़ी, सिगरेट, तंबाखू, शराब का चलन जोरों पर तो है ही इसके साथ ही साथ सूखा नशा और इंजेक्शन की शक्ल में दवाओं का नशा सबसे बड़ी समस्या बनकर उभर रहा है। सूखा नशा करने वालों का मुंह सूंघकर आप यह पता नहीं कर सकते हैं कि उसने नशा किया है। नशे के लती युवाओं का बर्ताव भी आक्रमक हो रहा है। बात-बात पर लड़ाई झगड़े, मारपीट की घटनाओं में भी तेजी से बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है। अब सवाल यही खड़ा हुआ है कि आखिर इन युवाओं को नशे की सामग्री कहां से मिल रही है और इसको खरीदने के लिए उनके पास रूपए कहां से आ रहे हैं। नशे में डूबी युवा पीढ़ी अब अपराध की अंधी सुरंग की ओर भी अग्रसर होता दिख रहा है।
शराब तस्करी का नया तरीका : अवैध रूप से शराब की खेप को शहर से बाहर ले जाने के लिए नशे के कारोबारियों ने एक नया तरीका निकला है। पुलिस लाइन के आस-पास सफ़ेद रंग की पिकअप में तेल के पैकेट वाले कार्टून में शराब की बोतलों को भरकर तस्करी किया जा रहा है। इसके अलावा वाहनों की सघन चेकिंग में बिना पर्याप्त कारण के पुलिस इन गाडिय़ों को रोक भी नहीं पाती। और अगर कोई चेकिंग में ये गाडी रुक गई तो लाइन की गाड़ी है बोलकर ड्राइवर गाड़ी ले जाता है। जाहिर है यह सुनकर कोई भी यातायात कर्मचारी गाड़ी रोकेगा ही नहीं। शराब और पैसे के दम पर ही शहर में छुटभैय्या नेताओं ने राज किया है और करते जा रहे है।
ठेकों में मासूम गटक रहे हैं जाम
रायपुर शहर के ठेकों में मासूम भी शराब के जाम गटक रहे हैं। यह सब दिन-दहाड़े और शहर के व्यस्त क्षेत्र में हो रहा है। शहर के प्रमुख स्थानों पर शराब के ठेकों की स्थिति यह है कि किसी भी उम्र का किशोर शराब की बोतल खरीदकर ले जा सकता है। शराब लेने के बाद कई किशोर तो इन दुकानों में अंदर बैठकर भी दीवार की ओट में शराब पीते हुए दिखाई देते है। शहर के बस डिपो, माना रोड, अंतर्राज्यीय बस टर्मिनल सहित कई स्थानों किशोर शराब ले जाते हुए मिले।
रायपुर से मुंबई तक फैला नशे का कारोबार
रायपुर में शराब के बाद सर्वाधिक सेवन किया जाने वाला नशा गांजा है। गांजा राजधानी में स्टेशन रोड, लाखेनगर, टिकरापारा, पुरानी बस्ती, खो-खो पारा क्षेत्र में आराम से मिल जाता है। लेकिन गांजा का प्रमुख गढ़ दिल्ली, मुंबई और उड़ीसा है। जिनकी जानकारी पुलिस से भी छिपी हुई नहीं है। गांजे के उपयोग को युवा छुपकर करते थे लेकिन अब युवा पीढ़ी भी खुलकर इसका उपयोग करने लगी है। शहर के रावाभाठा मैदान, अंतर्राज्यीय बस टर्मिनल साहित कई स्थानों पर शाम होते ही युवाओं की टोली एकत्र हो जाती है। इसके साथ उठने लगता है चिलम से धुआं।
पान की दुकान पर मिल रही नशे की टॉफी
रायपुर शहर में पान की दुकानों पर पांच रुपए में नशे की टॉफी का कारोबार किया जा रहा है। सनल और टेन गोली के नाम से बिकने वाली यह गोली शहर की कई दुकानों पर आराम से मिल जाती है। नशे की लत में पड़े युवाओं से बात की गई तो यह चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। अंचल में नशे का कारोबार तय अड्डों पर होता है। नशा खरीदने के लिए भी कोई प्रयास नहीं करना पड़ता। बस थोड़ी सी जानकारी या फिर नशेड़ी के साथ जाने पर आराम से उपलब्ध हो जाता है। नशे की हर किस्म के अलग-अलग कीमत तय है।
अपराध का कारण नशा
शहर में जितने भी अपराध आए दिन हो रहे है। शहरों से लेकर महानगरों में भी बड़े पेशा लोगों में नशेड़ी युवाओं की तादाद बढ़ती दिख रही है जो कि चिंता का विषय माना जा सकता है। ऐसा लग रहा है मानो कानून का इनको कोई भय नहीं रहा। जिले में युवा पीढ़ी के नशे की जद में आने के बाद से अपराधों इजाफा हो रहा है। युवा विभिन्न माध्यमों से नशा कर रहे हैं। पिछले दो सालों के पुलिस आंकड़ों पर गौर किया जाए तो रोड चाकूबाजी से लेकर हत्या तक में युवा अहम रोल में देखे गए हैं। चोरी, डकैती, लूटपाट आदि करना मानों उनका शौक बन गया हो। इन वारदातों में सबसे ज्यादा युवा वर्ग के आरोपी थे। नशे का सबसे आसान तरीका शराब है। सुलोशन को युवा हाथ पर या फिर रुमाल पर लगाकर उसे सूंघते हैं। नशे जद में केवल लड़के ही नहीं, बल्कि लड़कियां बड़े स्तर पर आदी हो चुकी हैं।