छग के जंगलों में तस्करों ने जमाया कब्जा, विभाग मूक दर्शक
भूपेश सरकार को बदनाम करने की साजिश
भ्रष्ट अधिकारियों की मनमानी भाजपा शासन से लेकर आज तक बदस्तूर जारी है
प्यासे वन्यप्राणियों पर ग्रामीणों और तस्करों की नजऱ
बेशकीमती लकड़ी की तस्करी के नए-नए तरीके इजाद
तंत्र-मंत्र या ऊंची कीमत के नाम वन्य प्राणियों का धड़ल्ले से हो रहा अवैध शिकार
भ्रष्ट अधिकारी अपने आपको बचाने छुटभैया नेताओं के साथ मिलकर तस्करी को दे रहे अंजाम
वन्य जीवों से लेकर लकड़ी तस्करों का सुरक्षित अड्डा बना छत्तीसगढ़
पूर्व सरकार के समय से जमे वन विभाग के अधिकारी वन मंत्री को धोखे में रख कर कर रहे गुमराह
ज़ाकिर घुरसेना
रायपुर। छत्तीसगढ़ में जंगलों में वीरप्पाओं ने अपना अड्डा जमा लिया है। लकड़ी और वन्य जीवों की तस्करी के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार है। वहीं अधिकारियों का अमला वनों और वन्य प्राणियों की सुरक्षा में तस्करों के सामने बौना साबित हो रहा है। तस्करों की घुसपैठ के आगे वन्य विभाग नतमस्तक हो चुका है। ऐसे लगता है कि वन विभाग ने तस्करों को मौन स्वीकृति देकर सुरक्षा के नाम पर सिर्फ ढिंढोरा पीट रहा है। बड़े-बड़े अधिकारी भ्रष्टाचार के गले-गले तक फंसे है, अपने को बचाने सरकार के मंत्रियों के छुटभैया समर्थकों को वनों को लूटने की छूट दे दी है ऐसा लगने लगा है।
कंफ्यूजन का मंत्र फूंक रहे हैं अधिकारी
वन विभाग का पूरा अमला जानकारी देने के मामले में सरकार को कंफ्यूज कर रखा हुआ है। सही जानकारी आज तक नहीं दी गई । वन रक्षक रेंजर को कभी भी वनों की सही और स्पष्ट जानकारी नहीं दी। रेंजर भी वन रक्षक के भरोसे वनों की रक्षा कर रहे है। पीसीसीएफ रैंक के अधिकारियों को फुर्सत नहीं की वनों की हालत का जायजा ले सके। उन्हें तो पुराने भ्रष्टाचार को छुपाने और सरकार के मंत्रियों के हाजिरी लगाने से फुर्सत नहीं। सरकार बदलने के बाद वन भी वन विभाग के अधिकारी इधर से उधर होकर मंत्रियों के ईर्द-गिर्द घूमकर छोटे अधिकारियों के ट्रांसफर करने और रोकने से फुर्सत नहीं है। मलाई वाले विभाग के अधिकारी येनकेन प्रकारेण अपने जगह पर हर दो साल में पदोन्नति पाकर अंगद की तरह पैर जमाए हुए है। उनके पुराने कार्यकाल के भ्रष्टाचार पर सरकार की नजर आज तक नहीं पड़ी। अधिकारियों पर पिछले 15 सालों में सैकड़ों भ्रष्टाचार के केस दर्ज होने के बाद भी अधिकारी पूरे ठाठबाट के साथ वन विभाग को गन्ने की तरह चूस रहे हैं । मंत्री और सरकार को सही जानकारी नहीं देकर उन्हें अँधेरे में रखा जाता है।
बेरोकटोक अवैध लकड़ी कटाई एवं शिकार जारी
वनों की बेतहाशा कटाई और अवैध शिकार रुकने का नाम नहीं ले रही है। अवैध लकड़ी तस्कर हुए शिकारी वन विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों से मिलीभगत का फायदा उठाते हुए बेरोकटोक अवैध लकड़ी कटाई एवं अवैध शिकार जारी रखे हुए हैं। तस्करों के जंगलों में अवैध रूप से घुस जाने से वन्य जीवों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। छत्तीसगढ़ के जंगलों में अवैध लकड़ी तस्करो और वन्य जीवों के शिकारियों ने जंगली जीवों का जीना दुश्वार कर रखा है। वन्यप्राणियों को जान बचाने का भी मौका नहीं मिल रहा है। देखा जा रहा है कि जंगल में वन्य प्राणियों का जीवन सुरक्षित नहीं हो सका। लगातार शिकारी और लकड़ी तस्करों के जंगल में अनाधिकृत हस्तक्षेप वन्य जीवों के लिए मौत का फरमान बन चुका है। जंगल वन्य जीवों की शरण स्थली न होकर कब्रगाह बन चुका है। लगातार शिकारियों और लकड़ी तस्करों का हौसला बढ़ते जा रहा है।
बड़े-बड़े मामले में चालान पेश नहीं हुआ
प्रदेश में पिछले दिनों में काफी तादात में वन्यजीवों का शिकार हुआ है, जिसमें तेंदुआ, पेंगोलिन, चीतल, सांभर, भालू, हाथी आदि वन्यजीव शामिल हैं। वन तस्करों पर अपराध दर्ज कर भूल जाना, चालान पेश नहीं कर पाना भी इन अवैध कामों को हौसला देने का काम करता है। वन विभाग कई मामले में अभी तक कोर्ट में चालान पेश नहीं कर पाया है। अधिकारियों की सांठगांठ की वजह से मामला रफा-दफा हो जाता है। जब तक अवैध शिकारियों एवं लकड़ी तस्करों पर शिकंजा नहीं कसा जाएगा सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा।
तस्करों का सुरक्षित ठिकाना छत्तीसगढ़
क्या छत्तीसगढ़ को तस्करों ने सुरक्षित ठिकाना मान लिया है कल पकडे गए दोमुहा सांप अवैध रूप से बिक्री करने वाले आरोपी पिछले ढाई साल से यहाँ किराये का मकान लेकर रह रहे थे और पुताई का काम कर रहे थे। राजधानी में सिविल लाइन पुलिस ने इन्हें दो मुंह वाले सांप की बिक्री करने के आरोप में चार सदस्यों को शुक्रवार को गिरफ्तार किया है। चारों आरोपी केरल के रहने वाले हैं। पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से दोमुंहा सांप बरामद किया है।
विधान सभा और संसद तक में बात उठी
विधान सभा में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा ध्यानाकर्षण के माध्यम से अवैध शिकार और जानवरों के अवशेषों के तस्करी का मामला जोरशोर से उठाया था। लेकिन मामले में कुछ खास और सुखद परिणाम देखने में नहीं आया साथ ही रायपुर के सांसद सुनील सोनी ने भी संसद में इस बात को लेकर सवाल उठाया था कि छत्तीसगढ़ में वन्यजीवों की अवैध शिकार जोरो पर है, इसके बावजूद अधिकारियों की सेहत में कोई फर्क पड़ता नजऱ नहीं आ रहा । अवैध शिकार का दौर थमा नहीं और अब अवैध लकड़ी तस्करों द्वारा लकड़ी कटाई का मामला रोजाना सामने आ रहा है।
वन विभाग को वन्यप्राणियों के लिए जंगल में ही पानी का इंतजाम करना चाहिए ताकि वन्यजीवों को पानी के लिए गावों की तरफ न आना पड़े। अधिकारियों की लापरवाही से वन्यप्राणी बेमौत मारे जा रहे हैं।
- मो. फिरोज
वन्यप्रेमी एवं समाजसेवी
वनग्रामो की बसाहट भी अन्यत्र किया जाना जरुरी
जनता से रिश्ता ने इसके पूर्व भी इस बारे में समाचार छाप चुका है. अब लाख टके का सवाल है वन्यप्राणियों के अवैध शिकार और लकड़ी तस्करों को कैसे रोका जाए। देखा जा रहा है कि वन ग्रामो का बसाहट भी एक प्रकार से इसका जिम्मेदार है। वनग्रामों को जब तक हटाया नहीं जायेगा तब तक शिकार पर प्रतिबंध लगना बेमानी होगी। लकड़ी तस्करी रोकने और वन्यजीवों का अवैध शिकार रोकने कार्ययोजना तो बनती है लेकिन इस कार्य योजना को धरातल पर उतारा नहीं जायेगा तब तक अवैध शिकार और लकड़ी कटाई नहीं रुक सकता। पहले भाजपा सरकार ने एक दो वनग्रामों को हटाया भी था लेकिन अभी इस दिशा में कोई ठोस काम होता नजऱ नहीं आ रहा है।
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