रायपुर। राजधानी रायपुर के एमजी रोड स्थित जैन दादाबाड़ी में 22वें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ जी का जन्म कल्याणक महोत्सव सह खरतरगच्छ सहस्त्राब्दी गौरव वर्ष प्रसंगे भक्ति भाव एवं हर्षाेल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम में भक्त संगीत के सुरों पर श्रावक-श्राविकाएं भावविभोर होकर झूमते रहे। जिनालय भगवान नेमिनाथ के जयकारों से गुंजायमान होता रहा। मंच इंद्र महोत्सव पर आधारित गिरनार मंडप की तरह सजाया गया था और स्नात्र महोत्सव का आयोजन किया गया। इसी के साथ सामूहिक एकासने का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर साध्वी शुभकंरा ने कहा कि तीर्थंकर नेमिनाथ ने राज वैभव और मोह माया को छोड़कर संयम का जीवन अंगीकार किया। ऐसे परम उपकारी परमात्मा का जन्म आज ही के दिन हुआ था। उन्होंने कहा कि सभी को सादगीपूर्वक जीवन जीना चाहिए। शाकाहारी भोजन करना चाहिए। प्रत्येक जीव को जीवन जीने की चाह होती है। जैन धर्म के अनुसार वस्तु का स्वभाव ही धर्म है।
साध्वीजी ने कहा कि प्रत्येक वस्तु का कोई न कोई स्वभाव होता है। जैसे अग्नि का स्वभाव उष्णता है और जल का स्वभाव शीतलता है। प्रत्येक वस्तु अपने मूल स्वभाव को कभी नहीं छोड़ती है। जबकि किसी अन्य वस्तु का संयोग पाकर स्वभाव में परिवर्तन हो जाता है। जब यह संयोग नहीं रहता है तो वह वस्तु अपने मूल स्वभाव में लौट आती है। जैसे पानी का स्वभाव शीतल है। यदि इसे अग्नि का संयोग प्राप्त हो जाये तो इसके स्वभाव में परिवर्तन हो जाता है। इसी प्रकार आत्मा का स्वभाव ज्ञाता दृष्टा है व मूल में शुद्ध है। लेकिन कर्मों के संयोग से यह अशुद्ध होकर संसार में भ्रमण कर रही है। जब कर्मों का संयोग समाप्त हो जायेगा तो यह आत्मा अपने मूल स्वभाव अर्थात् शुद्धता को प्राप्त कर लेगी और सिद्धालय में विराजमान हो जायेगी। महोत्सव के लाभार्थी परिवार स्मृतिशेष मां गुलाबी बाई बुरड़, सीए अश्लेश, अभिषेक जैन, सिविल लाइन रायपुर रहे। कार्यक्रम का संचालन नीलू निम्माणी और शताब्दी जैन ने किया।