शंकराचार्य ने आदिवासियों को किया आगाह, नेताओं के झांसे में ना आए

Update: 2023-05-29 08:19 GMT

रायपुर। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी ने आज रायपुर में प्रेस से चर्चा की। राजनीतिज्ञों द्वारा आदिवासियों के हिंदू नहीं होने संबंधी बयान पर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि, कभी हम भी जंगली थे, आदिवासी-वनवासी थे। धीरे-धीरे जंगल कम हो गए। लेकिन क्या जो वनवासी अब भी जंगलों में रह गए हैं तो क्या वह वनवासी नहीं रह जाएंगे। हम भी उसी परंपरा के हैं। आदिवासियों और हममें कोई अंतर नहीं। शहर में रह जाने से किसी की परंपरा समाप्त नहीं हो जाती।

राजनैतिक लोग हमें बांटने का प्रयास कर रहे हैं। आदिवासी भाइयों को उनके झांसे में नहीं आना चाहिए।छत्तीसगढ़ में मतांतरण पर रोक लगे, हिंदू राष्ट्र का प्रारूप सामने रखेंछत्तीसगढ़ में धर्मांतरण को लेकर शंकराचार्य ने कहा कि, इस पर रोक लगाने की जरूरत है। इन दिनो देशभर में चल रही हिंदू राष्ट्र की चर्चाओं पर उन्होंने कहा कि, हिंदू राष्ट्र की बात करने वालों को जनता के सामने एक प्रारूप रखना चाहिए। लेकिन ऐसा कोई प्रारूप अभी तक किसी ने नहीं रखा है। प्रारूप सामने आए तो गुण-दोष पर विचार किया जा सकता है। केवल नाम सुनने से अनुमान नहीं लगाया जा सकता।

छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण को लेकर शंकराचार्य ने कहा कि, इस पर रोक लगाने की जरूरत है। इन दिनो देशभर में चल रही हिंदू राष्ट्र की चर्चाओं पर उन्होंने कहा कि, हिंदू राष्ट्र की बात करने वालों को जनता के सामने एक प्रारूप रखना चाहिए। लेकिन ऐसा कोई प्रारूप अभी तक किसी ने नहीं रखा है। प्रारूप सामने आए तो गुण-दोष पर विचार किया जा सकता है। केवल नाम सुनने से अनुमान नहीं लगाया जा सकता। शंकराचार्य ने कहा कि, देश की आजादी के समय भी लोगों ने हिंदू राष्ट्र की चर्चा उठाई थी। लेकिन उस समय करपात्री महाराज ने कहा था, हिंदू राष्ट्र से काम नहीं चलेगा, रामराज्य की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि, हिंदू राष्ट्र कहने से वो बात नहीं आती, जो राम राज्य कहने से आती है। हम नए राज्य की स्थापना करना चाहते हैं तो क्यों न हम राम राज्य की बात करें।


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