सरगुजा। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव की कवायद शुरू होते ही भाजपा का संकट बढ़ता नजर आ रहा है. हिन्दू और हिंदुत्व की बात करने वाले भाजपा नेताओं के बयान अब पार्टी के लिये ही मुसीबत बन गये हैं. खासकर आदिवासी वर्ग भाजपा से पूछ रहा है कि वो हिन्दू विरोधी हैं या समर्थक, वो डिलिस्टिंग के पक्ष में है या विरोध में? अगर डिलिस्टिंग भाजपा चाहती है, तो फिर सरगुजा की लुंड्रा विधानसभा से एक ऐसे प्रत्याशी को मैदान में क्यों उतारा है जो समुदाय विशेष से आते हैं. सर्व हिन्दू समाज ने इसका विरोध करते हुए प्रत्याशी बदले जाने की भी मांग की है.
प्रबोध मिंज उरांव समाज से आते हैं. उरांव समाज के साथ ही ईसाई समाज में उनकी अच्छी पकड़ है. इसी वजह से लुंड्रा विधानसभा सीट पर भाजपा पर दोहरी चाल चलने के गंभीर आरोप सर्व हिंदू समाज लगा रहा है. इस समाज का कहना है कि पहले डिलिस्टिंग के नाम पर भाजपा ने हिन्दू आदिवसियों का समर्थन किया और अब वोट बैंक के लिए एक ऐसा प्रत्याशी खड़ा कर दिया जिसकी पकड़ ईसाई समुदाय पर है.
हिदू संगठन से जुड़ी पावन पूर्णाहुति भगत का कहना है, "जब डिलिस्टिंग की बात आई, तो भाजपा के बड़े नेता हमारे आंदोलन में साथ थे. उन्होंने भरोसा दिलाया कि डिलिस्टिंग की मांग ऊपर तक पहुंचायेंगे. संसद में भी 5 भाजपा सांसदों ने डिलिस्टिंग की मांग की. अब लुंड्रा से प्रबोध मिंज को टिकट दे दिया है. यह दोहरा बर्ताव नहीं चलेगा.