गरियाबंद। देवभोग के बरबाहली पंचायत में फिर एक बार पंचायती योजनाओं से उपेक्षित वार्डवासियों ने सोमवार को श्रमदान और चंदे के पैसे से गली की साफ सफाई और मूरुमीकरण कराया है. वार्ड 5 की पंच भानुमति मांझी ने कहा कि बारिश के दिनो में गली में पैदल चलना दूभर हो जाता है. इस मोहल्ले से गांव के लगभग 100 परिवार के सैकड़ों लोगों आना-जाना करते हैं. दो साल से मोहल्ले वासियों की मांग थी, लेकिन पंचायत ने ध्यान नहीं दिया. मोहल्ले के प्रमुख शोभाराम मांझी, करन सिंह पाथर, जयलाल पाथर, कीर्तन पूजी, लक्ष्मण मांझी, लिंगराज पाथर, जुगेश्वर यादव ने मोहल्ले में आपसी चर्चा से श्रम दान और चंदा कर गली की सफाई और मूरमीकरण का फैसला लिया.
सामने नुआखाई का पर्व था, लिहाजा सोमवार से काम शुरू कर मंगलवार को खत्म किया गया. लगभग 250 मीटर गली की पहले फोकलेन से कीचड़ की सफाई की गई. फिर मूरुम डालकर उसे आने जाने लायक बनाया. इस काम में मोहल्ले के हर घर से एक सदस्य ने श्रम दान किया. करीब 35 हजार का खर्च आया. जिसका भुगतान चंदे से किया गया. मामले में पंचायत सचिव कोमर्रा ने कहा कि पंचायत के विकास निधि में स्वच्छता का प्रावधान है. लेकिन मूरुमीकरण का प्रावधान नहीं है. कोई मांग नहीं किया इसलिए कार्य योजना में शामिल नहीं किया काम को. मामले में जनपद सीईओ प्रतीक प्रधान ने कहा कि ग्राम विकास मद में प्राथमिकता से इन कामों को कराया जाना है. लेकिन इसके बाद भी क्यों और कैसे नहीं हो सका इसकी जांच कराएंगे.
वार्ड क्रमांक 5 के जिस गली को आज श्रम दान से सफाई और मरम्मत की गया है, उस गली के मरम्मत और मुरुम ढुलाई के नाम पर तत्कालीन सरपंच सुमित्रा सिन्हा के पति पुनित सिन्हा को 87 हजार का भुगतान किया जा चुका है. मूरुमीकरण को प्रावधान के विपरीत बताने वाले इसी पंचायत सचिव का भुगतान चेक में दस्तखत है. ग्रामीणों ने बताया की गली सफाई, मरम्मत और मूरुमीकरण के नाम पर केवल घपला किया गया है. डेढ़ महीने पहले भी इसी पंचायत के पोडागुरिया पारा और जोरा बंदियापारा की गलियों की मरम्मत ग्रामीणों ने श्रम दान से की थी. महीने भर पहले ही इस पंचायत के सरपंच सुमित्रा को एसडीएम ने बर्खास्त कर दिया था. बेटा, पति, ससुर समेत अन्य रिश्तेदारों को उपकृत करने के आरोप में ये कार्रवाई की गई थी. सरपंच के बर्खास्तगी के बाद उसकी सगी देवरानी ऋतू सिन्हा को सरपंच का प्रभार विधिवत सौंपा गया है. देवरानी वार्ड क्रमांक 4 की पंच थी, पंचो के समर्थन पर उसे प्रभार दिया गया है.