न्यूज़ पोर्टल/वेबसाइट की निगरानी के लिए जल्द बनेंगे नियम

Update: 2021-12-16 05:23 GMT
  1. केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंंत्रालय जल्द गठित करेगी कमेटी
  2. 10 सदस्यों की बनेगी कमेटी - सरकार ने इस मामले पर मानिटरिंग करने के लिए 10 सदस्यों की कमेटी तैयार की है जिसमें आईएंडबी मिनिस्ट्री, विधि, गृह, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी, औद्योगिक नीति और प्रचार विभाग के सचिव शामिल हैं। इस संबंध में पूर्व प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी भी एक बयान दे चुकी है उन्होंने कहा है कि अभिव्यक्ति की आजादी कायम रखना जरूरी है मगर कोई इस आजादी का गलत फायदा उठाएं और दंगा भडक़ाने ऐसा अधिकार भी किसी को नहीं मिलना चाहिए। इसके लिए संतुलन बना रहना बहुत जरूरी है जिसके लिए जल्द से जल्द कदम उठाया जाना भी बहुत जरूरी है।

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। डिजिटल युग में सूचना के अधिकार के दुरुपयोग के रोकने के लिए केंद्र सरकार जल्द ही अब सख्त कदम उठाने की तैयारी कर रही है। हाल ही में सरकार ने एक बयान दिया था जिस पर दिल्ली के प्रशासनिक हलकों के साथ वेब मीडिया में राजनीति गरमाई थी। उस आदेश में कहा गया था कि जो पत्रकार फर्जी खबर लिखने के दोषी पाए जाएंगे उनकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी। इस संबंध में सरकार को काफी किरकिरी का सामना करना भी पड़ा है। मगर अब बहुत ही जल्द सूचना और प्रसारण मंत्रालय इसके लिए एक कमेटी बनाएगी। खबर के अनुसार अभी तक इस संबंध से जुड़ा कोई भी आदेश जारी नहीं किया गया है मगर एक कॉपी इंटरनेट पर वायरल हुआ है उस वायरल हुई इस कॉपी में 4 अप्रैल को प्रसारण मंत्रालय के निदेशक अमित कटोच के हस्ताक्षर हैं। मामला साफ है कि अगर कॉपी वायरल हुई है तो जल्द ही इस पर काम भी किया जाएगा। कॉपी में लिखा गया है कि 'चूंकि ऑनलाइन मीडिया वेबसाइट और न्यूज़ पोर्टल को नियमित करने के लिए कोई नियम या दिशा निर्देश नहीं है इसलिए सरकार की बनाई कमेटी को ऑनलाइन मीडिया न्यूज़ पोर्टल जिस में डिजिटल ब्रॉडकास्टिंग और इंटरटेनमेंट इंफोटेनमेंट न्यूज़ मीडिया कंपनियां शामिल है के लिए नियम कानून बनाने के सुझाव दिए गए हैं।

प्रिंट मीडिया की तरह न्यूज़ पोर्टल के लिए भी नियम कानून जरूरी

4 अप्रैल के आदेश पर गौर किया जाए तो कमेटी का मानना है कि ऑनलाइन सूचना का प्रसार काफी खुला है । न्यूज़ पोर्टल के लिए भी प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की तरह ही नियम और कानून बनाने चाहिए कमेटी ने ऑनलाइन मीडिया, न्यूज पोर्टल और ऑनलाइन कॉन्टेंट प्लेटफॉर्म के 'नीति निर्धारणÓ के लिए सुझाव भी मंगाए हैं।

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दिए गए हलफनामे में कहा कि मुख्यधारा के मीडिया में प्रकाशन और प्रसारण तो एक बार का काम होता है, लेकिन डिजिटल मीडिया की व्यापक रूप से भारी संख्या में पाठकों तक पहुंच है। इसमें वाट्सऐप, ट्विटर, फेसबुक जैसे कई इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों के कारण वायरल होने की संभावना रहती है।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए स्टैंडर्ड तय करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। इस बीच केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। केंद्र ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ( न्यूज चैनलों) से पहले डिजिटल मीडिया को देखना चाहिए।

केंद्र ने कहा कि पहले से ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया के संबंध में पर्याप्त रूपरेखा और न्यायिक घोषणाएं मौजूद हैं। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मामलों व मिसालों से संचालित होता है। लिहाजा पहले डिजिटल मीडिया पर काम करना चाहिए। इसलिए सुप्रीम कोर्ट को मीडिया के लिए दिशा-निर्देश जारी करने से लिए एमिकस क्यूरी या समिति के गठन की कवायद नहीं करनी चाहिए।  

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