सड़क का वर्क ऑर्डर 70 करोड़ का, भुगतान हुआ 94 करोड़...!

Update: 2021-12-08 05:08 GMT
  1. 10 किमी सड़क निर्माण में सीजीआरडीसी की लापरवाही, अफसरों ने छत्तीसगढ़ को भ्रष्टाचार का चारागाह बनाया
  2. भाजपा शासन काल से आज तक विभाग में जमे हुए हैं आईएफएस अधिकारी अनिल रॉय
  3. प्रतिनियुक्ति के नाम से जमे सभी अधिकारी अपने मूल विभाग में वापस जा चुके हैं, लेकिन ढ्ढस्नस् अनिल रॉय अभी तक टस से मस नहीं हुए
  4. ऐसी क्या खूबी है ढ्ढस्नस् अधिकारी अनिल रॉय में जो अंगद की पैर की तरह जमे हुए हैं
  5. ऐसे कई फर्जी कार्य है जिनके काम नहीं किये गए लेकिन पैसे निकाल लिए गए जो बिना अधिकारियों के संलिप्तता के नहीं हो सकता है।

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। अंबिकापुर शहर के लिए बने रिंग रोड में 94 करोड के घोटाला में ढ्ढस्नस् अधिकारी एमडी अनिल राय एवं निर्माणकर्ता ठेकेदार सहित अन्य अधिकारियों के विरुद्ध प्रथम सूचना दर्ज करने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अंबिकापुर ने आदेश जारी किया है।

अंबिकापुर निवासी डी के सोनी अधिवक्ता एवं आरटीआई कार्यकर्ता से मोबइल पर हुई चर्चा अनुसार उनके ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज तिवारी ने अंबिकापुर में बने रिंग रोड में घोटाला, गड़बड़ी, फर्जीवाड़ा करने काफी घटिया एवं गुणवत्ता विहीन स्टीमेट एवं ड्राइंग डिजाइन के विपरीत तथा वर्क आर्डर आदेश से Óयादा राशि का भुगतान करने तथा शासकीय राशि का गबन करने का अपराध करने के संबंध में संलग्न ठेकेदार एवं अधिकारियों के विरुद्ध प्रथम सूचना पत्र करने हेतु धारा 156/3 के तहत मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अंबिकापुर के न्यायालय में 5000 पेजो के दस्तावेज के साथ परिवाद प्रस्तुत किया गया था जिसमें सुनवाई करते हुए दिनाक 1/12/21को रिंग रोड में संलग्न अधिकारियों और ठेकेदार जिसमे आइएफएस अधिकारी अनिल राय,एमडी सीजीआरडीए, रायपुर जी एस सोलंकी, महाप्रबंधक, मानसिंह ध्रुव, परियोजना प्रबंधक, सचिन शर्मा,प्रबंधक वित्त, निशेस भट्ट, आहरण एवं सवितरण अधिकारी, रश्मि वैश्य, उप परियोजना प्रबंधक, अभिषेक विश्वकर्मा, सहायक परियोजना प्रबंधक, सुनील कुमार पांडेय, टीम लीडर, सुशील अग्रवाल, ठेकेदार, राहुल सोनी,प्रबंधक ए आरसी टेस्टिंग दिल्ली, शंकर अग्रवाल के विरुद्ध प्रथम सूचना पत्र दर्ज कर अंतिम प्रतिवेदन दिनाक 7/1/21तक प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया है।

क्या है मामला ?

छगशासन लोक निर्माण विभाग मंत्रालय रायपुर द्वारा आदेश क्रमांक 1703/689/2017/19/तक-3 रायपुर दिनांक 27/4/2017 के माध्यम से प्रबंधक संचालक छग सड़क विकास निगम लिमिटेड रायपुर को अंबिकापुर रिंग रोड के सुदृढ़ीकरण एवं उन्नयन कार्य के लिए 9757.49 लाख रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई है जिसके उपरांत छत्तीसगढ़ रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड रायपुर द्वारा आदेश क्रमांक 1864/सीजीआरडीसी/2017, रायपुर दिनांक 21/7/2017 के माध्यम से श्री किशन एवं कंपनी 4/12 श्री टावर, फस्र्ट फ्लोर शांति नगर रायपुर को अंबिकापुर रिंग रोड के निर्माण हेतु वर्क आर्डर जारी किया गया था उक्त है रिंग रोड को 0 किलोमीटर से 10.808 किलोमीटर तक का रोड 1 वर्ष की अवधी में निर्माण करना था, वर्क आर्डर 70,60,06,250/-रुपए स्वीकृत की गई थी।

1 साल का काम 3 साल में नहीं हुआ पूरा उसमे भी कई अनियमितता

अंबिकापुर के रिंग रोड निर्माण प्रारंभ हुए लगभग 3 वर्ष से काफी समय हो गया और ठेकेदार की समयावधि समाप्त हो गई लेकिन आज दिनांक तक रिंग रोड कम्पलीट नहीं हो पाया है। रिंग रोड को पूरा नहीं करने के कारण ठेकेदार द्वारा गारंटी अवधि को समाप्त करने का भी खेल खेला जा रहा है कि जितनी गारंटी अवधि है उतने समय निर्माण कार्य में लगा दिया जाए कि जितनी गारंटी अवधि है उतने समय निर्माण कार्य में लगा दिया जाए जिससे कि गारंटी अवधि समाप्त हो जाए और जमा सिक्योरिटी राशि लेकर मामला रफा-दफा कर दिया जाए।

पेटी कांट्रैक्टर को काम देने से हो रहा घटिया निर्माण

उक्त कार्य श्री किशन एंड कंपनी को दिया गया है लेकिन श्री किशन एंड कंपनी के द्वारा स्वयं कार्य न करके उक्त रिंग रोड को पेटी कॉन्ट्रैक्ट पर सूरजपुर के ठेकेदार शंकर अग्रवाल प्रो0 जगदंबा कंस्ट्रक्शन को दे दिया गया है जिसके कारण भी उक्त कार्य काफी घटिया स्तर का कराया गया है एवं जो ड्राइंग्स डिजाइन स्वीकृत हुई थी उसके अनुसार कार्य नहीं किया गया है।

किन गड़बडिय़ों पर है आरोप?

रिंग रोड के लिए जो प्रशासकीय स्वीकृति की गई है तथा किस-किस कार्य को करना है उसकी जानकारी सूचना के अधिकार के तहत आवेदक को दिनांक 3/10/2019 को प्राप्त हुई है जिसमें सभी कार्यों का उल्लेख तथा उक्त कार्य के लिए कितनी राशि लगाना है का भी उल्लेख किया गया है उक्त कार्य जो स्वीकृत हुए हैं उनमें से बहुत से कार्य ठेकेदार द्वारा अधिकारियों से मिलकर रिंग रोड में नहीं कराया जिसका मौके पर भौतिक सत्यापन करने से स्पष्ट हो जाएगा इसमें भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता नहीं होने का लेख किया गया है। उक्त रिंग रोड बनने से दुर्घटना की कमी होगी का भी उल्लेख किया गया है इसके अलावा रोड को 4 वर्ष तक देख-रेख करना है पूर्ण होने के बाद से लेकिन अभी कार्य पूरा हुआ नहीं है और रिंग रोड की हालत खराब हो गई है। उसके संबंध में जांच कर दोषी के विरुद्ध अपराध पंजीबद्ध किया जाना आवश्यक है। क्योंकि शासकीय राशि का गबन करना अपराधिक कृत्य की श्रेणी में आता है।

अंबिकापुर के रिंग रोड में आज दिनांक तक विभाग द्वारा ठेकेदारों को दिनांक 4/10/2019 तक कुल 94,08,56,752/- करोड रुपए का भुगतान किया जा चुका है जबकि वर्क आर्डर 70,60,06,250/-रुपए स्वीकृत किया गया था और भुगतान 94,08,56,752/- करोड़ रुपए का कर दिया गया जोकि 23,48,50,502/-रुपए का अधिक भुगतान अधिकारियों से मिलीभगत कर किया गया है तथा शासकीय राशि का खुले रूप से गबन है जो कि एक अपराधिक कृत्य है इसलिए संबंधित के विरुद्ध प्रथम सूचना दर्ज किए जाने का आवेदन दिया गया था

बिना कार्य किये ही हो गया भुगतान

ठेकेदार द्वारा रिंग रोड में जो कार्य नहीं कराया गया है और उसकी राशि निकाल ली गई है जैसे रिंग रोड के दोनों तरफ 3.5-3.5 फीट का फुटपाथ बनाना था मौके पर नहीं बनाया गया है उसके लिए 5 करोड़ 27 लाख का प्रावधान था उसे भी ठेकेदार निकाल लिया है तथा नाली के ऊपर फुटपाथ दिखाया गया है जबकि ड्राइंग डिजाइन में नाली अलग है, फुटपाथ अलग है उसकी राशि निकाल ली गई है। जितनी मोटाई की ढलाई सड़क की करनी थी वह नहीं किया गया है स्टीमेट के अनुसार जितनी ढलाई करनी थी वह नहीं किया गया है। स्टीमेट के अनुसार 8 कलवर्ट बॉक्स का निर्माण होना था, 9 बड़े जंक्शन का प्रावधान था, 20 छोटे जंक्शन भी बनने का प्रावधान था जो कि मौके पर नहीं बनाया गया है उसकी राशि भी निकाल ली गई है। फर्जी तरीके से मेजरमेंट बुक भरा गया है उक्त मेजरमेंट में मेजरमेंट दिनांक एवं मेजरमेंट करने वाले अधिकारी का हस्ताक्षर नहीं है। ड्राइंग डिजाइन के अनुसार पाइप लाइन बिछाया जाना था जिससे कई तरह के वायर का विस्तार होता है लेकिन रिंग रोड के बीच में जो डिवाइडर बना है उसमें कहीं भी पाइप लाइन नहीं है बिजली के खंभे के तार भी मिट्टी में दबाकर लगाया गया है। उसकी भी राशि ठेकेदार अधिकारियों से मिलीभगत कर निकाल लिया है। प्रोटेबल बेरीकेट लगाना था जिसे नहीं लगाया है। उसकी राशि भी प्राप्त कर लिया है। रिंग रोड के दोनों तरफ कर्फ विथ चैनल बनाने का प्रावधान था जो कि मौके पर नहीं बनाया गया है उसकी भी राशि 76,79,150/- रुपए भी निकाल लिया गया है। रोड में 6 बार पेंट करना है तथा एरो का निशान बनाना है जिसकी राशि 5,53,380/- रुपए भी निकाल लिया गया है मौके पर कोई कार्य नहीं कराया गया है। स्टीमेंट की कंडिका 16, 17 एवं 18 के अनुसार 10 बड़े बोर्ड साइन तथा 455 छोटे साइन बोर्ड लगा था जिसकी राशि 703410/- रुपए का प्रावधान था उक्त राशि निकाल ली गई है और मौके पर नहीं लगाया गया है।

स्टीमेट के अनुसार पाइप डक्ट रोड के एक छोर से दूसरे छोर तक बनाना था रिंग रोड में 109 जगह बनाने का प्रावधान था तथा नालियों में यूटिलिटी डालनी थी जिससे वायर डालने में काम आ सके। तथा डिवाइडर के बीचो-बीच पाइप लाइन डालना था। जिससे वायर डालने, पानी पाइप लाइन डालने का काम आता। लेकिन उपरोक्त कार भी ठेकेदार द्वारा नहीं किया गया है उसकी भी राशि निकाल ली गई। नाली का डेनेज डिजाइन के अनुसार नहीं बनाया गया। तथा रिंग रोड के नाली को क्रॉस बनाना था रिंग रोड को कहीं भी क्रॉस नहीं बनाया गया है जिससे बरसात के दिनों में नाली में पानी भर जाता है। उक्त कार्य की भी पूरी राशि निकाल ली गई है। मिशन चौक के पास नाली गलत तरीके से बनने से नाली को तोडऩा पड़ा।

रिंग रोड में स्टील रेलिंग बनाने का प्रावधान किया गया है जिसके लिए 52,36,000 आवंटित था तथा उक्त राशि भी बिना कार्य कराएं निकाल लिया गया। रिंग रोड के साइड के दीवारों में पेंटिंग करने का भी प्रावधान था जो नहीं कराया गया है। रिंग रोड के डिवाइडर को 80280 रनिंग मीटर बनाना था हर 25 मीटर पर 366 जगह सपोर्ट बिम डालना था जिसका साइज 70 सेंटीमीटर 20/15 देना था उसके लिए 13980191 का प्रावधान था उक्त राशि भी बिना कार्य कराए निकाल लिया गया है।

रिंग रोड डिवाइडर में 65 लाख का पौधारोपण करना था जो नहीं किया गया है। रिंग रोड के पार्थवे के दोनों साइड फुल,झडिय़ां, पौधारोपण करना था इसके अलावा 14624 मीटर हेज लगाना था जिसके लिए 24,56,832/-रुपए का प्रावधान था उक्त कार्य भी नहीं किया गया है। पौधों के लिए लगभग 3-4 करोड रुपए की राशि ठेकेदार द्वारा निकाली गई लेकिन मौके पर पौधारोपण नहीं किया गया। रिंग रोड की समयावधि 30 वर्ष की है जो की डीपीआर में उल्लेख है लेकिन रिंग रोड अभी पूर्ण हुआ नहीं है और जगह-जगह क्रैक आना चालू हो गया है क्योंकि रिंग रोड में सीवीआर सब ग्रेड घटिया क्वालिटी का डाला गया है उसके लिए 4 करोड़ की राशि अलग से निकाल लिया गया है। रिंग रोड की डीपीआर के अनुसार कार्य नहीं किया गया है।

पुलिस में नहीं हुई सुनवाई तो कोर्ट का खटखटाया दरवाजा

उपरोक्त तथ्यों के अलावा अन्य तथ्यों का उल्लेख शिकायत आवेदन थाना अमिबकापुर में तथा पुलिस अधीक्षक सरगुजा को किया गया था लेकिन थाना अंबिकापुर और पुलिस अधीक्षक द्वारा कोई कार्यवाही नहीं करने के कारण वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज तिवारी के माध्यम से डी0के0 सोनी अधिवक्ता ने ठेकेदार तथा रिंग रोड निर्माण में संलग्न सभी अधिकारियों के विरुद्ध शासकीय राशि का षडयंत्र पूर्वक योजनाबद्ध तरीके से गबन करने के संबंध में न्यायालय में अपराध पंजीबद्ध किए जाने हेतु दिनाक़ 7/10/21को आवेदन प्रस्तुत किया गया था जिसमे दिनाक 1/12/21 को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी महोदय अंबिकापुर द्वारा डीके सोनी के आवेदन को स्वीकार कर रिंग रोड में संलग्न अधिकारियों और ठेकेदार के विरुद्ध प्रथम सूचना पत्र दर्ज कर अंतिम प्रतिवेदन दिनाक 7/1/22तक प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अफसर भी काट रहे चांदी

छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना अधिकारियों और ठेकेदारों के लिए धन कमाने का सबसे आसान रास्ता बना हुआ है। सड़कों के निर्माण में भ्रष्टाचार और घटिया निर्माण को लेकर लगातार मिल रही शिकायतों और धरातल भी सड़कों की हालत देखकर भी आज तक न ही सरकार और न ही संबंधित विभागों ने कभी किसी शिकायत को गंभीरता से ली है और न ही केन्द्र सरकार के नोडल अधिकारी और हर तीन महीने में निर्माणाधीन सड़कों की मानिटरिंग करने वाले गुणवत्ता निरीक्षक ही सड़कों की भौतिक सत्यापन कर घटिया निर्माण और गड़बडिय़ों को लेकर अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की है। परिणाम राज्य में इस योजना के तहत बनाई गई हजारों किलोमाटर की पक्की और कांक्रीट सड़कें भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई हैं। सारे नियम-कायदों को ताक पर रखकर गुणवत्ताहीन सड़कों का निर्माण किया गया है। सड़क निर्माण में न तो ग्रेडिंग किया गया है और न लेबल मिलाया गया है। जिससे नवनिर्मित सड़कें उबड़-खाबड़ हैं और धसने लगी हैं। सड़क निर्माण में अधिकारियों की मिलीभगत से ठेकेदारों ने भारी लापरवाही की है। गरियाबंद जिले में जिस तरह की सड़कों का निर्माण हुआ कमोबेश पूरे राज्य में इस योजना के तहत सड़कों का यही हाल है। सरकार और विभाग ने जहां बजट जारी कर टेंडर की प्रक्रिया के बाद अपनी आंखें मूंद लीं वहीं मैदानी स्तर पर तैनात अधिकारियों ने ठेकेदारों के साथ मिलकर योजना की राशि की जमकर लूट की और यह बदस्तूर जारी है। गरियाबंद के देवभोग ब्लाक में जिस अधिकारी ने पिछले 25 सालों से अपने पांव जमा रखे हैं उसने ने सिर्फ अपने अधिकार क्षेत्र में अपितु राज्य के दूसरे क्षेत्रों में भी अपना दबदबा बना रखा है उसके संरक्षण में अधिकारी-ठेकेदार भ्रष्टाचार का खुला खेल खेल रहे हैं। सरकार-मंत्री से बेखौफ उक्त अधिकारी का जादू उच्चाधिकारियों पर भी ऐसा चलता है कि विभाग में उसने अपना सिक्का जमा लिया है। सूचना के अधिकार के तहत न संबंधित कार्यालय और न ही मुख्यालय से भी सही जानकारी उपलब्ध नहीं कराई जाती।

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