महासमुंद। सरायपाली विधानसभा के अंतिम छोर पर वनांचल क्षेत्र से घिरा हुआ सरगुनाभाटा का आश्रित गांव डीपापारा जहां अब तक विकास नाम की चिड़िया नहीं पहुंच पाई है। विकास के दावों को झुठलाता डीपापारा गांव जहां के नदी में अब तक पुल नहीं बन पाया है, ग्रामीण जान जोखिम में डालकर नदी पार करते हैं। अंचल के स्कूली बच्चे समय पर स्कूल नहीं पहुंच पाते है।
आजादी के 75 वर्ष साल बाद भी सरगुनाभाटा डीपापारा गांव में न सड़क बन पाया है न नदी में पुल, जहां लगभग 30 से 40 परिवार के 200 लोग निवासरत है और वहां कुछ भी मूलभूत सुविधा उपलब्ध नहीं है, जिसके चलते ग्रामीणों को आने जाने में बहुत ही परेशानी होती है। भारी बरसात में एक गांव से दूसरे गांव जाने के लिए संपर्क टूट जाता है।
बच्चों की पढ़ाई भी दांव पर लग जाती है। आंगनबाड़ी में जाने वाले छोटे-छोटे बच्चे और मिडिल और हाई स्कूल में पढ़ने वाले स्कूली बच्चे भी इसी नदी पर बांस का बना कच्चे पुल पर से अपनी जान जोखिम में डालकर पुल पार कर दूसरे गांंव पढ़ने स्कूल जाते हैं। यहां की ग्रामीणों को यह डर हमेशा सताती है कि कहीं नदी पार करते समय उनके बच्चे और उनके साथ कोई अनहोनी घटना ना हो जाए।