कोरबा। साउथ इस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) की गेवरा व दीपका खदान से कोयला परिवहन लगे भारी वाहनों के आवागमन से प्रदूषण फैल रहा है। कोयला व सड़क की धूल उड़ कर कालोनी तक पहुंच रही है। इससे नाराज महिलाओं ने कालोनी से गुजरने वाली सड़क में खड़े होकर जाम लगा दिया। जानकारी मिलते ही एसईसीएल के अधिकरी स्थल पर पहुंचे और पानी छिड़काव का आश्वासन देने के बाद आंदोलन खत्म कराया।
दोनों खदान से रोड सेल के माध्यम से कोयला भेजा जाता है। प्रतिदिन लगभग 600 वाहनों की आवाजाही होती है। वाहनों के आवागमन की वजह से सड़क में गिरे कोयला की डस्ट उड़ कर कालोनी में घुसती है। गर्मी के दिनों में पानी का छिड़काव नहीं होने से समस्या बढ़ गई है। इससे कालोनी में निवासरत महिलाओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। बुधवार की शाम ऊर्जानगर कालोनी की महिलाओं ने अचानक मार्ग में पहुंच वाहनों की आवाजाही रोक दी।
इससे वाहनों की लंबी कतार लग गई। आंदोलन की सूचना मिलते ही महाप्रबंधक खनन एसपी भाटी स्थल पर पहुंचे और महिलाओं से चर्चा कर समझाइश देने का प्रयास किए, पर महिलाएं अपनी मांग पर अड़ी रहीं और वाहनों के परिचालन पर रोक लगाने की मांग की। बाद में महाप्रबंधक भाटी ने आश्वस्त किया कि रोड सेल से लोडिंग का कार्य बंद कर रहे हैं और स्प्रिंकलर्स के माध्यम से पानी नियमित छिड़काव कराया जाएगा। इसके बाद महिलाओं के तेवर शांत हुए और आंदोलन समाप्त किया।
इसके साथ ही एसईसीएल प्रबंधन ने राहत की सांस ली। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि गेवरा व दीपका प्रबंधन गर्मी के दिनों में पानी का छिड़काव सड़क पर कराते हैं, पर कुछ देर बाद रोड सूख जाती है। कोयला लोड मालवाहकों के आवागमन से पुनः धूल उड़ने लगती है और कालोनी में धुंध छा जाता है। इससे कालोनीवासियों को घर बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। वहीं घरों में रखा सामान खराब हो जाता है।
इसके पहले प्रगति नगर के लोगों ने भी थाना चौक के पास चक्का जाम कर विरोध जताया था, उस वक्त भी त्रिपक्षीय वार्ता के बाद लोग शांत हुए थे। उर्जानगर की महिलाओं के सड़क जाम किए जाने से प्रबंधन की नींद उड़ गई थी। बताया जा रहा है कि उक्त मार्ग से एसईसीएल के सीएमडी डा प्रेमसागर मिश्रा का काफिला गुजरने वाले था और आंदोलन की वजह से मार्ग अवरूद्ध होने पर आवागमन बाधित होता, पर इसके पहले ही महिलाओं को समझाइश देकर आंदोलन समाप्त करा दिया गया।