छुटभैय्ये नेताओं के संरक्षण में हुआ चावल घोटाला

Update: 2023-05-16 05:26 GMT

राज्य सरकार ने कराया सत्यापन, 165 करोड़ की वसूली शेष

पीडीएस दुकानों में नहीं मिले 65,000 मीट्रिक टन चावल

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के 5127 करोड़ के कथित चावल घोटाले के आरोप की हकीकत कुछ और है. सरकार से मिली जानकारी के अनुसार, ई-पॉस उपकरण के जरिए किए गए सत्यापन में पाया गया कि 65,000 मीट्रिक टन चावल पीडीएस दुकानों में उपलब्ध नहीं है. इसमें से लगभग 15,000 टन चावल की वसूली भी की जा चुकी है. शेष लगभग 50,000 टन चावल की वसूली की कार्रवाई की जा रही है, जिसका कुल अनुमानित मूल्य 165 करोड़ रुपए है. पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने आरोप लगाया है कि राज्य को वर्ष 2020 से वर्ष 2022 के मध्य प्रधानमंत्री गरीब अन्न कल्याण योजनार्न्तगत 38 लाख टन चावल प्राप्त हुआ था जिसमें से 15 लाख टन चावल वितरित न कर राज्य में 5127 करोड़ का चावल घोटाले के कथित चावल घोटाले का आरोप लगाते हैं. जबकि सरकार से मिली जानकारी के अनुसार, प्रधानमंत्री गरीब अन्न कल्याण योजनार्न्तगत वर्ष 2020 से 2022 के बीच केंद्र सरकार से मात्र 28.10 लाख टन चावल प्राप्त हुआ था, जिसके विरुद्ध 27.61 लाख टन चावल का उठाव किया गया था.

शेष लगभग 50,000 टन चावल की सब्सिडी राज्य सरकार द्वारा केंद्र सरकार से क्लेम नहीं की गई है। जानकारी के अनुसार, राज्य सरकार सितम्बर 2022 में स्वत: ही ई-पॉस उपकरण के माध्यम से सभी पीडीएस दुकानों के खाद्यान्न का सत्यापन का कार्य आरंभ किया गया. सभी दुकानों के सत्यापन में यह पाया गया कि 65,000 मीट्रिक टन चावल दुकानों में उपलब्ध नहीं है. जिसकी शासन द्वारा तत्काल वसूली की कार्रवाई आरंभ की गई. 65,000 मीट्रिक टन का मूल्य लगभग 210 करोड़ मात्र होती है। बताया गया कि वर्तमान स्थिति में लगभग 15,000 टन चावल की वसूली भी की जा चुकी है. साथ ही 208 उचित मूल्य दुकानों का आबंटन निरस्त किया जा चुका है, तथा 22 उचित मूल्य दुकानों के विरुद्ध पुलिस में एफआईआर दर्ज की गई है. शेष चावल लगभग 50,000 टन की दोषी व्यक्तियों से वसूली के लिए आरआरसी जारी किया जा रहा है, जिसमें से 21,000 टन का आरआरसी जारी किया जा चुका है। बता दें कि वर्ष 2004 से 2015 के बीच हुए नान घोटाले में हजारों करोड़ों रुपए के घोटाले की बात एसीबी की ओर से कही गई थी. इसके अलावा वर्ष 2013 में विधानसभा चुनाव के पूर्व के महीनों में राज्य में 12 से 15 लाख फर्जी राशन कार्ड बनाने की बात कही गई थी, जिसके जरिए लगभग 2,000 करोड़ का चावल उठाने की बात कही गई थी. विधानसभा चुनाव के कुछ माह पूर्व स्वयं सरकार की ओर से इन राशन कार्डों को निरस्त करना आरंभ किया गया था। 

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