डीएमओ आफिस से सांठगांठ कर कार्रवाई से बचने कर रहे फर्जीवाड़ा
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। रायगढ़ जिले के दो बड़े राइस मिलर्स द्वारा कार्रवाई से बचने तथा मिलिंग के लिए ज्यादा समय अर्जित करने के लिए बाकायदा कलेक्टर कार्यालय से सांठगांठ कर अपनी बैंक गारंटी की वैधता बढ़ाकर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। दोनों राइस मिलर्स ने एक माह के लिए जारी बैंक गारंटी की वैधता तीन महीने के लिए बढ़ाकर सरकार को चूना लगा रहें हैं। दरअसल इन राइस मिलर्स द्वारा तय समय में संबंधित एजेंसियों को मिलिंग का धान उपलब्ध नहीं कराया गया है। समय पर चावल उपलब्ध नहीं कराने वाले मिलर्स पर जिला कलेक्टर कार्रवाई करते हैं। कार्रवाई के तहत उन्हें ब्लेक लिस्ट करने के साथ उनकी बैंक गारंटी भी जब्त की जा सकती हैं। इस तरह की कार्रवाई से बचने के लिए ही राइस मिलर्स इस तरह का फर्जीवाड़ा करते हैं। इसी तरह की फर्जीवाड़ा रायगढ़ के सत्यम बालाजी और जय भवानी राइस मिल बरमकेला के संचालकों द्वारा डीएमओ आफिस के अधिकारी-कर्मचारियों के सांठगांठ से करने मामला सामने आया है। दोनों ही मिलर्स ने अपने एक महीने के लिए जारी बैंक गारंटी की वैधता फर्जीवाड़ा करते हुए तीन महीने के लिए बढ़ाकर प्रस्तुत किया, जिससे वे किसी तरह की कार्रवाई से न सिर्फ बचे रहे बल्कि मिलिंग के लिए भी इन्हें दो महीने का अतिरिक्त समय मिल सके।
जनता से रिश्ता को मिले दस्तावेज के अनुसार उपरोक्त दोनों फर्मो ने रायगढ़ के डीएमओ आफिस से मिलीभगत कर एक माह के लिए जारी बैंक गारंटी को तीन माह के लिए लगाया है। जिसमें आशंका जताई गई है कि इस काम में डीएमओ रायगढ़ और लेखाशाखा द्वारा मिलर्स से लाखों रुपए का लेनदेन किया गया है। इस तरह एक माह के लिए जारी बैंक गारंटी को तीन माह की वैधता दिखाकर यदि मिलर्स चावल जमा नहीं करता तो शासन को करोड़ों का नुकसान होगा। हालाकि जनता से रिश्ता डाक के माध्यम से मिले दस्तावेजों को किसी भी आधार पर प्रमाणित नहीं करता। सरकार और संबंधित विभाग को मिलर्स की बैंक गारंटी की पड़ताल कर इस तरह के फर्जीवाड़े पर रोक लगाना चाहिए।
डीएमओ आफिस की मिलीभगत से बैंक गारंटी की वैधता बढ़ाई
कस्टम मिलिंग के लिए सत्यम बालाजी राइस मिल रायगढ़ जिसका पंजीयन क्रमांक एमए 411774 है को चार बैंक गारंटी क्रमश: 152GT02212140006, 152GT02212140007, 152GT02212140008 (प्रत्येक 70,000,00 रुपए) तथा 152GT02212140009 ( 50,000,00 रुपए) की एचडीएफसी बैंक रायगढ़ तथा जय भवानी राइस मिल बरमकेला जिसका पंजीयन क्रमांक एमए 515716 को तीन बैंक गारंटी क्रमश: 152GT02212140001, 152GT02212140002, 152GT02212140003 (प्रत्येक 1,00,00,000 रुपए) एचडीएफसी बैंक रायगढ़ द्वारा एक महीने की वैधता 02/08/2021 एवं 01/09/2021 के साथ जारी किए गए हैं। उक्त मिलर्स द्वारा इन सभी बैंक गारंटी की वैधता डीएमओ आफिस के अधिकारी-कर्मचारी के सहयोग से फर्जी तरीके से 31/10/2021 और 01/11/2021 तक बढ़ा दी गई। दरअसल जिले में इन्हीं दोनों राइस मिलर्स को ही सर्वाधिक मात्रा में कस्टम मिलिंग का चावल उपलब्ध कराना शेष है जिसके लिए कार्रवाई से बचने इस तरह का फर्जीवाड़ा किया जा रहा है।
अधिकांश मिलर्स ने तय समय में चावल की नहीं की मिलिंग
राज्य में किसानों से खरीदे गए धान को खरीदी केन्द्रों से उठाकर मिलिंग पश्चात चावल उपार्जित करनी वाली एंजेसियों को उपलब्ध कराने के लिए राइस मिलों को अधिकृत किया जाता है। जिन राइस मिलों को कस्टम मिलिंग की अनुमति प्राप्त होती है उन्हें खरीदी अथवा संग्रहण केन्द्रों से धान उठाकर तय मात्रा में मिलिंग कर चावल राज्य सार्वजनिक वितरण एंजेंसी और एफसीआई को उपलब्ध कराना होता है। वर्ष 2020-21 के लिए मिलर्स को कस्टम मिलिंग का चावल 30 जून तक संबंधित एजेंसियों को उपलव्ध कराना था लेकिन इसके बाद भी राज्य के प्राय: सभी जिलों में राईस मिलरों ने तय समय में न तो अपने हिस्से के धान उठाए और न ही एजेंसियों को मिलिंग कर चावल उपलब्ध कराया। जिला कलेक्टरों ने बड़ी संख्या में कस्टम मिलिंग में लापरवाही बरतने वाले राइस मिलर्स पर कार्रवाई की है कई ब्लैकलिस्ट भी किए गए हैं। इसके बावजूद कई राइस मिलर्स कार्रवाई से बचने जुगाड़ का रास्ता निकाल ही लेते हैं। ऐसे कार्यो में उन्हें सिस्टम का भी साथ मिलता है।
प्रदेश भर में सैंकड़ों मिलर्स पर हुई कार्रवाई
तय समय में धान का उठाव कर मिलिंग नहीं करने वाले सैंकड़ों मिलर्स पर प्राय: सभी जिलों में कार्रवाई हुई है। अकेले रायपुर जिले में ही 114 मिलर्स को कलेक्टर ने ब्लैक लिस्ट करने नोटिस जारी किया था। कवर्धा, महासमुंद, धमतरी, सरगुजा सहित अनेक जिलों में कई मिलर्स के खिलाफ कार्रवाई कर जुर्माना किया गया है कुछ के बैंक गारंटी भी सीज किए गए हैं। इस तरह की कार्रवाई से बचने के लिए ही कुछ मिलर्स जिला कार्यालय के संबंधित विभाग के अधिकारियो-कर्मचारियो से सांठगांठ कर फर्जीवाड़ा को अंजाम दे रहे हैं। बड़े जुर्माने अथवा बैंक गारंटी डूबने से बचाने के लिए मिलर्स अधिकारियों-कर्मचारियों की मिलीभगत से इस तरह का खेल कर रहे हैं जिसकी जांच करने पर बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हो सकता है।