कांकेर। कांकेर के मेडिकल कॉलेज में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के करीब 300 पदों की भर्ती पर लगी रोक को हाईकोर्ट ने हटा दिया है। इससे अब कॉलेज में नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। आरक्षण नियमों को चुनौती देने वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद यह व्यवस्था दी है। दरअसल, राज्य शासन की ओर से पिछले साल 2022 में कांकेर के मेडिकल कॉलेज में 300 से अधिक रिक्त पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया था, जिसमें स्टाफ नर्स के साथ ही टेक्निशियन, वार्ड बॉय सहित अन्य पद शामिल थे। इस भर्ती में राज्य शासन ने आरक्षण रोस्टर 50 फीसदी से ज्यादा लागू किया था, जिसे सुखमती नाग सहित अन्य ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने आरक्षण को लेकर नया आदेश जारी किया है, जिसके अनुसार 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं देने का आदेश दिया गया है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने भी आरक्षण रोस्टर पर स्पष्ट आदेश दिया है, जिसके मुताबिक 50% से ज्यादा आरक्षण देना अवैधानिक है याचिका में बताया गया है कि राज्य शासन ने इन भर्तियों में 58% से ज्यादा आरक्षण लागू किया है, जिसके कारण सामान्य वर्ग के साथ ही दूसरे वर्ग के उम्मीदवारों को भर्ती से वंचित होना पड़ेगा। यह याचिका हाईकोर्ट में लंबित थी। इसी बीच आरक्षण को लेकर साल 2012 से चल रही याचिका पर हाईकोर्ट का फैसला आ गया और राज्य शासन की ओर से जारी आरक्षण नियम को निरस्त कर दिया गया। बीते 6 फरवरी को हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई हुई, इस दौरान याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला दिया। तब प्रारंभिक सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सभी नियुक्तियों पर रोक लगा दी थी।
इस प्रकरण में याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट विवेक रंजन तिवारी व अनीश तिवारी ने पक्ष रखा। वहीं राज्य सरकार की ओर से उप महाधिवक्ता संदीप दुबे ने पक्ष रखा। उन्होंने स्थगन आदेश के विरुद्ध आवेदन प्रस्तुत किया और बताया कि बस्तर संभाग के लिए अलग आरक्षण का प्रावधान है। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने उस प्रावधान को निरस्त नहीं किया था। उन्होंने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने एक मई को राज्य में चल रही सभी विभागों की नियुक्ति पर आगे की कार्रवाई जारी रखने का आदेश पारित किया है और नेशनल मेडिकल काउंसिल की ओर से जल्द ही शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय कांकेर का निरीक्षण किया जाना है, जिससे अगले वर्ष चिकित्सा शिक्षा में व्यवधान न हो। दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट के जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की सिंगल बेंच ने स्टाफ नर्स के 2 पदों को रिक्त रखने के साथ ही अन्य पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया है।