बुकिंग रद्द कराने पर पंजीयन शुल्क राजसात कर रहा आरडीए

Update: 2020-10-19 06:29 GMT

इंद्रप्रस्थ फेस-2 में तीन साल बाद भी नहीं मिला फ्लैट का पजेशन

आरडीए की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे हितग्राही

इएमआई के साथ हाउस रेंट का भी उठाना पड़ रहा है बोझ

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। रायपुर विकास प्राधिकरण अपनी लेट-लतीफी और मनमाने रवैये से हितग्राहियों के लिए लगातार परेशानी का सबब बन रहा है। कमजोर और निम्न वर्ग के लोग प्राधिकरण के हाउसिंग प्रोजेक्ट में घर का सपना लेकर अपनी गाढ़ी कमाई से जैसे-तैसे रुपए बचाकर मकान या फ्लैट का पंजीयन कराते हैं लेकिन योजनाओं में लेट-लतीफी और अनियमितता के कारण उनका घर खरीदने का सपना मुसीबत बन रही है। किराए के मकानों में रहकर घर के लिए निवेश करने वाले लोगों के लिए आरडीए पर भरोसा दोहरी मार साबित हो रही है। इसके इतर भी आडीए कई योजना से पंजीयन रद्द कराने वाले लोगों के साथ भी जुल्म कर रहा है। पंजीयन रद्द कराने पर 10-15 फीसदी राशि काटकर पंजीयन शुल्क लौटाने का प्रावधान है लेकिन आरडीए ऐसे कई पंजीयन रद्द कराने वालों को राशि लौटाने के बजाय राजसात होने का फरमान सुनाकर पंजीयन शुल्क हड़प ले रहा है। आरडीए के इस रवैए से हितग्राहियों में काफी रोष है।

पंजीयन शुल्क कर रहे राजसात : आरडीए अपने मनमाने रवैए से भी हितग्राहियों को लुटने में लिप्त है। लोगों जहां जैसै-तैसे रकम जोड़कर अपने लिए एक छोटा सा मकान-फ्लैट खरीदना चाहता है वहीं आरडीए ऐसे हितग्राहियों के साथ अन्याय करने से भी गुरेज नहीं कर रहा है। जनता से रिश्ता को जानकारी मिली है कि आरडीए पंजीयन रद्द कराने वाले हितग्राहियों के पंजीयन लौटाने की जगह उक्त राशि को ही राजसात कर रहा है। हालाकि ऐसा करने का अधिकार प्राधिकरण को नहीं है। अगर कोई हितग्राही अपना पंजीयन रद्द कराना चाहता है तो 10-15 फीसदी रकम काटकर पंजीयन शुल्क का शेष रकम लौटाने का प्रावधान है, ऐसे में सवाल ुउठता है कि आखिर किन नियमों के तहत हितग्राही का पंजीयन शुल्क लौटाया नहीं जा रहा है। एक हितग्राही ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उसने आरडीए के कमल विहार व बोरिया खुर्द में फ्लैट के लिए पंजीयन कराया था। अब वह बोरिया खुर्द हाउसिंग योजना का पंजीयन रद्द कराने के लिए आवेदन लगाया है लेकिन आज तक उसका पंजीयन शुल्क लौटाया नहीं गया है,पूछने परा आरडीए के अधिकारी पंजीयन शुल्क राजसात होने की बात कह रहे हैं।

इंद्रप्रस्थ फेस-2 में लेट-लतीफी से हितग्राही परेशान : इंद्रप्रस्थ योजना के तहत फ्लैट्स के लिए पूरी किश्त जमा करने और तीन साल की मियाद पूरी होने के बाद भी हितग्राहियों को पजेशन नहीं दिया जा रहा है। इसके चलते हितग्राहियों को लोन की प्री-इएमआई के साथ मकान किराए की दोहरी खर्च की मार झेलनी पड़ रही है। ऊपर से जीएसटी का बोझ भी सिर पर है। पीएम आवास योजना की सब्सिडी का लाभ भी आज तक इस योजना में फ्लैट खरीदने वाले किसी हितग्राही को नहीे मिला है। आरडीए के कुप्रबंधन के चलते दो हजार से ज्यादा लोग प्रभावित हैं और आर्थिक परेशानी उठाने मजबूर हैं। इस योजना में ज्यादातर हितग्राहहियों ने बैंक से फाइनेंस कराया है, जिसमें बैंक के जरिए आरडीए के खाते में फ्लैट्स की राशि भेजी जा चुकी है। वहीं अब आबंटितों की किश्तें बैंकों में चल रही हैं। फ्लैट्स में किश्तें देने के बाद हितग्राहियों को वर्तमान में घर का किराया भी देना पड़ रहा है। पीएम आवास योजना के अनुसार इस योजना में ऐसे अभ्यर्थियों को पात्र किया गया है, जिनके पास स्वयं का पक्का मकान नहीं है। इस प्रोजेक्ट में अभी भी 20-30 फीसदी काम शेष है, बिल्डिंग खड़ी कर रंग-रोगन कर दिया गया है जबकि दरवाजे, खिड़कियां, बाथरूम की फिटिंग्स जैसे कई काम बाकी हैं।

दिसंबर-19 में मिलना था पजेशन : वर्ष 2016 में बुकिंग, लाटरी व आबंटन सूची जारी करने के बाद तीन साल में प्रोजेक्ट पूरा कर फ्लैट का पजेशन साल 2019 के अंत तक देने का लक्ष्य था लेकिन आरडीए की कुप्रबंध और देरी की वजह से 2020 के अंत तक भी हितग्राहियों को पजेशन मिल पाएगा इसमें भी संदेह है। कोविड-19 की वजह प्रोजेक्ट को पूरा करने चार महीने का अतिक्ति समय मिला है, फिर भी कास की गति में कोई तेजी नहीं आई है।

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