कर्ज से उबरने हितग्राहियों की जेब काट रहा आरडीए

Update: 2022-02-17 06:00 GMT
  1. 15 सालों तक हितग्राहियों को ब्रोशर में सब्जबाग दिखा कर बेचता आ रहा गुणवत्ताहीन फ्लेट
  2. कर्ज में डूबी रायपुर विकास प्राधिकरण छटपटा रही है कर्ज मुक्ति के लिए
  3. आरडीए और हितग्राहियों में गुणवत्ता को लेकर विवाद जो आज तक नहीं सुलझा
  4. सरकार बदलने के बाद भी आरडीए की हालत नहीं सुधरी
  5. गुणवत्ताहीन निर्माण को लेकर हितग्राहियों ने पैसा जमा नहीं किया
  6. आरडीए की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे हितग्राही

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। रायपुर विकास प्राधिकरण ने बिना प्लानिंग के धड़ाधड़ बैंकों से लोन लेकर अनाप-शनाप प्रोजेक्ट बनाकर गुणवत्ता का ध्यान रखे बहुमंजिला प्लेट तान दिए जो पिछले 18 सालों से बनकर तैयार खड़े है लेकिन बिके नहीं, जो बने-बने जीर्णशीर्ण हालात में पड़े है। इन सभी प्रोजेक्टों के लिए आरडीए ने जो बैंकों से कर्ज लिए वह दस गुने बढ़ गए है। आरडीए कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है। कहीं-कहीं पर तो बैंक ने किस्त नहीं जमा करने पर आरडीए बहुमंजिला प्रोजेक्ट का कुर्की करने अधिग्रहण भी कर लिया है।

आरडीए का विवादों से रहा है पुराना नाता

आरडीए अपने कारगुजारियों से हमेशा सुर्खियों में रहा है। हाल ही में एक मामला बांबे मार्केट का आया है जिसमें आरडीए ने 30 साल पहले बिना स्वामित्व वाले नाले में दुकान बनाकर आवंटित कर दिया और दुकानदारों से पिछले 15 सालों से किरायाभाड़ा वसूलते रहा, अब उसने किराएदारों को नोटिस जारी कर दुकान की रजिस्ट्री के लिए दबाव बनाना शुर कर दिया है जिसके खिलाफ दुकान के किराएदारों ने मोर्चा खोल दिया है। आरडीए के पास इस दुकान का ले-आउट और नक्शा तक नहीं है। उसकी रजिस्ट्री के लिए किराएदारों को नोटिस पर नोटिस देकर दुकानदारों को बेदखल करने का फरमान जारी कर दिया है।

राजधानी में बने सभी प्रोजेक्ट फेल

आरडीए पिछले 18 सालों से राजनेताओं के लिए दुधारू गाय बना हुआ है, जिस किसी पार्टी की सरकार आती है उसके तथाकथित नेता पदाधिकारी बनकर आरडीए का शोषण और दोहन करते है। राजधानी में अब तक की आरडीए की बनी सभी प्रोजेक्ट राजनेताओं की कमाई की जरिया बनने के कारण बहुत सारी योजनाएं पूरी तरह फेल हो गई। आरडीए के बनाए सभी मकान, दुकान, फ्लेट अनियमितताओं की शिकार होकर बिक नहीं पाई, आरडीए में काबिज नेता और अधिकारी अपने ही परिजनों के नाम से प्राइम लोकेशन वाले आरडीए की प्रापर्टी खरीदते रहे जिसके कारण पीछे की मकान-दुकान और फ्लेट आज तक नहीं बिक सकी जिसका खामियाजा आरडीए को भुगतना पड़ रहा है, आज अरबों रुपए की कर्जदार होकर प्रापर्टी को बचने के लिए छटपटा रही। सामान्यजनों ने तो आरडीए के प्रोजेक्ट से हाथ ही जोड़ लिया है। एक तरह से माना जाता है कि आरडीए की संपत्ति वहां के अधिकारियों और मनोनीत पदाधिकारियों की जागीर है, उसका उपयोग आमजनता के योग्य नहीं है। विवादित संपत्ति मामले के साथ कर्ज में डूबने से लोगों की आरडीए पर विश्वसनीयता नहीं रही। आरडीए अपने कारगुरियों से हितग्राहियों को सिर्फ और सिर्फ नुकसान ही पहुंचाता रहा है। जिसके कारण कई प्रोजेक्टों के प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है।

इंद्रप्रस्थ योजना के तहत फ्लैट्स के लिए पूरी किश्त जमा करने और तीन साल की मियाद पूरी होने के बाद भी हितग्राहियों को पजेशन नहीं दिया गया था, जिसके चलते हितग्राहियों को लोन की प्री-इएमआई के साथ मकान किराए की दोहरी खर्च की मार झेलनी पडी़ थी। ऊपर से जीएसटी का बोझ अलग है। पीएम आवास योजना की सब्सिडी का लाभ भी आज तक इस योजना में फ्लैट खरीदने वाले किसी हितग्राही को नहीं मिला है। आरडीए के कुप्रबंधन के चलते दो हजार से ज्यादा लोग प्रभावित हैं और आर्थिक परेशानी उठाने मजबूर हैं। एक ओर योजना में लगी निर्माण एजेंसी फंड जारी करने में आरडीए द्वारा की जा रही लेट-लतीफी को प्रोजेक्ट पूरा होने में देरी की वजह बता रहे हैं वहीं केन्द्र की इस महती योजना को लेकर राज्य सरकार की उदासीनता भी देरी की मुख्य वजह है।

दुकानदार बेरोजगार होने की स्थिति में

बाम्बे माकेर्ट में 1972 में बनी 25 दुकान जो 120 वर्गफीट में बनाई गई है। इनको आरडीए ने पहले छोटे कारोबारियों को किराए पर दिया गया है और दुकानदार समय पर किराया भी पटा रहे हैं। लेकिन आरडीए दुकानों का मेंटेनेेंस कराने के बजाए अपने फायदे के लिए विभाग के कुछ तथा कथित लोग अधिक दर पर लीज कर देने की प्रक्रिया कर रहे हैं। जबकि दुकानदार किसी प्रकार के विवाद में नहीं है। दूसरी ओर रायपुर निगम और स्मार्ट सिटी के कई प्रोजेक्ट पर दस साल के भीतर काम होना तय है। इसे देखते हुए यहां के दुकानदार असमंजस में है। एक तरफ रोजगार बचाने की और दूसरी तरफ बाद में बेरोजगार होने की स्थिति बनने वाली है।

आरडीए की मनमानी से बांबे मार्केट के दुकानदारों पर बेरोजगारी का खतरा

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा गरीब, किसान, व्यवसायी को खुशहाल देखने की है, वहीं आरडीए व्दारा उनके मंसा में पानी फेरकर गरीब दुकानदारों परेशान करने का काम भी आरडीए कर रहा है। बांबे मार्केट के दुकानदारों ने कहा कि रायपुर विकास प्राधिकरण के द्वारा बाम्ब मार्केट योजना के अंतर्गत निर्मित दुकानो में हम लोग विगत 30-35 वर्षों से भाड़ाकाय के आधार पर दुकानों का स्वामित्व प्राप्त कर अपना अपना व्यवसाय कर रहे हैं। यहां रायपुर विकास प्राधिकरण के द्वारा कुल लगभग 56 दुकानें निर्मित की गई थी जो कि वर्तमान में अत्यधिक जीर्ण शीर्ण तथा जर्जर अवस्था में ढांचा मात्र है जिसमें से दुकान क्र. डी सीरीज की कुल 25 दुकाने ऐसी दुकाने हैं जो कि नाले के ऊपर बनी है जिसके नीचे से शहर का गंदा नाला बना रहता है। रायपुर विकास प्राधिकरण के द्वारा इन सभी दुकानों का पुन: विक्रय किया जा रहा है। हम सभी विगत 30 वर्षों से लीज डीड पर है किन्तु रायपुर विकास प्राधिकरण के के द्वारा इस प्रकाशित विज्ञापन के पश्चात हम सभी व्यापारियों में अपने व्यवसाय से वंचित होने तथा दुकानों के स्वामित्व का आधार समाप्त हो जाने का भय व्याप्त हो गया है।

रायपुर विकास प्राधिकरण के द्वारा नाले के ऊपर बनी हुई इन डी सीरीज में बनी सभी दुकानों के नीचे एक बड़ा नाला बहता है जिसमें शहर की सारी गंदगी बहती है इस नाले के ऊपर उक्त दुकानों को प्राधिकरण के द्वारा बनाया गया है। वर्तमान में इन डी सीरीज की सभी दुकानों की हालत अत्यधिक जर्जर हो चुकी है तथा मात्र ढांचा स्थित है। जिसमें किसी तरह हम लोगों के द्वारा अपने स्वयं के खर्च पर रखरखाव मरम्मत तथा रंग रोगन आदि किया जाता है तथा अपने जीवन यापन हेतु दुकानों का संचालन किया जा रहा है। दुकानों के नीचे बनी इन नालों को समय समय पर नगर निगम के द्वारा सफाई किया जाता है चुकि हमारी डी सीरीज की दुकानों के नीेचे कोई भूमि नहीं है। तथा नीचे में बहती हुई नाले के साफ सफाई अथवा बारिश के समय जलभराव की स्थिति में कभी भी हमारे दुकानों को नगर निगम के द्वारा तोड़ा अथवा हटाया जा सकता है जिससे हम सभी पर अपने व्यवसाय से वंचित कर दिए जाने की आशंका हमेशा बनी हुई है। रायपुर विकास प्राधिकर के द्वारा अब उक्त दुकानों को अवैधानिक रूप से दीगर व्यक्ति को फ्री होल्ड में विक्रय किए जाने का विज्ञापन समाचार पत्र में प्रकाशित होने से हम सभी व्यवसायी अपने दुकानो से बेदखल किए जाने की आशंका से ग्रस्त है। चूंकि हम सभी पुराने दुकानदार है। इसलिए उक्त स्थिति में हम सभी नाले के ऊपर बनी डी सीरीज के दुकानदारों को रायपुर विकास प्रधिकरण के द्वारा कहीं अन्यत्र व्यवसाय हेतु दुकान आबंटित किया जावे जिससे कि हम सभी अपने दुकानों का संचालन सुचारू रूप से जारी रख सके।

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