महिला के पेट में मिला दुर्लभ स्टोन बेबी, मेकाहारा के डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर निकाला बाहर

Update: 2021-07-29 12:08 GMT

रायपुर। पं. जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में आए एक जटिल केस में टीम ने सफल ऑपरेशन किया है। अपने आप में बेहद दुर्लभ एवं जटिल किस्म के इस केस को मेडिकल जर्नल में प्रकाशन के लिए मरीज के परिजनों से स्वीकृति ले ली गई है। मेडिकल कॉलेज में भविष्य में चिकित्सा छात्रों के अध्ययन के लिए भी परिजनों की स्वीकृति पर स्टोन बेबी को सुरक्षित रख लिया गया है। दरअसल गरियाबंद निवासी एक 26 वर्षीय महिला को कुछ दिनों पूर्व पेट में दर्द और पेट में पानी भरने के कारण सूजन एसाइटिस की समस्या के कारण भर्ती किया गया था हुई। जांच में महिला के पेट में दुर्लभ लिथोपेडियन का पता चला,जिसे स्टोन बेबी भी कहा जाता है।

स्त्री एवं प्रसूति रोग विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. ज्योति जायसवाल के नेतृत्व में स्टोन बेबी को बाहर निकालने के लिए पेट की सर्जरी की गई। करीब सात महीने के विकसित दुर्लभ स्टोन बेबी (मृत) को बाहर निकाला गया। सर्जरी के बाद महिला के पेट की परेशानी खत्म हो गई इसलिए अब वह डिस्चार्ज लेकर घर जाने को तैयार है। विभागाध्यक्ष डॉ. ज्योति जायसवाल के मुताबिक बच्चेदानी के बाहर पेट यानी एब्डोमन में भ्रूण का विकास होकर स्टोन बेबी में बदल जाने की स्थिति बहुत ही दुर्लभ है। इस प्रकार के केस का प्रकाशन (पब्लिकेशन) भी मेडिकल जर्नल में बहुत ही कम देखने को मिलता है।

उन्होंने बताया कि लिथोपेडियन या स्टोन बेबी तब बनता है जब गर्भावस्था, गर्भाशय के बजाय पेट में (एब्डामिनल प्रेगनेंसी) होती है। जब यह गर्भावस्था अंतत: विफल हो जाती है। भ्रूण के पास पर्याप्त रक्त की आपूर्ति नहीं होती है तो शरीर के पास भ्रूण को बाहर निकालने का कोई तरीका नहीं होता है। नतीजन, शरीर अपनी स्वयं की प्रतिरक्षा प्रक्रिया का उपयोग करके भ्रूण को पत्थर में बदल देता है जो शरीर को किसी भी ऐसी विदेशी वस्तु से बचाता है जिससे शरीर को कोई नुकसान न हो। ऊतकों का इस प्रकार का कैल्सिफिकेशन मां को संक्रमण से बचाता है। कई बार इससे शरीर को कोई नुकसान नहीं होता लेकिन कई बार इसके पेट के अंदर रहने के कारण दूसरी समस्याएं भी जन्म लेने लगती हैं।

महिला के पेट में थे दो बेबी,15 दिन पहले हुई थी नॉर्मल डिलीवरी :

गरियाबंद में महिला की 15 दिन पहले नॉर्मल डिलीवरी हुई थी। महिला ने लगभग साढ़े सात महीने के एक अत्यंत कम वजनी एवं अपरिपक्व जीवित शिशु को जन्म दिया था। शिशु उपचार उपरांत भी नहीं ठीक हो पाया और उसकी मृत्यु हो गई। इस प्रकार महिला के पेट में दो बेबी थे। एक जो बच्चेदानी (यूट्रस) के अंदर सामान्य शिशुओं की तरह पल रहा था और जीवित जन्म लिया और दूसरा बच्चेदानी के बाहर एवं पेट (आंत व आमाशय के आसपास) के अंदर स्टोन (मृत) में तब्दील हो चुका था।

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