तीन साल की मासूम से किया दुष्कर्म, 50 वर्षीय वृद्ध को मिली आजीवन कारावास

छत्तीसगढ़

Update: 2022-03-08 16:10 GMT

अंबिकापुर। अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट पूजा जायसवाल की अदालत ने मिठाई देने के बहाने तीन साल की मासूमपर लैंगिक हमला करने के आरोप पर पचास वर्षीय आरोपित शंकर गुप्ता को मृत्यु पयर्त आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। घटना सरगुजा के गांधीनगर थाना क्षेत्र में बीते 27 जून 2018 को हुई थी। विशेष लोक अभियोजक रीता सेन ने बताया कि घटना दिवस 27 जून 2018 की शाम आरोपित के घर कोई नहीं था। पीड़िता के पिता भी कोरबा गए थे।

उसकी मां घरेलू कार्यो में व्यस्त थी। रोज की तरह पीड़िता घर के बाहर खेल रही थी। आरोपित शंकर गुप्ता ने तीन साल की मासूम को मिठाई देने का झांसा दिया था। उसे अपने घर ले जाकर आरोपित ने लैंगिक हमला किया। पीड़िता ने रोते हुए अपनी मां को सारी बातें बताई थी। अगले दिन शिकायत पर पुलिस ने अपराध दर्ज कर आरोपित शंकर गुप्ता को न्यायालय के निर्देश पर जेल दाखिल करा दिया था। विशेष लोक अभियोजक रीता सेन ने बताया कि प्रकरण में बाल साक्षी के रूप में पीड़िता का भी बयान हुआ था।

प्रकरण के सारे तथ्यों की सुनवाई और पर्याप्त साक्ष्यों के आधार पर अदालत ने आरोपित शंकर गुप्ता को दोषी पाया। आरोपित शंकर गुप्ता को धारा 376 के तहत आजीवन कारावास जो अभियुक्त के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास अभिप्रेत होगा से दंडित किया है। 

इस धारा में पांच हजार अर्थदंड के अलावा धारा 342, 354, 324,लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम की धाराओं के तहत भी कारावास व अर्थदंड की सजा सुनाई है। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी। अर्थदंड के व्यतिक्रम में दी गई सजा को मूल सजा के पश्चात एक के बाद एक भुगतना होगा। अदालत ने पीड़िता को समुचित प्रतिकर दिलाए जाने की भी अनुशंसा की है।

बच्चों के साथ किया गया दुष्कर्म एक क्रूर अपराध है। दुष्कर्म का अपराध हर अवसर पर और बिना किसी अपवाद के, शक्ति का अपराध है ना केवल वासना का और जब एक तीन वर्ष के मासूम बच्चे के साथ किया जाता है तो वह एक अत्यंत क्रूर अपराध बन जाता है। कोई भी सहानुभूति या दया जो भी हो, ऐसे कार्य के अपराधी के प्रति नहीं दिखायी जा सकती है, विशेषकर जब अपराधी अपने पूरे होशो हवास में हो और ऐसा कृत्य करे।

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