रायपुर: नकली उत्पादों के जद में प्रदेश...उपभोक्ताओं को व्यापारी दे रहे जहर

Update: 2020-11-03 04:52 GMT

डूमरतराई, गोलबाजार, गुढिय़ारी में रोज दिवाली, उपभोक्ताओं का निकल रहा दिवाला

कैलाश यादव

रायपुर। दुनिया में जब से बाजार अस्तित्व में आया, तब जरूरत की सामग्री वस्तु विनियम से होता था, जैसे-जैसे पढ़ाई-लिखाई के साथ आबादी बढ़ी जरूरत की सामग्री की मांग बढ़ती गई। आज भी दूरस्थ ग्रामीण अंचलों में वस्तु विनियम वाले बाजार अस्तित्व में दिखाई देते हैं। आधुनिकता की होड़ और व्यापार में प्रतिस्पर्धा की दौड़ में कम पूंजी लगाकर ब्रांडेड कंपनियों की जगह उनके मिलते जुलते हमनाम या उसी उत्पाद का हूबहू नकली उत्पाद बनाकर बेचने का दौर शुरू होते ही बाजार में कालाबाजारियों का कब्जा हो गया। 1984-85 में टीवी युग की शुरूआत के साथ ही मार्के ट में अपने उत्पाद का एकाधिकार जमाने मारकाट वाली प्रतिस्पर्धा उद्योगपतियों में शुरू होते ही उपभोक्ताओं को नकली सामान बेचने का दौर शुरू हो गया। अब तो बाजार में उपलब्ध असली और नकली वस्तु में पहचान करना असंभव हो गया है। कंपनियों के एमआरपी के रेट पर शान से ब्रांडेड खाने-पीने-पहनने के दौर में उपभोक्ताओं को नकली सामान बेचकर डिस्ट्रीब्यूर्स, होलसेलर, फुटकर व्यापारी करोड़ों का टर्न ओव्हर कर रहे है। बाजार में हर सामान का सब्सिट्यूट उपलब्ध है, नामीगिरमी कंपनियों के माल में दाम के हिसाब से कई क्वालिटी है,जिसमें ए,बी,सी ग्रेड के उत्पाद की पहचान डिस्ट्रीब्यूटर्स ही

कर सकते है। उपभोक्ता की खरीदी पावर के हिसाब से माल खपाया जाता है। यदि उपभोक्ताओं ब्रांडेड ही चाहिए तो क्वालिटी और क्वांटिटी में अंतर बता दिया जाता है।

आजादी के 35 साल बाजार के साथ शहरों को आबाद होने में लगे, उसके बाद मार्केट में जो प्रतिस्पर्धा का दौर चला वह अब मारकाट स्पर्धा बनकर सामने आ गया है। पिछले 45 सालों से उपभोक्ता और उत्पादक के बीच में नकली उत्पाद के जद में आम उपभोक्ता फंस चुका है। इस नकली उत्पाद के जाल से निकलने के सरकारी और निजी स्तर पर सतर्कता के बाद भी असल-नकल की जाल से नहीं निकल पा रहा है। बाजार में तो धड़ल्ले से नकली सामान खपाने का ऐसा दौर चल रहा है कि अच्छे जानकार बी असली-नकली में पहचान नहीं कर पा रहे है। उपभोक्ताओं के डिमांड पर कम रेट में ब्रांडेड कंपनियों का उत्पाद कैसे बेचा जा सकता है। क्या व्यापारी को उत्पादक कंपनियों ने इतनी मार्जिन दे रखी है कि उनके लिखे एमआरपी की दर से भी कम दर पर उत्पाद बेचा जा सकता है। जिससे फुटकर विक्रेता को पर्याप्त मुनाफा मिल सके। ब्रांडेड कंपनियां 10-20 दिनों की क्रेडिट देता है, जबकि डिस्ट्रीब्यूर्स थोक व्यापारियों 30-45 दिनों का क्रेडिट का लालच देकर नकली उत्पाद खपाया जा रहा है। उत्पाद ले जाने वाला व्यापारी भी लालच में आकर नकली माल को ही असली समझ कर बेच रहा है और उपभोक्ता भी उसे असली उत्पाद समझ कर अमृत की जगह धीमा जहर का सेवन कर रहा है। या यो कहे कि नकली उत्पाद खरीद कर अपना नुकसान कर रहा है।

सबसे ज्यादा नकली इलेक्ट्रिक उत्पाद में : चाइनीज उत्पाद तो कोरोना के बाद आना बंद हुआ है। लेकिन उसके पहले भी ब्रांडेड कंपनियों के नाम वाले नकली उत्पाद इलेक्ट्रिक मार्केट में धड़ल्ले से बिकता रहा है। बिजली के उत्पाद में ब्रांडेड के साथ दिल्ली और स्थानीय लोकल उत्पाद से मार्केट अटा पड़ा है। जिसे अच्छे जानकार असली और नकली माल में पहचान नहीं कर पा रहे है। जिली के सामान में सबसे ज्यादा नकली माल खपाया जाता जिसके कारण आए दिन शार्टसर्टिक से आग की घटनाएं सामने आ रही है। घरों में लगने वाले बिजली के नकली उत्पाद से सिपेज और अन्य कारणों से पूरे घर में करंट फैलने की घटनाएं आए दिन सामने आती रहती है। आईएसआई मार्क के नाम पर सबसे ज्यादा नकली उत्पाद खपाने वाला बिजली मार्केट ही है जहां बल्ब से लेकर वायर, पंखा, कूलर, कूलरमोटर पंप, केबल वायर, पंखा हीटर, अन्य इलेक्ट्रानिक्स उत्पाद जो आईएसआई मार्का होने के बाद भी फेयलर है। जिसकी जांच परख उपभोक्ता आसानी से नहीं कर सकता। उसे तो दुकानदार के विश्वास पर खरीदना पड़ता है और नुकसान उठाना पड़ता है।

खाद्यान्न सामग्री में असली बताकर खपाया जाता है नकली उत्पाद : रोजमर्रा की जरूरत की सामग्री उपभोक्ता जो ब्रांड उपभोग करता है उसकी महीने भर चलने वाले उत्पाद की खरीदी कर लेता है। किराना बाजार में चावल, दाल, साबुन,पेस्ट, ब्रश, डियो, शैम्पू, फेसपैक,मसाले,तेल, चाय जो दैनिक जरूरत की चीजे है, जो उपभोक्ताओं को ब्रांड के नाम पर नकली उत्पाद खपा दिया जाता है। उपभोक्ता भी सस्ते में ब्रांडेड मिलने की चाह में नकली उत्पाद का आदी बन जाता है। जो उसके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालता है। लगातार नकली उत्पाद खाने से बीमार हो सकता है।

मिलावटखोरी पर अंकुशके साथ एक्सपाइयरी डेट की जांच : त्योहारी सीजन शुरू होते ही मिलावटखोर सक्रिय हो गए हैं। मिलावटी खाद्य सामग्री में खासकर मसाले, मावा और अन्य पदार्थ आदि हैं। मांग बढऩे के साथ ही मिलावटखोरी बढऩे की आशंका है। अब मिठाई की एक्पायइरी डेट की खाद्य विभाग ने जांच शुरू की है। त्योहारों पर मिठाई, पनीर, दूध, घी आदि में मिलावट कोई नई बात नहीं है। राजदानी में प्रत्येक वर्ष त्योहारों के दौरान छापेमारी में नकली खाद्य सामग्री पकड़ी जाती रही है। बाहर से मंगाई गई नकली खोवा पकड़ा गया जिसके असल मालिक तक पुलिस नहीं पहुंच पाई। खाद्य सुरक्षा विभाग छापा मारकर नमूने भी लेता है। हर साल त्योहारी सीजन में सक्रिय रहती है। मगर रिपोर्ट की लेटलतीपी के चलते मिलावटी साफ बच निकलेते है।

नवरात्र में भेजे नमूने : खाद्य सुरक्षा विभाग ने नवरात्र में जिलेभर में छापा मारकर कुट्टू का आटा, ड्राई फरूट, फल और अन्य खाद्य सामग्री के लगभग 18 नमूने लेकर जांच के लिए भेजे है, जिसकी रिपोर्ट नहीं आई है।

मिलावट के रूप में लोगों को परोसा जा रहा है धीमा जहर : खान-पान की चीजों में मिलावट के रूप में लोगों को धीमा जहर परोसा जा रहा है। खाद्य पदार्थों में मिलावट, नकली ब्रांड और घटिया गुणवत्ता के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। मुनाफाखोरी और व्यापार की प्रतिस्पर्धा के कारण मिलावट का यह खेल बेधड़क चल रहा है। दाल, दूध, मावा, घी, मसाले, आटा, फल-सब्जियां सहित खाने-पीने की लगभग हर चीज में मिलावट की जा रही है। वहीं, कंपनियों के उत्पाद भी गुणवत्ता के पैमाने पर खरे नहीं उतर रहे हैं। मिलावट के धंधे को रोकने के लिए स्पेशल विग बनाई गई है, बावजूद इसके मिलावटखोरी पर लगाम कसने में नाकाम नजर आ रहे हैं। ऐसे हालातों में मिलावटखोर और घटिया सामग्री बेचने वाले लोग अपने धंधे को चमका रहे थे। ऐसा ही खुलासा जिला खाद्य एवं सुरक्षा विभाग को मिली सैंपल रिपोर्टो में हुआ, जिसमें न केवल खुली चाय पत्ती, दाल व ब्रांडेड देशी घी अनसेफ पाए गए। वहीं होटलों के शान कहे जाने वाला पनीर, कोल्ड ड्रिक, आइसक्रीम भी सबस्टैंर्डड के पाए गए हैं। मापदंडों पर खरे न उतरने वाले खाद्य पदार्थ बेचने वाले दुकानदारों के खिलाफ विभाग द्वारा कार्रवाई की सिफारिश की गई है।

नकली खाद्य पदार्थ से हो सकती हैं कई बीमारियां : नकली और मिलावटी खाने से कई तरह की गंभीर शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ऩे के साथ बीमारियां घेर लेती हैं। डिप्टी एमएस डा. राजेश भोला ने बताया कि मसलन, लीवर व किडनी की समस्या, पेट में गड़बड़ी, डायरिया, कैंसर, उल्टी, दस्त, जोड़ों में दर्द, पाचन तंत्र, रक्तचाप व हृदय संबंधी परेशानियां, फूड पॉइजनिग, एनीमिया, त्वचा संबंधी बीमारियां हो जाती है। कई बार मिलावटी खाने से गर्भस्थ शिशु और मस्तिष्क तक को नुकसान पहुंचता है। सोचने की क्षमता भी प्रभावित होती है। मिलावटी खाना खाने से एसिडिटी, अल्सर जैसी परेशानियां हो जाती हैं। लीवर पर सूजन आ सकती है। हेपेटाइटिस भी हो सकता है। आमाशय पर भी असर पड़ता है।

सजा के प्रावधान : 1. सब स्टैंडर्ड फूड -इसमें खाने की वस्तु निर्धारित मानक पूरे नहीं होते। उसे सब स्टैंडर्ड कैटेगरी में रखा जाता है। इसमें सिर्फ जुर्माने का ही प्रावधान है। इस कैटेगरी में दोषी पाए जाने पर संबंधित व्यक्ति पर अधिकतम पांच लाख रुपये का जुर्माना लग सकता है।2. अनसेफ फूड-इसमें यदि खाद्य पदार्थ बिल्कुल भी खाने लायक नहीं है और उसके खाने से व्यक्ति की जान चली जाए या स्वास्थ्य खराब हो जाए। उसे अनसेफ कैटेगरी में रखा जाता है। इसमें केस दर्ज होता है और मामला कोर्ट में चलता है। कोर्ट द्वारा इसमें जुर्माने के साथ-साथ सजा का भी प्रावधान है।

3 मिस ब्रांडिग फूड : इसमें खाद्य वस्तु को दूसरे ब्रांड के नाम से बेचा जाए पाने, ब्रांड एक्सपायरी डेट का

होने या फिर ब्रांड अन्य किसी प्रकार गड़बड़ी पाए

जाने पर उसे मिस ब्रांडिग कैटेगरी में रखा जाता है। इसमें भी जुर्माने का प्रावधान है। इसमें दोषी पाए जाने पर संबंधित व्यक्ति पर तीन लाख रुपये तक का जुर्माना

लग सकता है।

नकली मिठाई की ऐसे करें पहचान : रंग- मिठाई में इस्तेमाल किए गए रंगों से एलर्जी, अस्थमा, किडनी खराब होने व कैंसर का खतरा रहता है। ज्यादा चटख व गहरे रंग दिखें तो मिलावट का खतरा है।

दूध: दूध में आमतौर पर यूरिया की मिलावट होती है। इससे पाचनतंत्र व किडनी को नुकसान होता है। किसी समतल साफ सतह पर दूध की एक बूंद टपकाएं, दूध शुद्ध होगा तो वह सीधी पंक्ति में बहेगा।

पनीर या खोए की शुद्धता : खोए से बनी मिठाई या पनीर पर आयोडीन की 5-7 बूंदें डालें। अगर उनका रंग नीला हो जाए तो उनमें मिलावट है वरना वह शुद्ध है।

चांदी का वर्क : इसमें अक्सर एल्युमीनियम की मिलावट होती है। वर्क को अंगुलियों या हथेली पर मसलें। अगर वह गायब हो जाता है तो समझें कि वह असली है और अगर उसकी गोली बन जाती है तो वह नकली है।

दिवाली से पहले मिलावाटखोरों के खिलाफ अभियान चलेगा। लोगों को मिलावटी चीजों के प्रति स्वत: जागरूक रहने की जरूरत हैं। जिसके मिलवाटी मिठाई खाने से बच सके। स्वयं के स्वास्थ्य के प्रति लोगों को खुद को जागरूक होना पड़ेगा नहीं तो यो मिलवाटियों आपको धीमा जहर मौत के मुहाने पर खड़े कर देंगे।

ब्रांडेड कंपनियों के नकली सामान सस्ते में बेचने का वर्षो से चल रहा कारोबार

होल सेलर 30-45 दिन का क्रेडिट देकर जमकर खपा रहे है नकली माल

युवा टशन में खरीद रहे हैं ब्रांड के नाम पर नकली डियो, शैम्पू, माउथ फ्रेशर, कपड़े, बेल्ट

मार्केट में खप रहा है ब्रांडेड कंपनियों के नकली उत्पाद

इलेक्ट्रानिक्स, इलेक्ट्रिकल्स, खाद्य सामग्री, दवाई, आटो पार्ट्स, इंजन आइल

ब्रांडेड इलेक्ट्रानिक्स उत्पाद वायर में तीन ग्रेड- एंकर, होल्डर, स्वीच बोर्ड, एक्सटेंशन वायर,

पेंट में जमकर हो रही मिलावट, गुणवत्ता जांचने का कोई मापदंड नहीं

अब तो जीवन रक्षक दवाई भी नकली मिलने की खबरें आने लगी

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