रायपुर प्रेस क्लब चुनाव - पांच का पंच, कौन होगा सरपंच?

Update: 2024-02-15 12:15 GMT

रायपुर। 5 साल बाद ही सही लेकिन रायपुर प्रेस क्लब का चुनाव होने जा रहा है र 5 साल इंतजार की घड़ियां गिनने के बाद अब चुनाव घोषित हुआ है पत्रकार जगत में खासी उत्सुकता है 17 फरवरी को होने वाले मतदान के लिए उम्मीदवारों की तस्वीर नाम वापसी के बाद साफ हो गई है, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव कोषाध्यक्ष और संयुक्त सचिव के दो पद के लिए 29 उम्मीदवार मैदान में है, जो की पांच अलग-अलग पैनलों के जरिये भाग्य जमाते हुए दिखाई दे रहे हैं, प्रेस क्लब के चुनावी घमासान मे पांच पैनलों के बीच दिलचस्प मुकाबला है

पैनल के नाम कुछ इस प्रकार हैं -

1 दामू अम्बाडारे प्रगतिशील पैनल

2 अनिल पुसद्कर प्रतिष्ठा पैनल

3 संदीप पुराणीक ब्राह्मण पैनल

4 सुकांत राजपूत स्वतंत्र पैनल

5 प्रफुल्ल ठाकुर संकल्प पैनल

1) दामू अंबाडारे प्रगतिशील पैनल - 

मुख्य रूप से सत्ताधारी इस पैनल का वजूद आज से 5 साल पहले 2018 में सामने आया था, जब बड़े-बड़े दिग्गजों को पटकती देकर दामु अध्यक्ष बने थे, लेकिन समय पर चुनाव नहीं होना और प्रेस क्लब संचालन को लेकर उठ रहे सवालों के बीच अपनी छवि ठीक करने की कोशिश करते हुए सभी मिडिया वर्गों के प्रतिनिधियों को अपने पैनल में समाहित कर बढ़िया संतुलन बनाने की दामू नें कोशिश की है,, प्रगतिशील पैनल में अध्यक्ष के रूप में दामू अंबाडारे अध्यक्ष हैं,

वहीं उपाध्यक्ष के रूप में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के क्राइम रिपोर्टिंग में जाना माना नाम मनोज नायक मौका दिया गया है

वही महासचिव में फोटो जनरलिस्ट संगठन मे अध्यक्ष पद संभाल चुके साफ छवि के दीपक पांडे मुकाबले में है

कोषाध्यक्ष में जाने-माने पत्रकार और टीवी डिबेटर अनिल द्विवेदी मैदान में हैं जबकि संयुक्त सचिव में प्रिंट मीडिया से रमेश यादव और श्रवण यदु को प्रगतिशील पैनल ने उतार कर पत्रकार बिरादरी के सामने अच्छा कांबिनेशन वाला पैनल पेश किया है

2 ब्राह्मण पारा पैनल( शर्मा पैनल ) - 

प्रेस क्लब के चुनावी इतिहास में सबसे पुराना ब्राह्मण पारा के पैनल माना जाता है यह पैनल लगातार हर चुनाव में पूरी ताकत के साथ लड़ता रहा है इस पैनल के पास कमिटमेंट वाले वोटरों का एक बड़ा बैंक मौजूद है, इसी कारण हर बार ब्राह्मण पारा पैनल के पदाधिकारी ज्यादा से ज्यादा संख्या मे भी चुन कर आते है, हालांकि पिछली गलतियों के कारण अध्यक्ष का पद इस पैनल से कई सालों से दूर है,इस पैनल ने एक बार फिर संदीप पुराणिक को एक बार फिर मैदान में उतारा है, अपने रणनीति समझ के लिए जाने जाने वाले ब्राह्मण पारा पैनल नें पता नहीं क्यों इस बार पैनल निर्माण में दिमाग़ का कम दिल का प्रयोग तंग हाथों से किया प्रतीत होता है ,,, यही वजह है की कांबिनेशन और राजनीतिक तालमेल का इस पैनल में अभाव देखने को मिल रहा है ,,

प्रिंट और इलेक्ट्रानिक के कॉन्बिनेशन में 60-40 के अनुपात के साथ अब तक चुनावी मैदान में उतरने वाले ब्राह्मण पारा पैनल ने इस बार जो पैनल उतारा है उसे देखकर लगता है कि किसी आदुश्य शक्ति का दबाव इस पैनल पर जरूर रहा होगा,

खैर चर्चाएं कई है, सांठ गाँठ, गठबंधन के आरोप के 90 के शुरुवाती दौर के विरोधी पैनल,, लाल विचारधारा से जुड़े पत्रकारों के समूह से हीत बंधन की चर्चा है,,बताया जा रहा है कि किसी पैनल से उनका विलय हुआ है खैर ब्राह्मण पारा पैनल में अध्यक्ष के रूप में संदीप पुराणिक प्रिंट मीडिया में है,लंबे समय से काम का अनुभव और छोटे अखबारों में अच्छी खासी पकड़ वाले नेता है, वहीं उपाध्यक्ष में इस पैनल ने कोई अधिकृत उम्मीदवार नहीं उतरा है लेकिन बताया जा रहा है कि संकल्प पैनल के उपाध्यक्ष उम्मीदवार इलेक्ट्रॉनिक मीडिया रिपोर्टर शुक्ला को ब्राह्मण लॉबी की वजह से नैतिक समर्थन दिया गया है,

जबकि महासचिव में लालू राम ग्रुप के दूसरे जिले के निवासी, कामरेड वैभव गुंडाधुररिया को मैदान में उतर गया है, जबकि कोषाध्यक्ष अध्यक्ष में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से ही स्टार जैन और संयुक्त सचिव के पद के लिए इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मैं कार्यरत तृप्ति सोनी को उम्मीदवार बनाया गया है,, इस तरह एक चार के कांबिनेशन के साथ प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक को स्थान दिया गया है ,

प्रेस जगत के तालमेल के हिसाब से पैनल बेमेल लगता है लेकिन प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक के साथ ब्राह्मण और कम्युनिस्ट गठ जोड़ इस पैनल को सबसे मजबूत बनाता है

3) प्रतिष्ठा पैनल अनिल पुसदकर -

प्रेस क्लब के चुनावी राजनीति की चर्चा जिस शख्स की चर्चा के बिना अधूरी है वो है अनिल पुसदकर!! अपने आप मे एक पैनल बन चुके वरिष्ठ पत्रकार और कई बार प्रेस क्लब की बागडोर संभाल चुके अनिल पुसद्कर का पैनल मैदान मे है 90 के दशक में अपनी पत्रकारिता से धाक जमा चुके अनिल पुसद्कर

अपने पैनल को प्रिंट इलेक्ट्रानिक के कांबिनेशन के साथ मैदान में उतारा है

अनिल पुसद्कर स्वयं इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट में लंबे समय तक काम कर चुके है, दोनों ही विधाओं से जुड़े हुए पत्रकारो का उनको समर्थन है, वहीं उपाध्यक्ष के रूप में उन्होंने विनय घाटगे को मैदान में उतारा है जो वीडियो और फोटो जर्नलिस्ट दोनों में काम कर चुके हैं वहीं महासचिव के रूप में महादेव तिवारी एक बार फिर भाग्य जमाने के लिए मैदान में हैं महादेव महासचिव पद पर वह लगातार कई चुनाव लड़ चुके हैं फोटो जर्नलिस्ट वर्ग में उनका अच्छा खासा दखल माना जाता है, कोषाध्यक्ष के रूप में प्रतिष्ठा पैनल कुणाल राव को मैदान में उतारा गया है जो वीडियो जर्नलिस्ट की भूमिका में लंबे समय से कम कर रहे हैं, प्रगतिशील पैनल से संयुक्त सचिव के रूप में प्रदीप चंद्रवंशी और रेणू नंदी मैदान में है, प्रदीप चंद्रवंशी हरिभूमि ग्रुप से जुड़े हुए हैं, जबकि रेनू नदी अलग-अलग इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के संस्थानों में काम कर चुकी हैं,, ऐसे में मीडिया वर्ग के प्रतिनिधित्व का संतुलन प्रतिष्ठा पैनल में दिखाई देता है

4) सुकांत राजपूत स्वतंत्र पैनल -

पिछले दो दशक से अलग-अलग पैनलों के जरिए प्रेस क्लब की राजनीति में दखल रखने वाले सुकांत राजपूत ने अपने इस नए पैनल के जरिए चुनाव में धमाकेदार इंट्री की है, उनके इस पैनल की इंट्री को लेकर अनुमान नहीं होने के कारण स्वतंत्र पैनल के मैदान में उतरने से कई पैनल के चुनावी समीकरण बिगड़ गए हैं, सुकांत राजपूत प्रेस क्लब के महासचिव की भूमिका निभाकर अपनी छाप छोड़ चुके हैं, अब अध्यक्ष के रूप में अपनी टीम लेकर मैदान में हैं प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में अलग-अलग संस्थानों में रहते हुए सुकांत राजपूत ने लंबे समय तक काम काम किया है, उनके साथ उनकी खुद की मित्र मंडली और युवा वर्ग का ग्रुप सक्रिय रहा है इस बार स्वतंत्र पैनल के नाम से उन्होंने उपाध्यक्ष के रूप में नवभारत ग्रुप के वरिष्ठ पत्रकार अजीत परमार मैदान में उतर कर नया समीकरण बनानें की कोशिश है, जबकि महासचिव के रूप में प्रेस क्लब में लगातार सक्रिय रहने वाले मोहन तिवारी मैदान में है इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से लंबे समय से जुड़े मोहन का उनके सहज सरल स्वभाव और पत्रकारिता मे उनकी सक्रियता उनको मुकाबला में बनाए रखा है जबकि स्वतंत्र पैनल ने कोषाध्यक्ष के रूप में नवभारत के पुराने ऑपरेटर सनत कल महाराज को मैदान में उतर कर रिपोर्टर ऑपरेटर कांबिनेशन को अपने पैनल में मजबूत किया है वहीं स्वतंत्र पैनल ने संयुक्त सचिव के पद को खाली छोड़कर सभी आठ संयुक्त सचिवों के विकल्प को खुला रखकर संयुक्त सचिव उम्मीदवार के मिले-जुले समर्थन का गेम खेल दिया है

5 संकल्प पैनल प्रफुल्ल ठाकुर -

संकल्प पैनल अपने आप में नया पैनल है अपने पूर्ववर्ती पैनल सुकांत राजपूत के ग्रुप से अलग होकर प्रफुल्ल ठाकुर ने इस बार खुद अध्यक्ष पद की दावेदारी के साथ खुद का पैनल उतार कर साहसिक कदम उठाया है,, 5 साल पहले चुनाव में धमाकेदार जीत हासिल की,,, और पिछली कार्यकारिणी में उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी निभा रहे थे,, बकौल प्रफुल्ल ठाकुर 1 साल में होने वाला चुनाव जो 5 साल में हो पाया उसके पीछे उनकी ही मेहनत थीं, प्रेस क्लब के चुनाव के मामले को कोर्ट कचहरी में प्रमुखता से रखने का श्रेय प्रफुल्ल अपना मानते है इस लिए अपना स्वयं का पैनल बनाकर मैदान में उतरे हैं स्वयंभू दावेदारी की वजह से उनको सीनियर लोगो का विरोध भी झेलना पड़ रहा है कोर्ट कचहरी और आंदोलनकारी रुख जद्दो जहद में फंसे रहने के कारण वे अपने पूरे पैनल को वह सही ढंग से आकर नहीं दे पाए,, उपाध्यक्ष पद पर संकल्प पैनल से छात्र संघ नेता रहे सुरेंश शुक्ला के भाई संदीप शुक्ला मैदान में है महामंत्री के पद में कभी अध्यक्ष के खास रहे और वर्तमान मे प्रफुल्ल के करीबी होने के बाद भी सुधीर तंबोली एडजस्ट नहीं हो पाए,, इसलिए इस पैनल नें महामंत्री का पद इस पैनल नें खाली रखा है,

संकल्प पैनल ने कोषाध्यक्ष के रूप में हरिभूमि ग्रुप के फोटो जर्नलिस्ट रमन हलवाई को, और संयुक्त सचिव में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के दो बड़े ग्रुप के शुभम वर्मा और अरविंद सोनवानी को उतार कर अच्छा तालमेल भरा पैनल बनाने की कोशिश की है. पांचो पैनल नें अपनें दम खाम के साथ अपना प्रचार शुरू कर दिया है , देखना यह है कि बुद्धिजीवी वर्ग माने जाने वाले पत्रकार किसी पर अपना भरोसा जताते हैं. 

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