Raipur News: टीआई बेबस

Update: 2024-06-15 05:30 GMT

टीआई और बड़े अधिकारियों के नाम से उगाही करने वाले सिपाही सस्पेंड

टिकरापारा थाने में अभी भी एक हवलदार और एक सिपाही मौजूद है, जिसके सामने टीआई भी बेबस

अतर्राज्यीय बस स्टैंड में गाड़ी मालिकों से वसूली की मिल रही थी लगातार शिकायत

एसएसपी ने संज्ञान लेकर विभाग को बदनाम करने वालों पर की कड़ी कार्रवाई

रायपुर। एसएसपी संतोष सिंह SSP Santosh Singh ने विभाग को बदनाम करने वाले दो सिपाहियों को निलंबित कर दिया है। दोनों तथाकथित सिपाहियों के खिलाफ पहले से सैकड़ों शिकायतें थाने तक पहुंची है, लेकिन थाने से ही रफा-दफा कर दिया जाता था, पुलिस सूत्रों के मुताबिक टिकरापारा थाना Tikrapara Police Station में चार लोगों की चलती थी, जिसमें Suspended constable निलंबित आरक्षक सेंगर और भदौरियों के अलावा अभी भी एक आरक्षक और एक हवलदार थाने में तैनात है वे अपना संबंध उच्च अधिकारियों से भी बताते है जिसके चलते टीआई भी बेबस है। निलंबित दोनों आरक्षकों को खिलाफ काफी शिकायत थी।

विवाद होने पर मुसाफिरों को थाने जाने बोलते थे

chhattisgarh news नए बस स्टैंड में इनका एक सूत्रीय कार्यक्रम था पैसा उगाही करना। यही दोनों आरक्षक थे जो बस स्टैंड में अवैध ट्रेवल एजेंट और यात्रियों के बीच किराया को लेकर झगड़ा होता था तब ये बीच बचाव करना छोड़ मुसाफिरों को थाने जा कर रिपोर्ट दर्ज कराने की बात कहते थे। मुसाफिर की बस लगी हुई होती थी, इसलिए वे थाने नहीं जा पाते थे और दोनों सिपाही उसके एवज में अवैध ट्रैवल एजेंटों से उगाही करते थेे। और यह भी कहते थे कि टीआई आई और बड़े अधिकारियों को हिस्सा देना होता है।

एसएसपी के निजात अभियान के खिलाफ काम करते थे

बस स्टैंड के लोग यह भी बताते हैं कि उक्त दोनों सिपाही अवैध रूप से संचालित अवैध पार्किंग माफियाओं के साथ मिलकर जुआ-सट्टा और नशा के कारोबार को बढ़ावा दे रहे थेे। इस तरीके से इन लोग एसएसपी संतोष सिंह के निजात अभियान की धज्जियां उड़ा रहे थे। गौरतलब है कि एसएसपी संतोष सिंह अन्य जिलों मे ंरहकर निजात अभियान के जरिए हजारों युवाओं को नशे से मुक्ति दिलाया है। उनके इस अभियान की सामाजिक, राजनौतिक और अन्य संगठनों ने काफी सराहना की है। सैकड़ों शिकायतों के बाद भी सिपाहियों की राजनीतिक रसूख के कारण बड़े अधिकारी ने इन दोंनों पर कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पाए।

नौकरी के साथ नेतागिरी भी करते थे

ये सिपाही की नौकरी के साथ नेतागिरी भी करते थे। जिस पार्टी की सरकार होती है उसके छुटभैया नेताओं के साथ हम प्याला हम निवाला का भी शौक फरमाते रहे थे। एसएसपी संतोष सिंह ने शहर को भय और नशा मुक्त करने के लिए निजात अभियान चलाया है जिसके तहत अपराधियों और नशेडिय़ों को समाज की मुख्यधारा से जोडऩे का काम कर रहे है। इस अभियान के तहत एसपी अंतर्राज्यीय बस स्टैंड से शुरूआत करते हुए दो बदनामशुदा आरक्षकों को निलंबित किया है। जिससे पुलिस विभाग में हडक़ंप मचा हुआ है। पुलिस विभाग के स्टॉफ अब अपने गिरेबान झांकने लगे है। अंतर्राज्यीय बस स्टैंड जब से भाठागांव गया है तब से सुर्खियों में है। यात्रियों और चालकों के साथ दुव्र्यवहार तो वहां के अवैध बुकिंग एजेंट और वहां तैनात सिपाहियों के लिए आम बात है। बस स्टैंड में होने वाले तमाम उठाईगिरी और चोरी चकारी में भी इन दोनों सिपाहियों की भागीदारी रही है। बस स्टैंड में जेबकटी और अटैची उड़ाने वाले गिरोह से ये दोनों सिपाही संरक्षक के रूप में काम करते रहे है। तनख्वा तो पुलिस विभाग से जनसुरक्षा के लिए लेते थे, पर असल में ये दोनों सिपाही गिरोह बनाकर यात्रियों को लुटवाने का काम करते थे।

विभाग का नाम बदनाम कर रहे थे

चाहे गाड़ी के टिकट देने का हो या बस से अटैची पार करने का या फिर जेबकटी और महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और दुव्र्यवहार इन दोनों सिपाहियों के मौन समर्थन से बस स्टैंड में चल रहा था। ये दोनों सिपाही यदि ड्राइवर कंडेक्टर गाड़ी छोडऩे से पहले नजराना नहीं देने पर ये दोनों सिपाही ड्राइवर को थाने लेकर पिटाई करने से भी नहीं चूकते थे। इस बस स्टैंड में इन दोनों सिपाहियों का बड़ा आतंक रहा है। सट्टा -जुआ भी बस स्टैंड में इन दोनों सिपाहियों के भागीदारी में चल रहा है। शहर से सारे अपराधियों का केंद्र ही भाठागांव बस स्टैंड है, जहां ये दोनों सिपाहियों को बदमाश लूटमारी कर नजराना पेश करते थे। यदि किसी उठाई गिरे ने पैसे नहीं तो दूसरे दिन उस ड्राइवर दो थाने में बंद कर वसूली करने के कारनामे को अंजाम देते है।

जाति सूचक गाली इनके जबान में रहती थी

राजधानी में एक सिख बस ड्राइवर के साथ पगड़ी खींचकर मारपीट कर जाति सूचक गालियां भी दी। इस मामले में रायपुर एसएसपी संतोष कुमार सिंह ने दोनों कॉन्स्टेबल को सस्पेंड किया है। इन पुलिसकर्मियों ने रात में बस स्टैंड में सोते हुए ड्राइवर को उठाकर गाली-गलौज की। उसे जबरन थाने लाकर बेरहमी से पट्टों से पीटा फिर उसे अगले दिन जेल भी भेज दिया। इस घटना के बाद बस ड्राइवर संघ समेत सिख समाज में बड़ी नाराजगी थी। बस ड्राइवर बहादुर सिंह ने बताया कि घटना 8-9 जून दरमियानी रात की है। वह महिंद्रा ट्रेवल्स में ड्राइविंग का काम करता है। ड्यूटी से वापस आकर वह बस स्टैंड के बरामदे में सो रहा था। तभी टिकरापारा थाना के दो कॉन्स्टेबल चंद्रभान भदौरिया और सुरजीत सिंह सेंगर वहां पहुंचे। उन्होंने बहादुर सिंह को डंडे से छूते हुए पूछा, यहां क्यों सो रहा है।

आरोप है कि पुलिस वालों ने बदसलूकी की जिसे रोकने पर दोनों भडक़ गए। बहसबाजी के बाद पगड़ी खींचकर मारपीट करने लगे। वे बहादुर को घसीटते हुए बस स्टैंड से थाने ले गए। फिर वहां पर पट्टे से उसे बुरी तरह मारा। इस मारपीट में बहादुर के शरीर में कई जगह चोट के निशान भी आ गए। पुलिसकर्मियों का मन शांत नहीं हुआ तो उन्होंने बहादुर पर कई धाराओं में पर केस लगाते हुए जेल भेज दिया। जेल से जमानत लेकर जब बहादुर वापस आया तो उसने इसकी जानकारी बस कर्मचारी संघ के अध्यक्ष और सिख समाज को दी। इस मामले के सामने आने के बाद बस कर्मचारी संघ ने घटना पर कड़ी आपत्ति दर्ज की। तो वहीं दूसरी ओर सिख समाज ने भी दुर्व्यवहार को लेकर पुलिस के बड़े अधिकारियों समेत रायपुर कलेक्टर से मुलाकात कर शिकायत सौंपी। इस घटना के बाद रायपुर एसएसपी ने टिकरापारा थाने के कॉन्स्टेबल चंद्रभान भदौरिया और सुरजीत सिंह सेंगर को सस्पेंड कर दिया।

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