4 दिनों में तीसरा गैंग फंसा, अब तक 8 तस्कर गिरफ्तार
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। पुलिस ने कोटा में घेरेबंदी कर नशीली दवा के 3 तस्करों को पकड़ा। पूछताछ के बाद उनके घरों और कुछ ठिकानों पर छापेमारी कर 8 कार्टून में रखी कोरेक्स सिरप की 160 बोतलें जब्त कीं। खांसी में उपयोग आने वाली सिरप के अलावा कुछ टेबलेट और कैप्सूल भी मिले। ड्रग्स के बाद नशीली दवाइओं के संगठित रैकेट का पर्दाफाश हो रहा है। शनिवार की शाम डाक्टरों की पर्ची के बिना ये दवाएं किसी भी मेडिकल स्टोर्स से नहीं मिल सकती। पुलिस को शक है कि कुछ दवा दुकान वालों की तस्करों से सांठगांठ है। वही तस्करों को प्रतिबंधित दवाएं उपलब्ध करवा रहे हैं। पुलिस के अनुसार दवा दुकान वाले सिरप की बोतलें दोगुनी कीमत पर बेचते हैं।
तस्कर उन बोतलों को तीन-चार गुनी कीमत पर बेचकर मुनाफा कमाते हैं। पुलिस तस्करों से पूछताछ कर रही है कि उन्होंने कहां-कहां से दवाएं खरीदी। कौन कौन से मेडिकल स्टार्स वालों की उनसे सांठगांठ है। सिटी एसपी लखन पटले ने बताया कि अशफाक हुसैन संजय नगर, हरप्रीत सिंह हीरापुर और यमन चंद्राकार डीडी नगर तीनों का रिकार्ड चेक किया जा रहा है। उनके मोबाइल का डिटेल मिलने के बाद उस लिंक का पता चलेगा जिसके माध्यम से उन्हें प्रतिबंधित दवाएं मिल रही थीं। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि तीनों आरोपी मोपेड और बाइक में घूम-घूमकर नशीली दवाई बेचते हैं। आरोपी ज्यादातर आमानाका, सरस्वती नगर और आजाद चौक से लगी बस्तियों में धंधा करते थे। क्लू मिलने के बाद पुलिस चार दिन से उनकी निगरानी कर रही थी। शनिवार को मोपेड पर दवाई लेकर आरोपी बेचने पहुंचे थे। एसएसपी अजय यादव ने नशीली दवाई की जांच के लिए सीएसपी आजाद चौक अंकिता शर्मा के नेतृत्व में टीम बनाई है। यही टीम पूर्व में ड्रग्स के रैकेट की जांच कर चुकी है। टीम को क्लू मिला है कि आरोपियों का राजधानी के अलावा आस-पास के कस्बों और छोटे इलाके के मेडिकल स्टार्स में भी लिंक है।
राजधनी के अलावा तस्कर आसपास के शहरों के दवा कारोबारियों से प्रतिबंधित और नशीली दवाइयां खरीद रहे थे। धमतरी, कांकेर, महासमुंद, अम्लेश्वर की कुछ दवा दुकानों का इनपुट मिला है। गौरतलब है कि पूर्व में पकड़े गए तस्करों ने ओडिशा से भी दवाइयां लाने की बात कबूल की है। इसमें शहर के कुछ मेडिकल कारोबारियों का नाम सामने आया है। पुलिस उनकी तलाश में जुटी हुई है। मामला फूटने के बाद से कारोबारी दवा दुकान बंद कर गायब हैं।
एक दवा कारोबारी जेल में
नशीली दवाइयों का नशा राजधानी में आम जैसा हो गया है। लोगों को प्रतिबंधित दवाएं आसानी से दवाइयां मिल रही हैं। कुछ पान ठेले वाले से लेकर किराना दुकान, पंचर दुकान और ऑटो वाले भी नशीली दवाइओं की तस्करी कर रहे हैं। आउटर के मेडिकल स्टोर में भी बिना पर्ची नशीली दवाएं बेच रहे हैं। 100 रुपए के टेबलेट को ढाई-तीन सौ रुपए में बेचा जा रहा है। इसी तरह सिरप में को भी तिगुनी कीमत पर बेचा जा रहा है। पुलिस ने करीब 6 महीना पहले शहर के एक बड़ दवा कारोबारी को गिरफ्तार किया था। उनके गोदाम में 50 लाख से ज्यादा की दवाइयां जब्त की गई थीं। फार्मा कंपनी का मालिक रायपुर सेंट्रल जेल में बंद है। उसका साथी दिल्ली भाग गया है। उसे पुलिस अब तक पकड़ नहीं पाई हैं।
इसलिए बढ़ रहे हत्या, चाकूबाजी जैसे अपराध
युवाओं के बड़े वर्ग को हिंसक और पागल बनाने वाली नशीली व प्रतिबंधित ड्रग्स पर सरकार सख्ती से बैन के दावे करती है लेकिन नशे के कारोबारियों के नेटवर्क की पहुंच शहर तक है। शहर सहित जिले के कुछ मेडिकल स्टोर्स नशे का कारोबार कर रहे हैं। दोगुनी-तीनगुनी कमाई के चक्कर में दवा बेच रहे हैं, जिनका उपयोग करते ही युवा में नशा छा जाता है। सैकड़ों युवा इन दवाओं की गिरफ्त में फंसकर पागलपन की दहलीज तक पहुंच चुके हैं। हत्या, चाकूबाजी की वारदातों के पीछे का बड़ा कारण इसे माना जा रहा है।
इस तरह चल रहा नशीली दवाओं का कारोबार: नशीली दवाओं का धंधा करने वाले मेडिकल स्टोर्स संचालक रैकेट बनाकर काम कर रहे हैं। मेडिकल स्टोर्स से तो दवाएं परमानेंट ग्राहक को ही दी जाती हैं, लेकिन नए ग्राहकों के लिए वे पुराने ग्राहक की ही मदद ले रहे हैं। कई पुराने ग्राहक को कमीशन पर दवाओं का स्टॉक दे दिया जाता है। घूमते-फिरते नशीली दवाएं बेच रहे हैं। सूत्र बता रहे हैं कि रायपुर, बालोद, दुर्ग-भिलाई के युवा भी शहर में नशीली दवा खरीदने आ रहे है। झुग्गी इलाके में नशीली दवाइयों का पागलपन ज्यादा है।