रायपुर: शास्त्री बाजार में अब भी लग रहा मछली बाजार
प्रतिबंधित फार्मलीन का उपयोग मछलियों को ताजा रखने का खेल
बिहार से आने वाली मछलियां खाने से कैंसर का खतरा
जसेरि रिपोर्टर। रायपुर। राजधानी में नगर निगम के सख्त आदेशों के बाद भी मछली का व्यापार करने वाले लोग शास्त्री बाजार में मछली बेचते दिखते है और हर दिन रायपुर में सुबह-सुबह शास्त्री बाजार में सैकड़ों की संख्या में लोगों की भीड़ देखने को मिलती है। नगर निगम ने मछली बेचने वालों को एक अच्छी जगह दी है जो कि देवेंद्र नगर के कृषि मंडी के पीछे है, मगर फिर भी लोग मछली बेचने के लिए शास्त्री बाजार को अपना अड्डा बना लेते है। और सबसे बड़ी बात ये है कि मछलियों को ताज़ा रखने के लिए फार्मलीन का इस्तेमाल बड़े कारोबारी आज भी कर रहे हैं। सेहत पर गलत असर के चलते काई राज्यों में मछलियों में फार्मलीन का इस्तेमाल प्रतिबंधित हैं।
बावजूद छत्तीसगढ़ में इस तरह के केमिकल पर कोई रोक नहीं लगाया जा रहा हैं। और ना ही किसी तरह की कोई सावधानी बरती जा रही हैं। मछली बहुत पौष्टिक और स्वादिष्ट होती है इसलिए लोग इसे चाव से खाते हैं। मछली में कई ऐसे एंटीऑक्सीडेंट्स और पोषक तत्व होते हैं, जो अन्य फूड्स में नहीं पाए जाते हैं। ज्यादातर लोग मछली खाने के बहुत शौकीन होते हैं। अपने मुँह के स्वाद अनुसार अलग-अलग मछली खाने की भी इच्छा रखते हैं। रायपुर में भी कई ऐसे बड़े मछली कारोबारी है, जो अपने कारोबार में मछली को ताज़ा रखने के लिए फार्मलीन नाम के केमिकल का उपयोग कर रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मछलियां लोकल नदियों और तालाबों से मंगवाया जाता हैं। और कभी-कभी आंध्र प्रदेश, ओडिसा और बिहार से भी मंगवाया जाता हैं। इतने दूर से लाये गए मछलियों को ताज़ा रखने के लिए भी फॉर्मलीन का इस्तेमाल किया जाता हैं। जिससे लोगों में कैंसर जैसे गंभीर रोग होने लगते हैं। बिहार की मछलियों के खाने से लोगों में कैंसर जैसी घातक बीमारी की चपेट में आ सकते है, दरअसल बिहार में आने वाली मछलियों में फॉर्मलीन, कैडमियम लेड और फॉर्मल डिहाइड की मात्रा पाई गई है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है।
फॉर्मलीन से होता है कैंसर : फॉर्मलीन शरीर के लिए बेहद हानिकारक है, इसका असर व्यक्ति के पाचन तंत्र पर पड़ता है। इससे पेट दर्द से लेकर डायरिया तक होता है। साथ ही किडनी और लिवर की गंभीर बीमारियों समेत कैंसर होने का भी खतरा होता है। राजधानी में बिकने वाली बाहर की मछलियां सेहत के लिए ठीक नहीं हैं। अन्य राज्यों से आने वाली मछलियों को सडऩे से बचाने और ताजा रखने के लिए फार्मलिन का इस्तेमाल किया जा रहा है। मछलियों को धोते रहने से फार्मलिन की मात्रा कम हो जाती है। इन मछलियों का सेवन करना हो तो उसे नल के पानी (करंट वॉटर) से ठीक से धोकर ठीक से पकाना चाहिए। फार्मलिन युक्त मछली के सेवन से ब्लड कैंसर होने की आशंका रहती है, जबकि हेवी मेटल्स के सेवन से किडनी को नुकसान पहुंच सकता है। फॉर्मलीन का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल छत्तीसगढ़ राज्य में और बाहर के राज्यों में भी होता हैं। दरअसल फॉर्मलीन का प्रयोग मछलियों को अधिक दिनों तक सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है, मगर लोग इसकी मात्रा को बढ़ाकर मछलियों में डालते हैं। जिससे कैंसर होने की संभावना बहुत अधिक होती है। कैडमियम, ई कचरे और औद्योगिक कचरे में पाया जाने वाला बेहद नुकसान पहुंचाने वाला तत्व है, मछलियां अक्सर पानी में कैडमियम युक्त भोजन करती है और इसकी थोड़ी सी भी मात्रा हमारे जीवन में विभिन्न बीमारियों का कारण बन सकती है, इससे बुखार, मांस पेशियों में दर्द, ब्रांकाइटिस, निमोनिया के अलावा लीवर पर घातक प्रभाव पड़ सकता है और न केवल वे डैमेज हो सकते हैं बल्कि कैंसर भी हो जाता है।
राजधानी में कई ऐसे बाजार है जहां मछलियों का व्यापार तेज़ी से किया जा रहा हैं। देवेंद्र नगर मछली व्यापार, एवर ग्रीन चौक मछली व्यवसाय, शंकर नगर जैसे इलाकों में फर्मलीन युक्त मछलियां मिलती ही हैं। प्रदेश में मछुआ समुदाय के तहत ढीमर, केवट, निषाद, कहार, मल्लाह जाति के लोग प्रमुख रूप से आते हैं। इस समाज के लोग प्रदेश के जलाशयों में साढ़े तीन हजार से अधिक मत्स्य सहकारी समिति बनाकर मछली उत्पादन में लगे हुए हैं। समाज की बड़ी आबादी का पेशा मछली पालन है। बड़े जलाशयों में दो सौ से अधिक सोसाइटियां मछली मारती हैं। बड़े घरानों को मछली कारोबार सौंपने पर प्रदेश की बड़ी आबादी के लिए आजीविका और रोजगार का संकट पैदा हो जाएगा। मछलियां बगैर चेक किए धड़ल्ले से बेची जा रही हैं। जो लोग इस पदार्थ के बारे में और उसके प्रभाव के बारे में जानते हैं, वे भी इस बारे में कुछ कहने से बचते हैं। कारोबारियों के लिए मुनाफा टॉप पर है। अगर वे आवक कम करने के बारे में सोचते हैं तो उनकी बिक्री पर असर पड़ सकता है, इसलिए वे चुप रहते हैं।
मछलियों को ज्यादा समय तक ताजा रखने केमिकल का उपयोग
मछली का आयात-निर्यात पूरे छत्तीसगढ़ और भारत में होता है इसलिए इसे अधिक से अधिक और लम्बे समय तक संभाल कर रखने के लिए कई प्रकार के कैमिकल्स का प्रयोग किया जाता है। मछलियों को खाने से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। इन मछलियों में फॉर्मलीन, कैडमियम और फॉर्मल डिहाइड (खतरनाक केमिकल्स) की घातक मात्रा पाई जाती है। मछलियों में फॉर्मलिन पाया गया, जिसकी वजह से इन राज्यों में बाहर से मछलियों की आवक पर रोक लगा दी जाती है।