रायपुर: फर्जी पत्रकार समेत ब्लैकमेलर गैंग की संपत्ति होगी सीज

अवैध उगाही से बंगला-कार व करोड़ों की प्रापर्टी बनाने का पता चला

Update: 2020-11-09 05:24 GMT

रायपुर (जसेरि)। एंटी करप्शन ब्यूरो के हत्थे चढ़ी ब्लैकमेलर गैंग के पास करोड़ों रुपए की संपत्ति का पता चला है। जांच शुरू होने के बाद मालूम हुआ है कि स्पेशल एसीबी की तर्ज पर उगाही करने वालों ने कईयों से लाखों रुपए वसूल किए। यही नहीं, जहां लोग कार्रवाई के नाम पर सहमे, उनसे प्रापर्टी भी हथिया ली। एएसआई के नाम पर एक बंगला बनाने का पता चला है। पुलिस अब सस्पेंड एसआई और कथित आरटीआई एक्टिविस्ट के बैंक खातों की छानबीन में जुट गई है। एसीबी के मुताबिक पहले मिली शिकायत की जांच करते हुए आरोपी बर्खास्त सब इंस्पेक्टर सत्येंद्र सिंह वर्मा, एएसआई विनोद वर्मा और साथ ही एक आरटीआई एक्टिविस्ट व कथित पत्रकार राजेश तराटे को काफी लंबे समय से सर्विलांस में रखा गया था। सस्पेंड होने के बाद भी एसआई और एएसआई कई लोगों से वसूली करने में लगे थे। एएसआई वर्मा ने रायपुर शहर के एक रिहायशी इलाके में दो साल पहले ही बड़ा बंगला बनवाया। इसमें करोड़ रुपए खर्च किए। उगाही की शिकायत मिलने के बाद जब उसे सर्विलांस में लिया गया, तब इसके बारे में पता चला। विभागीय कामकाज से दूर रहकर भी मोटी कमाई की खबरें बाहर आई और उसके साथ जुडऩे वाले साथियों का नेटवर्क खंगाला गया। एसीबी ने संकेत दिए हैं कि लोगों को डरा धमकाकर बनाई गई प्रापर्टी नियमानुसार सीज की जाएगी। दस्तावेजों की बारीकी से जांच कर संपत्ति का ब्योरा जुटाया जा रहा है। रिश्वतखोरी में जा चुका है जेल एसीबी को जांच के दौरान पता चला कि आरोपी एसआई सत्येंद्र सिंह अभनपुर में पदस्थ रहते हुए रिश्वतखोरी के मामले में पकड़ा जा चुका है। रंगे हाथ पकड़े जाने के बाद विभागीय जांच में दोष सिद्ध होने पर उसे बर्खास्त भी कर दिया गया। आपराधिक मामला दर्ज होने पर एसआई को जेल भी भेजा गया था। पुलिस थानों में नामजद रिपोर्ट होने के बाद से इधर-उधर छिपने के लिए ठिकाने की तलाश में था कि एसीबी ने अपने घेरे में फंसा लिया।

रजिस्ट्री दफ्तर से कुंडली निकालेगी : आरोपियों के बारे में करोड़ों रुपए की बेनामी संपत्ति रखे होने की जानकारी हाथ लगने के बाद एसीबी की एक टीम रजिस्ट्री कार्यालय पहुंच सकती है। संकेत मिले हैं कि सोमवार को रजिस्ट्री कार्यालय से आरोपियों के नाम पर दर्ज संपत्ति का पता लगाया जाएगा। एएसआई विनोद ने मोवा आदर्श नगर में बंगला बनवाया है। धरसींवा मूलग्राम में भी जमीन कारोबार में अच्छा-खासा निवेश किया है। ईओडब्ल्यू की तरफ से बेनामी संपत्ति अटैच की जा सकती है। बर्खास्त एसआई था वसूलीबाज अभनपुर में घूस लेते हुआ था ट्रैप राजधानी में एंटी करप्शन ब्यूरो और आर्थिक अपराध शाखा के नाम पर वन विभाग के अफसरों को धमकाकर जबरन वसूली करने वाला बर्खास्त एसआई सत्येंद्र वर्मा वसूली में पहले से खूंखार था।

अभनपुर थाने में बतौर प्रशिक्षु पोस्टिंग होते ही वसूली शुरू कर दी थी। साल 2015 में धोखाधड़ी के मामले को रफा-दफा करने करीब साढ़े 3 लाख रुपए रिश्वत की डिमांड की थी। करीब डेढ़ लाख रुपए की वसूली कर चुका था। बाकी पैसे लेते समय एंटी करप्शन ब्यूरो ने ट्रेप कर उसे दबोच लिया था। यही नहीं, एएसआई विनोद वर्मा भी दशकभर ईओडब्लयू में तैनात था, जिससे उसे राज्यभर के अफसरों की शिकायत का ब्योरा पता रहता था। इसी का वे फायदा उठाते थे और सीधे अफसरों को कॉल कर मोटी रकम की डिमांड करते थे। अब सिविल लाइंस पुलिस ने दोनों मामलों की जांच शुरू कर दी है। वहीं फर्जी पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट राजेश तराटेे केस में बयान दर्ज करने का सिलसिला शुरू कर दिया है। सस्पेंड होने पर शुरू की वसूली पुलिस के मुताबिक सस्पेंड एएसआई विनोद वर्मा को बलौदाबाजार में केस रफा-दफा करने के एवज में घूस लेते हुए एसीबी ने ट्रैप किया। उसे जेल भेजने के साथ ही निलंबित कर दिया गया। जेल से छूटने के बाद उसने ईओडब्लयू और एसीबी के नाम पर जबरन वसूली शुरू की। करीब 4 महीने से वह जबरन वसूली का काम कर रहा था। 5 महीने में वह दूसरी बार वसूली के चक्कर में जेल भेजा गया है। पांच किस्त में लिए थे 10 लाख पुलिस के मुताबिक आरोपी आरटीआई एक्टिविस्ट व फर्जी पत्रकार राकेश तराटे ने दल्ली राजहरा के वन मंडल परिक्षेत्र कुमार नादुरकर से पहले आरटीआई के माध्यम से विभागीय डिटेल इक_ा की। इसके बाद अफसर से पैसे की डिमांड की और पचपेड़ी नाका में उसने 5 किस्तों में 10 लाख रुपए की वसूली की। टिकरापारा पुलिस ने इस केस की इन्वेस्टिगेशन की।

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