डीएसपी ठाकुर ने बताया कि इस सिस्टम का बेस उन्हें इंटरनेट पर ऐसे डिवाइस से मिला, जो आवाज देने पर तुरंत रिप्लाई करता है, और कमांड भी फाॅलो करता है। अफसर ने इसी आधार पर सिस्टम डेवलप करने के लिए अपने दो दोस्तों से संपर्क किया। इनमें एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है तो दूसरा इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर। तीनों ने मिलकर एक माह में स्मार्ट पार्किंग डिवाइस बनाई और ट्रायल भी कर लिया है।
ऐसे बनाया : इस डिवाइस को बनाने में 35 हजार रुपए की लागत आई है। इसमें एक हाई रेंज कैमरा लगा है, जो 150 मीटर तक फोकस करता है। यह कंप्यूटर और लाउडस्पीकर से कनेक्ट है। जैसे ही कैमरे की रेंज में कोई भी कार, बाइक या अन्य गाड़ी आएगी, लाउडस्पीकर से उद्घोषणा शुरू होगी, जो 15 मिनट तक बंद नहीं होगी। अगर गाड़ी नहीं हटी तो फिर पुलिस आकर इसे हटवा देगी।
हर रोड पर नए सिरे से जेब्रा क्रासिंग
सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में तय हुआ है कि राजधानी की सभी प्रमुख सड़कों और चौराहों पर जेब्रा क्रासिंग फिर बनाई जाएगी। यह काम एक माह में पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। यही नहीं, ऐसे चौराहों-तिराहों की सूची बन रही है, जिनमें रोड इंजीनियरिंग की गंभीर खामियां हैं। एक्सपर्ट की टीम इस काम में लगी है। ऐसे सभी चौराहों का डिजाइन बदला जाएगा। सड़क सुरक्षा समिति की हाल में हुई बैठक में हुए फैसलों को लागू करने के लिए कलेक्टर डॉ. एस भारतीदासन ने नगर निगम, परिवहन, पीडब्ल्यूडी, नेशनल हाईवे, बिजली कंपनी और स्मार्ट सिटी के चुनिंदा अफसरों को मिलाकर टीम बना दी है। इस टीम ने शहर का सर्वे भी शुरू कर दिया है। पीडब्लूडी के अफसरों से कहा गया कि वे शहर के खतरनाक स्पाॅट को खत्म करने के लिए चौराहों की इंजीनियरिंग सुधारने पर सुझाव दें। यहां नए सिरे से स्टॉप लाइन, जेब्रा क्रासिंग, सड़क संकेतक केसाथ-साथ भरपूर लाइट्स लगेंगी ताकि रात में हादसे न हों। जहां जरूरत होगी, वहां डिवाइडर भी बनेंगे। कुछ जगहों पर ट्रैफिक सिग्नल सही तरीके से नहीं चलने की शिकायतें भी मिल रही हैं। ऐसे में सभी सिग्नल के टाइमर एक-दूसरे से मैच करें इसके लिए प्रॉपर रोड इंजीनियरिंग का सहारा लिया जाएगा। सभी सड़कों पर आपसी समन्वय से काम हो इसलिए सभी विभागों के अफसरों को इस टीम में शामिल किया गया है। जिस विभाग को जो जिम्मेदारी दी गई है उसे पूरी करनी होगी। कलेक्टर ने साफ कर दिया है कि एक महीने के भीतर यह सभी काम पूरे हो जाने चाहिए।