रायपुर: 14 साल की उम्र में हुआ एड्स, शादी के लिए परेशान थी फैमिली, फिर

Update: 2020-12-01 02:10 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | 31 साल की संगीता तिवारी 2009 से एचआईवी पॉजिटिव हैं। उन्होंने बताया, जब 14 साल की थी, तब मेरी तबियत बहुत खराब हो गई थी। मुझे 5 यूनिट ब्लड चढ़ाया गया। तब ताे तबियत सुधर गई लेकिन तीन साल बाद फिर कमजाेरी लगने लगी। इस बार जब चेकअप हुआ ताे पता चला कि एचआईवी पाॅजिटिव हूं। मुझे समझ ही नहीं आया कि ये कैसे हाे गया और अब आगे क्या करूंगी। घरवालों को शादी का डर सताने लगा कि बेटी की शादी कैसे होगी, फिर काउंसलर्स ने सलाह दी कि एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति से शादी तय की जा सकती है। 2015 में अभनपुर में मेरी शादी हो गई। अब मेरी 3 साल की बेटी है। हमें डर था कि वाे भी कहीं एचआईवी पाॅजिटिव न हाे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वाे एचआईवी निगेटिव है। हमारे साथ ही रहती है। साथ खाती और सोती है। पाॅजिटिव थिंकिंग और अप्राेच के साथ हम सामान्य जीवन जी रहे हैं।

3 साल पहले हुए एचआईवी संक्रमित, जी रहे हैं सामान्य जिंदगी, जुलाई में की शादी
35 साल के संजय मिश्रा 3 साल से एचआईवी संक्रमित हैं। उन्होंने बताया, 10 साल पहले मेरी शादी भिलाई की युवती से हुई। महज तीन महीने में हमारा तलाक हाे गया। तलाक होने के कारण मैं डिप्रेशन में रहने लगा। बिजनेस में भी बड़ा घाटा हुआ ताे सब छाेड़कर मैं मुंबई चला गया। वहां होटल में मैनेजर की नौकरी करने लगा। दोस्तों की संगत में बुरी आदताें में पड़ गया। 2017 में अचानक तबियत खराब रहने लगी। शरीर कमजाेर हाे गया। कभी चक्कर आता ताे कभी भूख नहीं लगती। चेकअप कराने से पता चला कि एचआईवी संक्रमित हूं। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं। डाॅक्टर ने समझाया कि दुनिया में बहुत सारे लोग एचआईवी संक्रमित हैं और सामान्य जिंदगी जी रहे हैं। तब से शुगर और बीपी के पेशेंट की तरह राेज दवा खा रहा हूं। लॉकडाउन लगने के बाद होटल इंडस्ट्री को हुए घाटे की वजह से नौकरी चली गई। 17 जून को वापस रायपुर आ गया। जुलाई में मैंने अपनी तरह एचआईवी पाॅजिटिव युवती से ही दूसरी शादी कर ली है। अच्छी नाैकरी भी मिल गई है। शादी काे चार महीने हाे चुके हैं। जीवनसाथी मिलने से अब जिंदगी खुशहाल लगने लगी है।

पति के देहांत के बाद परिवार ने हर कदम पर निभाया साथ, 11 साल से जी रहीं एड्स के साथ
38 साल की दीक्षा सिंह पिछले 11 साल से एड्स के साथ जी रही हैं। राेज कुछ दवा लेनी पड़ती है। उन्होंने बताया, 2009 की बात है। मेरे पति की तबियत खराब रहने लगी। जांच से पता चला कि वाे एचआईवी पॉजिटिव हैं। उनकी रिपाेर्ट पाॅजिटिव आने पर मेरा भी टेस्ट किया गया, मेरी रिपाेर्ट निगेटिव आई। पति का इलाज चलता रहा। उनके साथ इलाज के लिए हॉस्पिटल जाती। दवा खिलाती थी। इस दाैरान उन्हे टीबी की बीमारी भी हो गई। 6 महीने में उनका देहांत हाे गया। कुछ समय बाद मेरी रिपोर्ट भी पॉजिटिव अा गई। मेरी रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होने के कारण पांच साल तक ताे डाॅक्टर ने इलाज ही नहीं किया। बाेले कि काेई दवा खाने की जरूरत नहीं। 2014 से मेरा इलाज शुरू हुआ। हॉस्पिटल में 17 दिन तक भर्ती रहीं। वाे बहुत बुरा दाैर था। पढ़े लिखे हाेने के बावजूद डॉक्टर और नर्स का व्यवहार बहुत बुरा था। जिस वार्ड में मैं एडमिट थी, वहां डाॅक्टर और नर्स एड़ी उठाकर उंगली के बल पर चलते थे, जैसे कि हमारे वायरस जमीन पर पड़े हों। इस बुरे दाैर में परिवार ने हर कदम पर साथ दिया। फिलहाल, विहान संस्था से जुड़कर एचआईवी पॉजिटिव लोगों के विकास का प्रयास कर रही हूं।

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