एसएनसीयू की क्षमता 40 बेड करने भेजा जाएगा प्रस्ताव

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Update: 2023-03-24 16:06 GMT
दुर्ग। जिला अस्पताल में नवजात शिशुओं के लिए एसएनसीयू आरंभ किया गया है। अभी इसकी क्षमता 18 बेड की है। नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य पर विशेष फोकस करने के लिए इसकी क्षमता 40 बेड तक की जाएगी। इसके लिए शासन के समक्ष प्रस्ताव भेजा जाएगा। यह निर्णय कलेक्टर पुष्पेंद्र कुमार मीणा की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया। बैठक में कलेक्टर ने कहा कि एनआरसी के माध्यम से कुपोषित बच्चों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। इसके साथ यह भी जरूरी है कि एनआरसी में मिले सुपोषण को बच्चा कायम रख सके। इसके लिए माँ को वहीं पर प्रशिक्षित करना भी जरूरी है। पंद्रह दिनों के दौरान जब माँ बच्चे के साथ एनआरसी में रहती है तो वहां पर पोषित भोजन एवं इसे बनाने के तरीके बताएं जाएं, साथ ही इन्हें खिलाने का नियमित समय भी बच्चों को बताया जाए। कलेक्टर ने कहा कि स्वास्थ्य सुविधाएं प्रशासन के लिए सर्वाेच्च प्राथमिकता हैं और इसके लिए हर संभव संसाधन लगाए जाएंगे। बैठक में सीएमएचओ डा. जेपी मेश्राम एवं अन्य अधिकारी मौजूद रहे। कलेक्टर ने कहा कि टीकाकरण ऐसा क्षेत्र है जिस पर सबसे अधिक फोकस होना चाहिए।
पूर्ण टीकाकरण का लक्ष्य लेकर कार्य करें। जिन सेक्टर्स में यह लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया है उनके सिटी प्रोजेक्ट मैनेजर की कलेक्टर ने प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि नियमित रूप से इस बात की मानिटरिंग होती रहे कि टीके समय पर लग रहे हैं या नहीं। कलेक्टर ने एएनसी के आंकड़ों पर भी समीक्षा की। उन्होंने कहा कि मितानिनों के माध्यम से एएनसी के लक्ष्य का शतप्रतिशत कवरेज प्राप्त करें। एएनसी पर जितना अच्छा फोकस होगा, उतना ही आईएमआर एवं एमएमआर के आंकड़ों को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। नियमित इंटरवेल पर एएनसी होती रहे। इसमें गर्भवती माता के लिए जो जरूरी उपाय हैं वो सुनिश्चित किए जाएं ताकि संस्थागत प्रसव बेहतर तरीके से हो पाए। कलेक्टर ने बैठक में कहा कि जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं की प्रभावी व्यवस्था बनाये रखने के लिए नर्सिंग होम एक्ट के प्रभावी क्रियान्वयन की मानिटरिंग लगातार जरूरी हैं ताकि स्वास्थ्य विभाग के पास सारी जानकारी संकलित रह पाएं। नर्सिंग होम एक्ट के अंतर्गत कुछ जानकारियां नियमित रूप से देनी आवश्यक होती हैं। इनमें यदि किसी तरह की कोताही बरती तो नर्सिंग होम एक्ट के अंतर्गत कार्रवाई करें। कलेक्टर ने कहा कि स्लम एरिया और हाट बाजारों में जो मोबाइल मेडिकल यूनिट भेजी जा रही हैं। उनके माध्यम से आरंभिक रूप से मरीजों के चिन्हांकन में काफी मदद मिल रही है। यहां दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित रहे। साथ ही स्टाफ भी पर्याप्त रहे। यहां किसी भी तरह की दिक्कत नहीं होनी चाहिए। चाइल्ड केयर के लिए दुर्ग जिले के जिला अस्पताल एवं पाटन अस्पताल को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया है। कलेक्टर ने इसके लिए यहां के चिकित्सकों तथा मेडिकल स्टाफ की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि चाइल्ड हेल्थ हमारा फोकस एरिया है। आरंभिक समय में बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य से उनका मानसिक शारीरिक विकास मजबूत हो जाता है।
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