रायपुर सेन्ट्रल जेल में कैदियों को नहीं मिल रहा अच्छा खाना, डीएम ने लगाई फटकार
छग
रायपुर। नए जिला एवं सत्र न्यायाधीश अब्दुल जाहिद कुरैशी पदभार संभालते ही सक्रिय हो गए है। उन्होंने रविवार को रायपुर सेंट्रल और महिला जेल का औचक निरीक्षण किया। रसोई घर का निरीक्षण के दौरान उन्होंने बंदियों को दिए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता जांची और निम्न स्तर का भोजन देने पर आपत्ति जताते हुए जेल अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई। उन्होंने जेल डीआइजी एसएस तिग्गा को निर्देश दिया कि बंदियों को हर हाल में गुणवत्ता रहित अनाज व दाल उपलब्ध कराए। जिला न्यायाधीश ने जेल के भीतर की साफ-सफाई व्यवस्था, बंदियों की मूलभूत सुविधाओं, स्वास्थ, भोजन समेत अन्य सुविधाओं का निरीक्षण कर व्यवस्था सुधारने को कहा। पिछले दिनों हाईकोर्ट के आदेश पर जिला न्यायालय के न्यायाधीशों का तबादला किया गया था। इसी क्रम में दंतेवाड़ा से रायपुर पदस्थ किए गए जिला न्यायाधीश अब्दुल जाहिद कुरैशी ने 11 अगस्त को पदभार संभालते ही नौ सितंबर को होने वाले नेशनल लोक अदालत की तैयारियों को लेकर दिशा-निर्देश दिए। इसी क्रम में रविवार को वे रायपुर सेंट्रल जेल का औचक निरीक्षण करने पहुंचे। उन्होंने बंदियों से मुलाकात करने के साथ पूरे जेल का भ्रमण किया। यहीं नहीं बंदियों को प्राप्त हो रहे भोजन के बारे में जानकारी ली और खुद रसोई घर के अंदर जाकर भोजन की गुणवत्ता को जांचा। जेल नियमावली के अनुसार बंदियों को मिलने वाले भोजन सूची निरीक्षण करने के साथ वहां बोरियों में भरे रखे चावल, दाल आदि को जिला न्यायाधीश ने देखा। अनाज गुणवत्ता पूर्ण नहीं पाए जाने पर आपत्ति जताते हुए डीआइजी से जवाब तलब किया। रसोई घर में भी भारी गंदगी देखकर नाराजगी जताई।
निरीक्षण के दौरान जिला न्यायाधीश अब्दुल जाहिद कुरैशी ने पाकशाला में रखे भोजन तैयार करने वाले बंदियों की पंजी का भी अवलोकन किया तो पाया कि जेल नियमावली अनुसार भोजन तैयार करने वाले बंदियों की पंजी में बंदियों के नाम परिवर्तित न होकर लगातार पूर्व बंदियों से ही भोजन तैयार कराया जा रहा था, जिस पर उन्होंने वहां मौजूद जेल अधिकारियों को निर्देश दिया कि नियमावली अनुसार हर दिन नए बैरकों से बंदियो का चयन कर उनसे भोजन बनवाएं। यह भी कहा कि विशेष दिवसों पर बंदियों को नियमावली अनुसार विशेष आहार देने में किसी तरह की कोताही न बरते। जिला न्यायाधीश ने जेल की स्वास्थ सेवाओं की जानकारी लेते हुए चिकित्सको की उपस्थिति को लेकर निर्देश दिया कि हर बंदी के स्वास्थ्य का परीक्षण नियमित अंतरालों पर होना चाहिए। इसके लिए चिकित्सको की उपस्थिति समय पर कराना सुनिश्चित करे। जेल अधिकारियों को उन्होंने निर्देश दिया गया कि सर्वोच्च न्यायालय,उच्च न्यायालय, जिला न्यायालय या अन्य न्यायालयों से आने वाले निर्णय, जमानत आदेश समेत अन्य आदेश की जानकारी बंदियों को तत्काल दे। विचाराधीन बंदियों के केस लड़ने के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण निश्शुक विधिक सहायता के साथ-साथ एलएडीसीएस के जरिए अधिवक्ता भी उपलब्ध करा रहा है। बंदियों के लिए हर प्रकार की विधिक सहायता समय-समय पर दिया जाना है। हर पक्षकार को न्याय दिलाने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अपनी अहम भूमिका निभा रहा है। जिला न्यायाधीश ने निरीक्षण के दौरान जेल में स्थापित लीगल एड क्लीनिक, न्यायालय से होने वाले वीसी सेवा का भी जाएजा लिया। डीआईजी जेल एसएस तिग्गा ने बताया कि वर्तमान में महिला-पुरूष मिलाकर 3200 से ज्यादा कैदी जेल में बंद है। इस दौरान जिला न्यायाधीश ने कई बंदियों से चर्चा की और कहा कि जेल के रहने के दौरान भी उनके संवैधानिक मौलिक, कानूनी अधिकार सुरक्षित है। हर बंदी को सजग रहने के साथ अपने अधिकार को जानना चाहिए। उनके प्रकरण में न्यायालय में क्या कार्यवाही हो रही है, इस बारे में न्यायालय, जेल अधीक्षक या प्राधिकरण से जानकारी ले सकते है।