कांग्रेस नेता शैलेश नितिन त्रिवेदी की प्रेस कॉन्फ्रेंस...केन्द्रीय बजट को लेकर मोदी सरकार पर साधा निशाना
रायपुर। किसान कांग्रेस अध्यक्ष चंद्रशेखर शुक्ला, आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ रमेश वर्ल्यानी और कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने पत्रकारवार्ता को संबोधित किया। मोदी सरकार पर केंद्रीय बजट को लेकर निम्न बिंदु पर निशाना साधा-
भाजपा और मोदी की किसानों से नफरत केन्द्रीय बजट से स्पष्ट
केन्द्रीय बजट सिर्फ गांव विरोधी, मजदूर किसान विरोधी ही नहीं लूटमार बजट है
केन्द्रीय बजट में पारदर्शिता, कृषि और किसानों को आगे ले जाने के दावे गलत एवं झूठ
प्रधानमंत्री बस इतना बता दें कि 6 साल हो गए हैं किसानों की आय कितनी बढ़ी है?
बजट के डायलोग मत देखिएगा, बजट के आँकड़े देखिएगा। इसमें ये देखना ज़रूरी है कि किस मद में कितना पैसा आवंटित किया गया है। और ये देखने के बाद हैरान होना लाज़मी है।
प्रधानमंत्री कहते हैं बजट पारदर्शी है। पारदर्शी बजट वो होता है जो बजट में कहा जाए और वो ही वास्तव में रहे।
प्रधानमंत्री कहते है कृषि को आगे के जाने वाला बजट है, किसानों की आय दोगुना करने वाला बजट है, इनको लगता है कि बस बोलते जाओ कोई देखने वाला नहीं है।
प्रधानमंत्री बस इतना बता दें कि ये घोषणा किए छः साल हो गए हैं, अब वो बता दें कि किसानों की आय कितनी बढ़ी है।
सरकार इस आँकड़े को दे दे, पर वो आँकड़े जब इनके पास है ही नहीं तो देंगे कहाँ से। इस बजट में भी ये आँकड़ा नहीं बताया गया।
वित्त मंत्री ने 2013-14 और अभी का आँकड़ा दिया, वो या बताना चाह रही थी कि कांग्रेस ने क्या किया और भाजपा ने क्या किया। इस दौरान जितनी ख़रीदी हुई है वो एफ़सीआई ने किया है और एफ़सीआई ने लोन ले रखा है तो इसकी ख़रीदी से सरकार का कोई सम्बंध ही नहीं है।
agriculture and allied activity services में पिछले साल सरकार ने 1.54 लाख करोड़ का बजट रखा था, इस साल 1.48 लाख करोड़ का बजट है।
पीएम किसान योजना में 75 हज़ार करोड़ था इस साल उसमें सिर्फ 65 हज़ार करोड़ रखा गया है। जबकि सरकार अभी तक आधे किसानों तक भी ये योजना पहुँचा नहीं पाई है। 13 प्रतिशत की कटौती क्यों?
अगर पूरे किसानों को इसका लाभ देना पड़ा तो सवा लाख करोड़ का बजट करना पड़ेगा। प्रधानमंत्री की सबसे महत्वकांक्षी योजना थी जिसका बजट घटा दिया गया है।
पीएम आशा - ये दूसरी स्कीम है जिसके ज़रिए किसानों को एमएसपी मिल सके, इसमें पिछले साल बजट में 500 करोड़ रुपया था, इस साल उसे घटाकर 400 करोड़ रुपया कर दिया गया है। इससे बड़ा मज़ाक़ किसानों के साथ नहीं हो सकता ।
MIS and PSS Scheme- इसके ज़रिए सरकार ये प्रयास करती है कि मार्केट में किसानों के फसल का दाम बढ़े। इसके लिए पिछले साल 2000 करोड़ रुपया रखा था लेकिन इसमें से सरकार ने 1000 करोड़ भी खर्च नहीं कर पाई थी। इसलिए इस बात सरकार ने उस बजट को घटा कर 1500 करोड़ रुपया कर दिया है।
Agriculture Infra Fund- प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने ये एक बड़ा फंड create कर दिया है, पिछले साल सरकार ने एक लाख करोड़ रुपया दिया था। इसमें से भी सरकार की ओर से 2990 करोड़ का प्रिन्सिपल अग्रीमेंट हुआ है, दिया नहीं गया है। इसमें से भी सरकार पिछले साल सिर्फ़ 200 करोड़ खर्च किया है। और इस बार ये सिर्फ़ 900 करोड़।
मनरेगा - 65 हज़ार करोड़ था पिछले साल में जबकि इसमें एक लाख करोड़ से ज़्यादा का खर्च किया जाना चाहिए, इस बार बजट में 73 हज़ार करोड़ का प्रावधान किया है। जबकि इस बार कोरोना की वजह से इसमें और बढ़ा देना चाहिए था। गांव गरीब किसान को रोजगार देने से परहेज।
कृषि पर खर्चा बढ़ाने की बजाय घटा दिया गया है।
गांव विरोधी, किसान विरोधी लूटमार बजट है।
किसानों की उम्मीदों को झटका।
कोई किसान इस बजट से खुश नहीं हैं।
2022 में आय दुगुनी करने की बात की थी। किया कुछ भी नहीं- 15 लाख सबके खातों में, दो करोड़ रोजगार हर साल की ही तरह यह भी जुमला निकला।
किसान के नाम पर उपभोक्ताओं को लूटेंगे।
किसान बिल से उपभोक्ताओं को लूटेंगे।
जमाखोरों को प्रोत्साहन देंगे।
एसी, ट्रेन, प्लेन से फसल पहुंचने की हवाहवाई बातें। यह किसान को राहत नहीं है। हवाई सेवा जिसे अडानी जैसे बड़े पूंजीपति चलायेंगे। फायदा भी वो ही कमायेंगे।
15 लाख करोड़ से बढ़ाकर 16.50 लाख करोड़ का कृषि ऋण -किसान को कर्जदार बनाये रखना चाहते है। उस पर कर्ज का बोझ और बढ़ाना चाहते है।
एमएसपी को लागत का डेढ़ गुना करने की बात लेकिन लागत में से किसान की स्वयं की मजदूरी को हटा दिया, जबकि स्वामीनाथन कमेटी के सिफारिशों से यह स्पष्ट लिखा था।
न्यूनतम समर्थन मूल्य के दायरे में अन्य फसलों को लाने का चर्चा लेकिन कोई प्रावधान नहीं किया।
धान, गेहूं की ही समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं हो पा रही है : कैसे होगी बजट खामोश।
प्रति वर्ष 10000 करोड़ और मिलने की संभावना है लेकिन कुछ भी नहीं बताया, कैसे मिलेगा?
फसलों के दामों में बहुत कम वृद्धि।
कृषि आदान एग्रीकल्चर इनपुट के दाम लगातार बढ़ा रही है सरकार।
आय दुगुनी करने की बात सिर्फ जुमला।
किसानों के साथ सरकारी धोखा।
किसानों पर लाठिया बरसाने के बाद मोदी सरकार के इस बजट की मार।
बहुत सफाई से स्वामीनाथन कमेटी का नाम हटा दिया, जबकि भाजपा के घोषणा पत्र में
स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिश लागू करने की बात की थी।
एफसीआई की पीडीएस खरीदी पर रोक : नेशनल स्माल सेविंग फंड से लोन नहीं। एफसीआई के आगे फंड का संकट। एफसीआई के संपत्ति माडगेज करनी होगी।
खाद सब्सिडी में बढ़ोत्तरी की उम्मीदे पूरा नहीं की।
कृषि निर्यात को प्रोत्साहन नहीं।
सोना-चांदी पर शुल्क घटाया।
डीजल 4 रू., पेट्रोल 2.5 रू. पर कृषि सेस। सेस केन्द्र सरकार रखेगी। राज्यों का हिस्सा काटने की साजिश है। 25 कृषि कमोडिटी पर सेस।
क्रूडपाम आइल, सोयाबीन आइल काबुली चना देशी चना वाइन यूरिया, अमोनियम नाइट्रेट सब पे सेस लगाया।
सोना-चांदी कस्टम ड्यूटी कम।
लोहा, तांबा, स्टील कस्टम ड्यूटी कम।