ऑक्सीजोन के मायने ही बदल दिए, लोगों ने बना दिया आस्था का केंद्र, दो मंदिरों के बाद अब जैतखाम स्थापित करने की चर्चा
ऑक्सीजोन भी अब मोतीबाग का रूप ले रहा, झूले सहित मनोरंजन के उपकरण गायब
अपने-अपने हवाओं के मायने, सुबह मार्निंग वॉक और शाम को रोमांस गार्डन
सरकार की मंशा और करोड़ों की लागत से बने ऑक्सीजोन बना रहे आस्था का केंद्र
ऑक्सीजोन के आसपास होटलों-व्यवसायिक काम्प्लेक्स के धुंए से ऑक्सीजोन से ऑक्सीजन गायब
राजधानी के सभी पार्को में गंदगी, लोग हलाकान, शुद्ध हवा की जगह मिल रहा जहरीला धुंआ
आक्सीजोन में हो रहे अतिक्रमण के लेकर सोसायटी के लोग मिलेंगे महापौर और कमिश्नर से
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। सरकार ने राजधानी के लोगों को प्रदूषण से मुक्त रखने के लिए शुद्ध हवा देने कलेक्ट्रेट के पीछे ईएसी कालोनी को तोड़कर ऑक्सीजोन जिस उद्देश्य से बनाया गया तथा शहर के अंदर विभिन्न क्षेत्रों में पार्क बनाए गए थे, वह मूल उद्देश्य से भटक गया है। यहां सामाजिक राजनीति की शुरूआत हो चुकी है। वही हाल मोतीबाग का हैं जहां लोगों को सुकून की मोती तलाशने की जगह शर्मिंदगी का बाग देखने मिलता है। शर्म को ताक में रखकर युगल जोड़े इस तरह बैठे रहते हैं जैसे यह बाग न होकर बैडरूम हो। बच्चे और महिलाएं यदि गलती से मोतीबाग चले जाए तो जंग लगे झूले और मनोरंजन के उपकरण नहीं होने की निराशा की झलक उनके चेहरे में साफ देखा जा सकता है। आने वाले दिनों में आक्सीजोन की हालात कमतर यही होने वाली हैं। जहां शुद्ध हवा और सुकून की जगह बीमारियों के वायरस घर लेकर आएंगे।
ऑक्सीजोन में जैतखाम स्थापित होने की खबर
अपुष्ट सूत्रों के अनुसार ऑक्सीजोन में स्थापित पूर्व में मंदिरों के बाद अब कुछ समाजसेवी ऑक्सीजोन में जैतखाम स्थापित करने जा रहे है जिसकी भनक लगते ही सोसायटी के रमेश अग्रवाल के साथ लोग एक-दो दिन में महापौर और कमिश्नर से मुलाकात कर ऑक्सीजोन को सिर्फ ऑक्सीजोन बने रहने दे उसे कोई धार्मिक स्थल न बनाए जाने की मांग करेंगे। साथ ही वे महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस से भी शिकायत करने वाले हैं। गौरतलब है कि श्री रमेश बैस का मकान भी ऑक्सीजोने के पास सोसाईटी में है। वैसे भी सनातन धर्र्म वृक्षों को देव तुल्य माना जाता है, पेड़ों की पूजा ही देवी-देवताओं की पूजा से बढ़कर है। बस्तर सहित समूचे विश्व के आदिवासी समुदाय वृक्ष को ही जीवंत देवी-देवता मानकर पूजते आ रहे है इसके पीछे आदिकाल से चले आ रहे गूढ़ रहस्य को समझना होगा। दुनिया के सभी धार्मिक ग्रंथों-शास्त्रों और आयुर्वेद के मुताबिक सुबह की हवा लाख की दवा कहा गया है। लेकिन लगता है राजधानी वासियों के भाग्य में ऐसा सुख भोगना नहीं लिखा है। राजधानी में लोगों की सुविधा के लिए बनाए गए पार्क और ऑक्सीजोन इन दिनों लोगों के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं। लोग सुबह स्वच्छ हवा के लिए आते है लेकिन उन्हें ऑक्सीजन के बजाय कार्बन डाइऑक्साइड लेना पड़ रहा है। आक्सीजोन के आसपास मनमाने तरीके से खुले होटलों के कारण सुबह टहलने वालो को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आक्सीजोन और शहर के अन्य पार्क घूमने लायक बचा नहीं है। कई पार्कों की स्थिति यह है कि वहां पर लोग जाने के लिए तैयार ही नहीं हैं। इन पार्कों में बड़ी-बड़ी घास में कीड़े-मकोड़े के छिपे होने का डर लोगों को सता रहा है। जबकि राजधानी के बीचोबीच मोतीबाग में चारों ओर कूड़ा फैला होने के चलते लोगों के लिए समस्या बनी हुई है। पार्कों की स्थिति खराब होने के चलते लोग सड़कों पर टहलने के लिए मजबूर हैं। वहीं विभिन्न मोहल्लों की मुख्य गली में गंदगी पसरी होने से लोग परेशान हैं।
राजधानी में करीब दर्जनों पार्क लोगों के लिए सुबह व शाम टहलने के लिए बनाए गए थे। इन पार्कों के बनाने का मकसद था कि लोग खुले में आकर हरियाली और स्वच्छ हवा का आनंद ले सकें। लेकिन कई पार्कों की स्थिति यह है कि लोगों की सुविधा के लिए बनाए गए पार्कों की हालत बदतर हो चुकी है। लोग स्वस्थ्य रहने सुबह टहलने निकलते हैं लेकिन देखा ये जा रहा है वे अस्वस्थ्य होकर घर लौट रहे हैं। अधिकारियों द्वारा पार्कों की ओर ध्यान न देने के चलते लोग सड़कों पर टहलने के लिए मजबूर हैं। सुबह नियमित टहलने वाले कई लोगों द्वारा बार बार पार्कों की स्थिति सुधारने के लिए अधिकारियों से गुहार लगाई है, लेकिन इसके बाद भी अधिकारियों ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया है। प्रेस क्लब के पास स्थित मोतीबाग में फैला प्लास्टिक का कूड़ा-कचरा और पार्क के आधे हिस्से में भरे गंदे पानी से लोगों को बीमारियां फैलने का भय बना हुआ है। कमोबेश यही हाल शहर के कई पार्कों का है। जिसके चलते लोग पार्क में जाने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रहे है।
उद्देश्य से भटका प्रशासन घूम फिर कर उसी मार्ग पर
सरकार की योजना जनता की भलाई के लिए और सुरक्षा को ध्यान में रखकर क्रियान्वयन किया जाता है। मामला ऑक्सीजोन का है जो राजधानी के कलेक्टोरेट के पीछे ईएसी कालोनी और खालसा स्कूल के सामने 45 दुकानों को को तोड़कर लोगों को शुद्ध हवा देने के लिए ऑक्सीजोन को मूर्त रूप दिया गया। दुकान तोडऩे को लेकर दुकानदारों में भारी आक्रोश तत्कालीन सरकार को झेलनी पड़ी। वहीं दुकानदार ऑक्सीजोन बनाने के लिए दुकान नहीं तोडऩे के और मुआवजा के लिए कोर्ट में भी याचिका दायर की लेकिन कोई लाभ नहीं मिला। खालसा स्कूल के सामने बने 45 दुकानों तोडऩे के एवज में आज तक दुकानदारों को मुआवजा नहीं मिला है। अभी भी यह मामला कोर्ट में लंबित है। दुकानदारों को उम्मीद था कि सरकार उन्हें दुकान के बदले के दूसरे जगह निगम के शांिपग काम्प्लेक्स या नवनिर्मित दुकानों में जगह देगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ । पीडि़त दुकानदार आज तक न्याय के लिए भटक रहे है।अब फिर से सरकार पार्क और आक्सीजोन के आसपास फूड जोन बनाने के साथ एक होटल भी खोलने की योजना बना रही है। तो सोचने वाली बात यह है कि जब ऑक्सीजोन के आसपास फूडजोन और होटल बनाना ही था तो खालसा स्कूल क् सामने दुकानों को तोड़कर क्यों दर-बदर कर दिया गया। फिर वही घूम फिर कर आना था तो क्यों लोगों को रोजी रोजगार छीना गया, जो आज भी काम के लिए भटक रहे है।
ऑक्सीजोन के पास एक बड़े होटल खेलने की चर्चा
आक्सीजोन आने वाले आगंतुकों को रिलेक्स के लिए एक सर्वसुविधा युक्त होटल खुलने की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। जानकार लोगों की माने तो सरकार राजधानी के पार्कों और आक्सीजोन के आसपास फूड जोन खोलने का मन बना चुकी है। चाहे आक्सीजोन प्रदूषित हो या पार्क फूड जोन के कचरे और वेस्ट से वहां आने जाने वाले नागरिक प्रदूषण के शिकार हो ।
फूडजोन और होटल खोलने का विरोध शुरू
प्रकृति प्रमियों और सुबह-सुबह मार्निंग वाक करने वाले जागरूक नागरिकों ने पार्क और ऑक्सीजोन के आसपास होटल और फूडजोन कलने का विरोध शुरू कर दिया है। पार्क और ऑक्सीजोन बनाने का उद्देश्य लोगों के स्वास्थ्य पर प्रदूषण का असर न हो। इसलिए सुबह-सुबह ताजा आक्सीजन लेकर दिन भर तरोजाता रहे, जिसके लिए सरकार ने करोड़ों रूपए खर्च करने के बाद अब फिर शहर के कचरों को पार्क और ऑक्सीजोन में होटल और फूडजोन खोलकर डंपिंग जोन बनाए जाने की खबर से मार्निंगवाक करने वालों और पार्क और ऑक्सीजोन के आसपास रहने वाले रहवासियों ने विरोध करना शुरू कर दिया है।