प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, भ्रष्ट अधिकारियों का कारनामा
केंद्र सरकार सड़क जांचने को तैयार, कई कांग्रेसी जा सकते है जेल
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में छत्तीसगढ़ में भ्रष्ट्रम अधिकारियों के पास मंत्री को भी पता नहीं कौन सा अधिकारी छुटभैया कांग्रेसी नेता का रिश्तेदार है और कब क्या गुल खिलाएगा?
छत्तीसगढ़ में पुरानी कांग्रेसी सरकार के सर्वोच्च भ्रष्ट्र अधिकरियों के हाथों में ही सभी निविदा की प्रक्रिया मनमाने ढंग से आपा-धापी में बंदरबाट
भाजपा सरकार के नए मंत्री और पदाधिकारी विभागीय कार्रवाई को समझ पाते उसके पहले ही अधिकारियों ने अपना गुणा-भाग फिट कर दिया
भ्रष्ट्र अधिकारी विगत 20-25 सालों से इसी विभाग में कार्यरत कभी छुटभैया कांग्रेसी नेताओं के साले-जीजा और भाई हुआ करते थे अब कट्टर RSS का राग आलाप रहे है
छत्तीसगढ़ की सभी 12 सड़कों का 600 करोड़ लगभग का बड़ा घपला-घोटाला रोकने के लिए भाजपा सरकार और संबंधित विभाग के मंत्रियों को कमर कसनी होगी और चौकन्ना होकर त्वरित कार्रवाई करनी होगी
रायपुर। छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत लगभग 12 जिलों में सड़क निर्माण किए जाने हेतु कार्य स्वीकृत हुआ है और उसकी टेंडर प्रक्रिया भी पूर्ण की गयी है। लगभग 45 से 50 करोड़ का सड़क निर्माण काम प्रत्येक जिले में होने की खबर है। इस तरह पूरे प्रदेश के 12 जिलों में 600 करोड़ का टेंडर हुआ है। ठेकेदारों ने टेंडर से काम लिया है लेकिन इतने कम दर पर कार्य स्वीकृत हुआ है। जिससे सड़क निर्माण का कार्य गुणवत्ता पूर्ण होने में मुश्किल होगी।
केंन्द्र सरकार जांच करने को तैयार, बड़े और छुटभैया नेता जाएंगे जेल
छत्तीसगढ़ में निर्माणाधीन प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़कों के गुणवत्ता निरीक्षण के लिए राष्ट्रीय गुणवत्ता समीक्षक इस महीने राज्य के दौरे में रहेंगे। राष्ट्रीय गुणवत्ता समीक्षक श्री सालवे विवेक भाऊराव सरगुजा, रायगढ़ एवं जांजगीर चांपा, राम प्रकाश सिंह कोण्डागांव एवं नारायणपुर, बिमल कुमार टिक्कू बीजापुर एवं सुकमा जिलों का दौरा करेंगे।
लेकिन किस तरह कम बजट में कार्य पूर्ण होगा यह आश्चर्यजनक है। वहीं विगत 5 वर्षों से दर में कोई वृद्धि नहीं हुई है जबकि महंगाई बढ़ी है मजदूरों का दर, निर्माण सामग्री रेट गिट्टी डामर का दर, डीजल का दर बढ़ा है ऐसी स्थिति में 20 परसेंट बिलो कार्य स्वीकृत होना और उसमें गुणवत्तापूर्ण कार्य होना संभव नहीं है। ऐसी भी खबर मिली है कि जिन मार्गों की निविदाएं की गई है उसे मार्ग में नरेगा के अंतर्गत अर्थ वर्क किया गया है। जबकि वर्तमान टेंडर में भी अर्थ वर्क का बजट जुड़ा होना बताया जा रहा है। ऐसा लगता है कि उस अर्थ वर्क को टेंडर की प्रक्रिया में विभागीय मदद से घालमेल किया जाएगा।
तभी यह काम हो सकता है अन्यथा गुणवत्तापूर्ण मार्ग निर्माण संभव नहीं है। प्रदेश के संपूर्ण सड़क निर्माण के कार्य में लगभग 100 से 80 करोड़ का कार्य मिट्टी से होना है। यह भी पता चला है की जानबूझकर वहीं निविदा बुलाई गई है जहां मिट्टी का कार्य नरेगा के माध्यम से पिछले वर्षों में हुआ है।
जांच का विषय है कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत इस तरह की लापरवाही क्यों की गई है और उन मार्गों का चयन क्यों किया गया है जहां पर पूर्व से ही नरेगा के माध्यम से सड़कों में मिटटी मुरम का काम हो चुका है? फिर टेंडर के दर में मिटटी मुरम के कार्य को क्यों नहीं अलग किया गया है। यह तकनीकी रूप से भ्रष्टाचार करने का नया तरीका तो नहीं अपनाया गया है?