- सड़क निर्माण की गुणवत्ता सैकड़ों शिकायत के बाद भी नहीं जागा प्रशासन
- लगातार अखबारों में सोशल मीडिया में सुर्खियों में रहने वाला विभाग योजना में सरकार को लगा करोड़ों का फटका, अधिकारी नींद में
- ठेकेदार-इंजीनियरों का सिंडिकेट निगल गया सड़कों को
- इस खबर के संबध में सीईओ आलोक कटियार से उनका पक्ष जानना चाहा लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर । प्रदेश में यदि सबसे ज्यादा अखबारों की सुर्खियों में रहने वाला पीएमजीएसवाय गांवों में सड़कों के निर्माण के लिए जिम्म्ेदार है। गुणवत्ता की लापीपोती को लेकर सरकार और प्रशासन के ढीले रवैये से सरकारी राजस्व के साथ ग्रामीणों को नुकसान झेलना पड़ रहा है। न गांवों में सड़क बनी और जहां सड़क बनी है वहां भी गा्रमीण आज भी पगडंडी पर निर्भर है। क्योंकि सड़क इस लायक नहीं की उस पर इंसान चले और वाहन को चलाया जा सके। ग्राम का सीधा संपर्क सड़कों के माध्यम से होने वाली इश योजना को पलीता लगाने का सिलसिला अनवरत जारी है। दिल्ली और प्रदेश में गठित जांच एजेंसी ने आज तक शिकायतों को न महत्व दिया और न ही सड़क की गुणवत्ता की जांच की। वेट डिफ्लेक्टोमीटर मशीन खरीदने का लाभ सरकार को नहीं मिल पाया. क्योंकि इस मशीन का उपयोग सड़कों की गुणवत्ता जांच के लिए हुआ ही नहीं आखिर कार यह मशीन कबाड़ में तब्दील होते जा रही है। करोड़ों की यह मशीन यदि सड़क की गुणवत्ता जाचती तो शायद मशीन पर लगाई लागत रिटर्न हो सकती थी। जानकारों का कहना है कि इसके पीछे एक सिंडिकेट काम कर रहा है जो कागज पर सड़क बनाकर पूरी राशि का बुगतान समय से पहले करा लेता है। ऐसे में जांच एजेंसी आखिर जांचेगी क्या? उसे तो वहां तक पहुंचने ही नहीं दिया जाता । होटलों में सेवादारी करके ठेकेदार और इंजीनियर दिल्ली वापसी की रवानगी डलवा देते है।
पीएमजीएसवाई के अंतर्गत सड़क निर्माण कार्य में ठेकेदार व प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अधिकारियों द्वारा जमकर भ्रष्टाचार कर स्तरहीन निर्माण सामग्री का उपयोग कर सड़क निर्माण कराया जा रहा है। प्रदेश में हर जगह सड़कें बनायी गई एवं पांच साल के मेंटनेन्स सहित संविदा की पूर्ति भी गई है, किन्तु भ्रष्टाचार के कारण सड़कें केवल नाम मात्र के लिए ही निर्मित की गई, जिसमें भारी भ्रष्टाचार हुआ। गुणवत्ताहीन सड़क निर्माण से कुछ महीनों में ही सड़कों पर दरारें आ रहीं हैं और जगह-जगह धंसने भी लगी हैं। योजना के तहत बनी सड़कों का कमोबेश पूरे प्रदेश में एक जैसा हाल है। अधिकारियों ने इस योजना को तिजोरी भरने का माध्यम बनाकर ठेकेदारों को घटिया निर्माण करने का लाइसेंस दे दिया है। जो सड़कें वर्तमान में बन रही हैं उसकी गुणवत्ता निर्माण स्थलों का निरीक्षण कर जांचा जा सकता है वहीं कुछ साल बनी सड़कों की दुर्दशा घटिया निर्माण की कहानी खुद ही बयां कर रही हैं। पांच साल तक सड़कों के मेंटनेंस की जिम्मेदारी भी ठेकेदार पूरा नहीं कर रहे हैं। राज्य निर्माण के साथ ही जब से योजना शुरू हुई है अधिकारियों की मिलीभगत से ठेकेदारों ने जमकर कमाई की है। राज्य सरकार और लोक निर्माण विभाग भ्रष्टाचार की शिकायतों को संज्ञान में लेने की जगह ठेकेदारों और कमीशन खोर अधिकारियों को उपकृत कर रहा है। सड़क घोटालों को छुपाने के लिए राज्य सरकार मरम्मत के लिए भी टेंडर जारी कर उन्हें कमाई का मौका देती है जिससे करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है।
निर्माण कार्यों की नहीं हो रही मानिटरिंग : केन्द्र सरकार ने इस भ्रष्टाचार और घोटालों को रोकने के लिए एक देख-रेख समिति बनाई, लेकिन छत्तीसगढ़ में इस समिति को कोई निगरानी कार्य नहीं सौपा गया। इस योजना में कार्य कर रहे की अधिकारी सालों से एक ही स्थान पर जमे हुए हैं, जिनके कभी ट्रांसफर हुए भी वे कुछ ही महीने में पुन: उन्ही इलाकों में पदस्थ हो गए। पीएमजीएसवाई के अंतर्गत बनायी गई सड़कें बहुत कम समय में खराब होने व गुणवत्ताहीन निर्माण की शिकायते लगातार ग्रामीण राज्य सरकार के साथ केन्द्र सरकार से भी कर रहे हैं। पीएमजीएसवाई के तहत केन्द्र को सड़कों के निर्माण में घटिया सामग्री उपयोग किए जाने सहित कार्यों की खराब गुणवत्ता से संबंधित कई गंभीर शिकायतें मंत्रालय को मिली हैं। कई बार निविदा तथा ठेका प्रबंधन एवं गुणवत्ता नियंत्रण सहित कार्यक्रम के जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करने के लिए राज्य सरकार को आदेशित भी किया गया तथा राज्यों से ये अपेक्षा की गई है कि वे ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई करें। बावजूद अधिकारी शिकायतों पर परदा डालकर ठेकेदारों को मनमाने ढंग से काम करने की छूट देकर भ्रष्टाचार का मौका दे रहे हैं।
एक भी ठेकेदार पर कार्रवाई नहीं : प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत सड़क निर्माण में लगीं एजेंसियों और ठेकेदारों के खिलाफ भ्रष्टाचार और गड़बडिय़ों की शिकायत पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। योजना के शुरू होने के साथ ही प्रदेश में हजारों किमी सड़कें बनाई गई और बनाई जा रही हैं। जिसमें सैंकड़ों की तादात में कई श्रेणी के ठेकेदार लगे हुए हैं। अब तक बनी लगभग 70 फीसदी से ज्यादा सड़कों के घटिया निर्माण को लेकर ग्रामीणों ने आवाज बुलंद की है, कई निर्माणाधीन सड़कों में गुणवत्ता हीन और घटिया मटेरियल के साथ सड़कों के निर्माण को लेकर मीडिया में खबरें आ रही है. ग्रामीण इसे लेकर प्रदर्शन और अधिकारियों को ज्ञापन भी सौंप रहे हैं लेकिन किसी भी शिकायत पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। आज तक किसी ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट तक नहीं किया गया है। मैदानी स्तर पर जमे अधिकारी उच्चाधिकारियों से सेटिंग कर ठेकेदारों को मोटे कमीशन लेकर शिकायतों पर परदा डाल रहे हैं।