हनुमान जन्मोत्सव पर कविता

Update: 2023-04-05 05:47 GMT

अमरता के नम्र धारक, हनुमत सा कोई और नही....

राम प्रिय हे, भरत हिय हे, रुद्रांश रूद्र के तुम प्यारे।

तेरे मन मंदिर सिय राम रमते,तुम हो अनुपम न्यारे।।

भय नाशक ,भूत संहारक, तुम स्वर्ण भविष्य पालक।

पवन तनय, सिया दुलारे , तुम अंजनी आँख के तारे।।

अमंगल मारक,मंगल कारक,तुम सा कोई और नही।

चैतन्य सचेतक,हरि संकेतक, तुम सा कोई और नही।

कृपा निधान हे बल निधान हे,शील गुण निधान हे।

रामकथा सुनने वालों में ,श्रोता तुम सा कोई और नही।।

सेवा धर्म निभाना कोई तुम से सीखे,कैसी हो सेवकाई।

स्वारथ वश संसारी को लगता,जैसे कोई करे लरकाई।।

स्वयं से न जो जूझते, बस सुख खातिर देव पूजते।

जग को राह दिखाया करके , सेवा सदा सुखदाई।।

राम सिय संदेश वाहक,शोक विनाशक तुम सा कोई नही।

लक्ष्मण प्राणदाता संकट त्राता, तुम सा कोई और नही।।

तेरा पताका जो फहराये,विजय सफलता माथ नवावे।

हे अमरता के विनम्र धारक, तुम सा कोई और नही।।

रोशन साहू ( मोखला )

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