पीएमजीएसवाय: अनुबंध के विपरित बजट बढ़ाकर विभाग को लगा रहे चूना

टेंडर में अनुबंध राशि बजट से 25 फीसदी कम, अफसरों की मनमानी से डीपीआर की नहीं हो रही मानिटरिंग

Update: 2022-02-13 06:18 GMT

रायपुर (जसेरि)। प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक़ योजना में काम की गुणवत्ता पर पहले से ही प्रश्नचिन्ह खड़े होते रहे हैं। निर्माण एजेंसी के द्वारा बनवाई गई सडक़ें, साल-दो साल में ही उखड़ जा रही है। वहीं, अब एक ऐसा प्रकरण आया है। जिसमें ठेकेदार ने सडक़ निर्माण के लिए विभाग के घोषित टेंडर से 25 प्रतिशत यानि एक करोड़ 10 लाख रुपये कम मूल्य पर काम करने का अनुबंध कर लिया है। विभाग में चर्चा है कि ठेकेदार बिना लाभ के कोई काम तो करेगा नहीं। स्पष्ट है कि विभाग ने डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) ऐसा बनाया जिसमें शासन को एक करोड़ 10 लाख रुपये अधिक भुगतान करना पड़ता। कंपीटीशन के कारण ही सहीं, ठेकेदार ने 25 प्रतिशत कम राशि में काम करने का अनुबंध कर शासन के पैसे बचा लिए। जनता से रिश्ता लगातार पीएमजीएसवाई में हो रहे भ्रष्टाचार को प्रकाशित कर विभाग के सज्ञान में लाते रहा है। किंतु विभाग आज तक गरियाबंध में 25 साल से जमीन अधिकारी पीके वर्मा के खिलाफ काई जांच नहीं कर पाई है।

आरंग ब्लाक के बोरिद, अछोली और गोविंदा तथा धरसीवां ब्लाक के टेकारी और माना बस्ती गांव में ये सडक़ें बननी है। इन सडक़ों को बनाने के साथ इन्हें गौरव पथ से जोड़ा जाएगा। एक-एक किमी लंबी और चार-चार मीटर चौड़ी इस सडक़ के दोनों ओर नालियां बनाई जाएंगी। इन कामों के लिए विभाग ने जब सर्वे के बाद डीपीआर बनवाया तब उसका कुल बजट चार करोड़ रुपये रखा। फिर टेंडर प्रक्रिया शुरु की गई। विभाग के अफसर तब चकित हो गए जब अंबिकापुर प्रोजेक्ट नामक ठेका कंपनी ने 25 प्रतिशत कम दर पर यानि दो करोड़ 90 लाख रुपये में पांचों सडक़ निर्माण का टेंडर लिया है।
25 फीसद कम रेट डाला: ठेकेदार ने काम करने के लिए जो रेट डाले, उसमें विभाग की घोषित चार करोड़ की राशि से ये 25 प्रतिशत कम है। स्पष्ट है कि ऐसी स्थिति में टेंडर तो अंबिकापुर प्रोजेक्ट को ही मिलना था। साथ ही ये भी स्पष्ट हुआ कि विभाग ने खर्चो का वास्तविक आंकलन किए बिना ही रेट तय करवा दिया था। ऐसे एक टेंडर का प्रकरण उजागर हुआ है। विभाग के द्वारा टोटल बजटक्व में करवाए काम की गुणवत्ता भी समय-समय पर सामने आती रही है। विभागीय सूत्र बताते हैं कि जो डीपीआर बनवाया जाता है उसमें ठेकेदार के लिए निर्धारित कमीशन भी जोडकऱ रखा जाता है। अफसर ये तर्क देते हैं कि कम्पीटीशन के कारण ठेकेदार कम रेट डालते हैं। निर्धारित से 25 प्रतिशत कम रेट पर जाकर निर्माण करने वाला ठेकेदार अपनी कमाई भी निकाल लेता है। तब तो ये स्पष्ट है कि विभाग ने अनावश्यक रूप से इतना बढ़ा बजट बनाकर रख लिया था। सरकारी विभागों में ऐसा खेल चलते रहता है। जब किसी ठेकेदार को उपकृत करना होता है तब अफसर किसी काम के लिए बजट को बढ़ा देते हैं। ठेकेदार आशंका जता रहे हैं कि आरंग और धरसीवा ब्लाक की इन पांच सडक़ों के प्रकरण में भी विभाग ने ऐसा ही खेल खेला है। ठेका किसी और को मिलना था पर संयोगवश अंबिकापुर प्रोजेक्टक्व ने निर्धारित रेट से 25 प्रतिशत कम में काम करने की स्वीकृति देकर सारा खेल बिगाड़ दिया।
25 साल से जमे अधिकारी के खिलाफ शिकायत के बाद भी विभाग ने दे दिया है अभय दान
रायपुर स्थित आरंग ब्लाक के तीन गांव और धरसीवां ब्लाक के दो गांव को गौरव पथ से जोड़ा जाएगा। इसके लिए टेंडर जारी कर दिया गया है। कम्पीटीशन के कारण ठेकेदार ने कम रेट डालकर काम प्राप्त किया है- बीआर सोनी, ईई पीएमजीएसवाय रायपुर


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