- जनता से रिश्ता की ग्राउंड रिपोर्ट में सड़कों के निर्माण में लापरवाही सामने आई
- अफसर-ठेकेदार काट रहे चांदी, योजना का बुरा हाल
- लोगों को सुविधा के नाम पर परोस रहे घटिया सड़कें
- छ: माह भी नहीं टिकती सडकें, पहली बारिश में ही धूल रहीं
- शिकायतों पर खानापूर्ति, जांच के नाम पर लीपापोती
- सरकार से उपकृत अधिकारी बांट रहे, क्वालिटी प्रमाण पत्र
निर्माण के चंद महीनों में सड़कें जर्जर
पीएमजीएसवाय की सड़कें देश की 27 राज्यों में गुणवत्ता और समयकाल के अनुरूप बनने के सैकड़ों उदाहरण केंद्र ौर राज्य सरकार के राजपत्र में मिलते है, लेकिन छत्तीसगढ़ में अधिकारियों और इंजीनियरों की भर्राशाही ने सारी हदें पार दी है। देश का इकलौता राज्य छत्तीसगढ़ है जहां पीएमजीएसवाय की सड़कें पिछले 20 सालों से विवादों और चर्चाओं में रहा है। गरियाबंद जिले में जो सड़कें पीएमजीएसवाय के इंजीनियरों, ठेकेदारों और अधिकारियों ने बनवाई है, जो मात्र खाना पूर्ति का जीता जागता स्वरूप है। हाल ही में जनता के रिश्ता के रिपोर्टर और फोटोग्राफर ने गरियाबंद जाकर ग्राउंड रिपोर्टिंग कर ग्रामीणों से पीएमजीएसवाय की गुणवत्ता पर चर्चा की। गरियाबंद के स्थानीय निवासियों के साथ ग्रामीणों ने पीएमजीएसवाय की बनी ग्राम संपर्क सड़कों को गाड़ा रेगान की उपाधि से नवाजा है। ग्रामीणों का कहना है कि विबाग ने सड़क के नाम पर सिर्फ और सिर्फ लीपापोती की है। न तो पहले लेयर में सड़क की एक फीट खुदाई की और न ही दूसरे लेयर में बोल्डर डाले। मात्र मिट्टी की परत चढ़ाकर उस पर गिट्टी डालकर उस कर डामर की एक पतली लेयर डालकर उस पर रोलर चलाकर सड़क ओके कर दिया है। ग्रामीणों ने बताया कि 21 दिन पहले पूर्ण हुई गरियाबंद की ग्रामीण इलाकों की सड़कें वाहन चलने के साथ गिट्टी और डामर की परत उखडऩे लगी है। डामर की लेयर गिट्टी पर रोलर चलने के बाद कम से कम आधा इंच होनी चाहिए वह लेयर गरियाबंद की सड़कों में कही दिखाई नहीं दे रही है।
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना लोगों की बुनियादी सुविधा से ज्यादा अधिकारियों और ठेकेदारों के लिए कमाई का जरिया बन गई है। घटिया और दोयम दर्ज के निर्माण कर अधिकारी-ठेकेदार मलाई खा रहे हैं। सरकार और संबंधित विभाग अपने ही रिटायर्ड अधिकारियों से निर्माण की गुणवत्ता जांच करवा कर निर्माण की गड़बड़ी को ढांककर शिकायतों पर परदा डाल रहे हैं और भ्रष्टाचार की खुली छुट दे रहे हैं। परिणाम स्वरूप निर्माण लागत की आधी रकम अधिकारियों और ठेकेदारों की जेब में पहुंच रही है। ठेकेदार और विभागिय अधिकारी के साथ मिलकर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क का रुपया गटक लिया जा रहा है। कहीं भी गुणवत्ता युक्त सड़क नहीं बनाया गया है, और उन रुपयों को ठेकेदार, नेता और अधिकारी मिलकर चट कर रहे हैं। संभागीय मुख्यालयों में सालों से जमे अधिकारी अपने चहेते ठेकेदारों के माध्यम से योजना को संपत्ति बनाने का माध्यम बना रखे हैं। गरियाबंद, कोरिया, कवर्धा, बालोद से लेकर राज्य के हर संभाग में योजना के तहत बनाई सड़कों के निर्माण, मरम्मत और पुल-पुलियों के निर्माण में मापदंडों की अवहेलना कर सरकारी धन का बंदरबाट किया जा रहा है। मंत्री से लेकर उच्चाधिकारी तक योजना में मैदानी अधिकारियों और ठेकेदारों के कारनामों से वाकिफ हैं लेकिन प्रशासनिक उदासीनता और भेंट पूजा के कारण कोई उनका कुछ बिगाड़ नहीं पा रहा है।
भौतिक सत्यापन और लेन-देन का आडिट जरुरी
छत्तीसगढ़ में ग्रामीण सड़क योजना एवं प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के नाम पर गामीण अंचलों का पैसा अधिकारियों और ठेकेदारों ने अपनी तिजोरी में बेखौफ होकर बंद कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ शासन के विभागीय मंत्री को पूरे छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजनाओं के तहत बनी सड़कों का भौतिक सत्यापन और टेंडर के सभी लेन-देन का ऑडिट उच्चस्तरीय टीम से जाच कराना चाहिए जिससे निर्माण कार्य में जाँच के नाम पर सिर्फ लीपापोती की जा रही है उसका खुलासा हो सके। योजना के तहत बनाई गई सडक़ों में मापदंडों व नियम कायदों दरकिनार कर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारी ठेकेदारों से मिलीभगत करके बेतहाशा मुनाफा कमा रहे हैं। चूँकि शहरी क्षेत्र की सडकों को प्रधान मंत्री ग्राम सडक़ योजना की परिधि से बाहर रखा गया है। और केवल गावं की ही सडक़े इस परिधि में है जिसका फायदा अधिकारी उठा रहे है। सड़क निर्माण के चंद दिनों बाद ही खराब हो गई हैं और जगह-जगह डामर की परत भी उखड़ रही है। इन सडक़ों में जीएसबी और डब्ल्यूएमएम में हजारों घन मीटर क्रशर मेटल का उपयोग होना था लेकिन उसका उपयोग नहीं किया गया बल्कि हजारों घन मीटर क्रशर मेटल के उपयोग के नाम पर चोरी की गई और करोड़ों रुपयों का सीधा-सीधा बंदरबांट किया गया।
क्वालिटी कंट्रोल की जांच में भी लीपापोती
क्वालिटी कंट्रोल को जांचने वाले अधिकारी भी बिना देखे क्वालिटी कंट्रोल का मानक प्रमाण पत्र दे कर घोर लापरवाही और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे है। गांव की आम जनता ठेकेदार की दादागिरी और क्षेत्र के छुटभैय्ये नेताओं की दबंगई से डर कर खुलकर विरोध एवं शिकायत करने से भी डरते हैं क्योंकि विभाग के अधिकारी मनमाने ढंग से शिकायतों का निपटारा बिना कार्रवाई किए स्थानीय स्तर पर ही कर देते हैं।
अधिकारियों की नई दुकान यानी
राज्य में प्रधान मंत्री ग्राम सडक़ योजना के तहत बनाई गई सडक़ो की गुणवत्ता नियंत्रण के लिए व्यवस्था भी है। जिसके अनुसार सड़क बनाने वाले परियोजना अधिकारी जो जिला स्तर का होता है उसकी जिम्मेदारी होती है साथ ही उनके सहायता के लिए विभाग के ही सेवानिवृत अधिकारियो को शामिल किया जाता है लेकिन देखने में आता है कि ये अधिकारी भी ठेकेदारों से मिलकर लाखो रूपये वारा न्यारा कर देते है। प्राय: प्रत्येक सडक़ का राज्य गुणवत्ता समीक्षक एवं राष्ट्रीय गुणवत्ता समीक्षक द्वारा कम से कम तीन बार निरीक्षण करना अनिवार्य है । सिर्फ ऐसी सड़के जिनकी गुणवत्ता उच्च स्तर की हो, को ही मान्य किया जाता है। लेकिन देखने में आ रहा है कि ठेकेदारों पर इन अधिकारियो का लगाम नहीं है। पिछले कुछ महीने में जो सड़के बनी है वह उच्च गुणवत्ता युक्त नहीं है। और स्थल पर तो तत्काल का बिछाया हुआ डामर का मिश्रण भी उखड रहा है। ठेकेदार नियम शर्तों के विपरित सड़क पर डामरीकरण का कार्य करते है। डामरीकरण के कार्य के लिए सड़क निर्माण कार्य और डामर प्लांट की दूरी महज 60 किलोमीटर के अधिक नहीं होनी चाहिए लेकिन ठेकेदार दूसरे निर्माण के लिए बनाए गए डामर प्लांट जो निर्धारित दूरी से भी ज्यादा दूर स्थित हैं वहां से डामर की ढुलाई करते हैं। इसी कारण ठंड के मौसम में डामरीकरण का कार्य और उसका टेम्परेचर कम होने के कारण सड़क कुछ ही घंटों में उखड़ रही है।
डामर की लेयर का अता-पता नहीं
सड़क निर्माण कार्य में डामर के साथ हजारों घन मीटर क्रशर गिट्टी 20 एम एम का मिश्रण डामर प्लांट में तैयार कर सडक निर्माण में बिछाकर रोलर से रोलिंग किया जाता है उसके बाद सील कोट भी जीरा गिट्टी के मिश्रण से किया जाता है। सड़क निर्माण कार्य में ठेकेदार शासन के नियम शर्तों मापदंडों के अनुसार सड़क निर्माण कार्य किया जाता है इस सारस ताल से जरौधा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की सड़क में डामरीकरण का कार्य किया जा रहा है जहां पर डामरीकरण के कार्य में सड़क पर बिना टामपरेचर के डामर बिछाकर कार्य किया जा रहा है जो डामरीकरण के कुछ ही घंटों बाद सड़क से डामर उखड़ रहा है। इसकी शिकायत लगातार ग्रामीण अधिकारियों और संबंधित विभाग से कर रहे हैं लेकिन जांच में लीपापोती कर ठेकेदारों और निर्माण कार्य की देखरेख करने वाले अधिकारियों को अभयदान दे कर शिकायतों को कचरे के पिटारे में डाल दिया जाता है। इससे भ्रष्ट अधिकारी और ठेकेदार निरंकुश होकर बेखौफ योजना के माध्यम से अकूत धन कमा रहे हैं।
निर्माण पूरा होने से पहले ही दम तोड़ रही सड़कें
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत सड़क निर्माण कार्य में ठेकेदार व प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अधिकारियों द्वारा जमकर भ्रष्टाचार कर स्तरहीन निर्माण सामग्री का उपयोग कर सड़क निर्माण कराया जा रहा है। प्रदेश में हर जगह सड़कें बनायी गई एवं पांच साल के मेंटनेन्स सहित संविदा की पूर्ति भी गई है, किन्तु भ्रष्टाचार के कारण सड़कें केवल नाम मात्र के लिए ही निर्मित की गई, जिसमें भारी भ्रष्टाचार हुआ। गुणवत्ताहीन सड़क निर्माण से कुछ महीनों में ही सड़कों पर दरारें आ रहीं हैं और जगह-जगह धंसने भी लगी हैं। योजना के तहत बनी सड़कों का कमोबेश पूरे प्रदेश में एक जैसा हाल है। अधिकारियों ने इस योजना को तिजोरी भरने का माध्यम बनाकर ठेकेदारों को घटिया निर्माण करने का लाइसेंस दे दिया है। जो सड़कें वर्तमान में बन रही हैं उसकी गुणवत्ता निर्माण स्थलों का निरीक्षण कर जांचा जा सकता है वहीं कुछ साल बनी सड़कों की दुर्दशा घटिया निर्माण की कहानी खुद ही बयां कर रही हैं। पांच साल तक सड़कों के मेंटनेंस की जिम्मेदारी भी ठेकेदार पूरा नहीं कर रहे हैं। राज्य निर्माण के साथ ही जब से योजना शुरू हुई है अधिकारियों की मिलीभगत से ठेकेदारों ने जमकर कमाई की है। राज्य सरकार और लोक निर्माण विभाग भ्रष्टाचार की शिकायतों को संज्ञान में लेने की जगह ठेकेदारों और कमीशन खोर अधिकारियों को उपकृत कर रहा है। सड़क घोटालों को छुपाने के लिए राज्य सरकार मरम्मत के लिए भी टेंडर जारी कर उन्हें कमाई का मौका देती है जिससे करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है।
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