नकली रेमडेसिविर के अपराधी अब तक पकड़ से बाहर

Update: 2021-06-15 05:44 GMT

खूनी व्यापारी नेता ने अपनी पकड़ और अकड़ छत्तीसगढ़ में साबित कर दिखाया

व्यापारी नेता छत्तीसगढि़ओं पर भारी पड़ा

व्यापारी नेता का छग के कानून को अपने जेब में रखने का दावा

मौत के सौदागरों ने साबित किया कि वे आपदा को भी अवसर बनाकर लाभ कमा सकते हैं

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। राजधानी में नकली रेमडेसिविर ऑर्डर नहीं मिलने के मामले में अभी कोई कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी है। पुलिस ने शिकायत के आधार पर पूछताछ कर शिकायतकर्ता का बयान दर्ज कर उसकी रिपोर्ट एसपी कार्यालय में जमा कर दिया है। उसके बाद मामले को ड्रग विभाग को सौंप दिया है। ड्रग विभाग की जांच में प्रगति अब तक सामने नहीं आई है। और ना ही इस मामले में कोई गिरफ्तारी हुई है। ये मामला कोरोनाकाल के समय का है जब रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालबाज़ारी लगातार बढ़ती जा रही थी। जिसका आड़ लेकर कई व्यापारियों ने जल्दी पैसा कमाने के लिए कालाबाज़ारी का शॉर्टकट तरीका अपना लिया है। ऐसी आशंका जताई जा रही थी कि छत्तीसगढ़ में भी नकली रेमडेसिविर की बिक्री हुई होगी। अप्रैल और मई के पहले सप्ताह में जब कोरोना चरम पर था। लोगों की मौत हो रही थी और कोरोना संक्रमित के स्वजन रेमडेसिविर के लिए भटक रहे थे, उस दौरान छत्तीसगढ़ के बाजार में रेमडेसिविर की जमकर कालाबाजारी हुई।

प्रदेश में हुई नकली रेमडेसिविर की सप्लाई

रायपुर से पूरे प्रदेश में नकली रेमडेसिविर की सप्लाई की गई। सरकारी और नकली रेमडेसिविर की सप्लाई मनचाहे डिस्ट्रीब्यूटर्स के माध्यम से कराई गई थी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कई दवा कारोबारी अपने रिश्तेदारों के नाम से फर्म बनाकर रेमडेसिविर की कालाबाजारी किये है। सरकार ने खाद्य एवं औषधि विभाग को रेमडेसिविर की खरीदी और अस्पताल में मरीजों को लगे रेमडेसिविर का हिसाब रखने का निर्देश दिया था, लेकिन उसके बाद भी फर्जी मरीज बनाकर रेमडेसिविर को अपने कब्जे में लिया गया और उसके बाद में उसे महंगे दाम पर बेचा गया।

ये था पूरा मामला

डायमंड एजेंसी ने कंपनी को आठ लाख एडवांस दिया, लेकिन मध्य प्रदेश में रैकेट पकड़े जाने के बाद सप्लाई नहीं हो पाई। सूत्रों की मानें तो एक मई को रैकेट पकड़े जाने से पहले लाखों रुपये बिना बिल के रेमडेसिविर की सप्लाई छत्तीसगढ़ में हो चुकी थी। प्रदेश में कोरोना के इलाज में इस्तेमाल हो रहे रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर हाहाकार और कालाबाजारी को देखते हुए कई लोगों ने इंजेक्शन की कालबाज़ारी शुरू कर दी थी।

जांच हो तो ऐसी

कंपनी से सीएंडएफ के पास कितनी रेमडेसिविर आई। कंपनी ने किन-किन डिस्ट्रीब्यूटर्स को किस-किस कंपनी का इंजेक्शन सप्लाई किया। डिस्ट्रीब्यूटर्स ने किस अस्पताल को सप्लाई किया। अस्पताल में इंजेक्शन सप्लाई किस आधार पर की गई और कहीं ज्यादा कहीं कम सप्लाई के लिए दोषी कौन है। रायपुर और आसपास के अस्पताल में भी इंजेक्शन की सप्लाई और मरीजों की संख्या के आधार पर उपयोग की जांच की जाए।

शिकायत के आधार पर कथन लेकर दस्तावेज एसपी को सौंप दिए गए है। आगे की कार्रवाई ड्रग विभाग कर रहा है।

दुर्गेश रावटे, थाना प्रभारी, माना

मैं अभी इस मामले में कुछ नहीं बता सकता। ड्यूटी आवर में जानकारी लेनी चाहिए।

केडी कुंजांम, ड्रग कंट्रोलर

मप्र के बाद छग में भी हुआ खुलासा

मध्य प्रदेश में गिरफ्तारी के बाद से ही छत्तीसगढ़ में भी नकली रेमडेसिविर का मामला उजागर हुआ था। मध्य प्रदेश में गिरफ्तार नकली रेमडेसिविर के अपराधी ने छत्तीसगढ़ के नामी व्यापारि नेताओं का नाम पुलिस को अपने बयान में बताय, लेकिन व्यापारि नेता अपने चालाकी और नेतागिरी के ताकत से इंदोर पुलिस की जांच और रायपुर आने के पहले ही मामले को रफा-दफा करने हेतु भारी रकम खर्च की और अपने आप को बचाने हेतु पहले ही छग पुलिस को एफआईआर दर्ज कराने पहुंच गए। सूत्रों से जानकारी मिली छग पुलिस ने अब तक उक्त एफआईआर के थाने में कार्रवाई के अलावा किसी भी प्रकार का जांच या उचित कानूनी प्रकिया शुरु नहीं की जो एक आर्शय चकित और आचभित करने वाला वाक्या आमजनता के लिए चर्चा का विषय है।

ज्ञात रहे की नकली रेमडेसिविर खरीदी के मामले में राजधानी के माना थाने में शिकायत दर्ज हुई थी। जांच में पता चला है कि मध्य प्रदेश में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने वाले सूरत स्थित आदिनाथ डिस्पोबल को ही रायपुर की डायमंड एजेंसी ने रेमडेसिविर की खरीदी का आर्डर दिया था। आदिनाथ डिस्पोबल कंपनी के संचालक कौशल वोरा हैं, जो देशभर में एक लाख नकली रेमडेसिविर इंजेक्शंस सप्लाई करने के रैकेट में मुख्य आरोपी हैं।

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