मोवा के आदर्श नगर में कचरा फेंकने वालों की हदें पार

Update: 2025-02-07 03:02 GMT

रायपुर। एक ओर देशभर में स्वच्छता अभियान पर करोड़ों रुपए खर्च हो रहे हैं, प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक स्वच्छता का संदेश दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर रायपुर के रानी लक्ष्मी बाई वार्ड क्रमांक 10 मोवा इलाके में कुछ ढीठ नागरिकों की करतूतें इन प्रयासों को ठेंगा दिखा रही हैं। मामला आदर्श नगर का है, जहां नाले को कचरा घर बना दिया गया है। आदर्श स्कूल के पीछे बहने वाले नाले के किनारे पॉश कॉलोनी होने के बावजूद यहाँ के कुछ रहवासी कचरा, बोरी, पॉलीथीन में भरकर सीधे नाले में फेंक रहे हैं। थर्माकोल, कपड़ा, बिस्तर, मलबा, लकड़ी, डंठल, जूठन व खड्डे तक को नाला में फेंक रहे हैं।मानो नाला उनके निजी कचरा घर में बदल चुका है। वहीं सीसी रोड पर कचरा फेंकने का रिवाज भी बना हुआ है। हैरानी की बात यह है कि जब उन्हें रोका जाता है तो वे न केवल सुधरते बल्कि उलटे नाराज हो जाते हैं। शिकायतें दर्ज कराने के बावजूद अब-तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि बरसात के दिनों में यही गंदगी मुसीबत का कारण बनती है। नाले में फेंका गया कचरा पानी के प्रवाह को रोक देता है, जिससे पूरा मोहल्ला गंदे पानी से लबालब भर जाता है। स्थिति इतनी खराब हो जाती है कि लोगों का घरों से निकलना मुश्किल हो जाता है।

स्थानीय निवासियों ने कई बार टोलफ्री नंबर पर शिकायतें दर्ज करवाईं, लेकिन नतीजा शून्य रहा। लोगों का आरोप है कि प्रशासन भी इस मामले में निष्क्रिय नजर आ रहा है, और दोषी नागरिक बेखौफ होकर नाला भरने में लगे हुए हैं।

इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए रायपुर नगर निगम को सख्त कार्रवाई करनी होगी। स्वच्छता नियमों का उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना लगाया जाए और आवश्यकता पड़ने पर कानूनी कार्रवाई भी हो। यहां कचरा फेंकने वालों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने की जरूरत भी है। इसके अलावा संवेदनशील इलाकों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं या लगाने के लिए प्रोत्साहित करें ताकि दोषियों की पहचान हो सके और नगर निगम कार्यवाही कर सके। यह घटना साफ दिखाती है कि स्वच्छता केवल सरकार का काम नहीं, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है। अगर ऐसे लोगों की मानसिकता नहीं बदली गई तो स्वच्छता अभियान का सपना साकार करना मुश्किल होगा।स्वच्छता का संदेश घर-घर तक पहुंचाने के बावजूद ढीठ लोग कसम खा चुके हैं कि उन्हें नहीं सुधरना। अब देखना यह है कि जिला प्रशासन व नगर निगम इन पर कब और कैसे नकेल कसता है।


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