कर लेते है लोग मौत पर भी राजनीति, ऐ हिन्द के शेर! हम तुम्हें सलाम करते हैं

Update: 2021-10-15 05:08 GMT

जाकिर घुरसेना - कैलाश यादव

जिन किसानो को तेज रफ़्तार गाडिय़ों से कुचला गया वे किसान मंत्री का विरोध प्रदर्शन करने नहीं जा रहे थे बल्कि प्रदर्शन करके वापस लौट रहे थे। उत्तरप्रदेश के उपमुख्यमंत्री एक स्थानीय कुश्ती मुकाबले को देखने हेलीकाफ्टर से जा रहे थे वहां किसानो के भीड़ और प्रदर्शन को देखते हुए वापस जा चुके थे। इसी बात का गुस्सा मंत्री पुत्र को था और उनके काफिले ने वापस लौट रहे किसानो को कुचलते हुए गाड़ी निकाल दिया था। अब माननीय मंत्री जी का कहना था कि घटना के वक्त उनका पुत्र था ही नहीं। जिस वाहन से किसानो को रौंदा गया वह गाड़ी उनकी जरूर थी लेकिन उनका बेटा वाहन नहीं चला रहा था। माननीय मंत्री जी एक सभा में आंदोलनकारी किसानो को धमकाते हुए कहा भी था और अपनी फेसबुक आईडी में उसका वीडियो भी डाला था कि हम इनको सुधार देंगे सिर्फ दो मिनट का वक्त लगेगा। इसी प्रकार की भाषा हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर साहब भी बोल गए थे कि कार्यकर्ता डंडे उठा लो, मुक़दमे की चिंता न करो जमानत हम दिलवा देंगे दो-चार महीने अंदर रहोगे तभी तो बड़े नेता बनोगे। जनता में खुसुर फुसुर है कि मंत्री जी अपने पुत्र को बड़ा नेता बनाने के जुगत में तो नहीं थे। छत्तीसगढ़ में एक मामूली घटना से उपजे बवाल से सैकड़ो लोगो को गिरफ्तार किया गया जबकि वीडियो फुटेज देखने के बाद भी मंत्री पुत्र को गिरफ्तार करने में कई दिन लगे। जब एसआईटी ने यही सवाल किया कि घटना के वक्त वह कहां था जिसका जवाब मंत्री पुत्र नहीं दे सका। यानी सब गोलमाल है।

आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं होता

अब तक कश्मीर में जितनी भी हत्याएं हुई है, आतंकवादियों ने अधिकतर आम नागरिको को ही मारा है। ये सब कश्मीर में अमन चैन चाहने वाल थे। यही बात आतंकवादियों को हजम नहीं हो रही है और वे निर्दोषो को मार रहे हैं। आतंकियों ने पिछले बरस लगभग 28 निर्दोषो की हत्या की जिसमे 21 मुस्लिम बाकी 7 में सिख और हिन्दू थे। कुछ दिन पहले भी आतंकियों ने 7 लोगो की हत्या की जिसमे तीन मुस्लिम एक सिख, एक कश्मीरी पंडित और दो राज्य के बाहर के मजदूर थे. इन सभी हत्याओं में आतंकियों ने कभी भी किसी का परिचय पत्र पूछकर या देखकर नहीं मारा , अचानक उनको ऐसा क्या हुआ कि मारने के पहले धर्म देखना पड़ा जबकि कहा ये जाता है कि आतंकियों का कोई धर्म नहीं होता।उनका मकसद ही दहशतगर्दी फ़ैलाना होता है। पिछले दिनों अखबारों में यह आया कि कश्मीर के मस्जिदों से ऐलान किया जा रहा है कि हिन्दुओ और सिख्खों की हिफाजत की जिम्मेदारी मुस्लिमो की है। इस बात की तस्दीक श्रीनगर के लाल चौक में होटल चलाने वाले मुदस्सर भाई और कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति के अध्यक्ष संजय टिक्कू ने भी की है। फिर क्यों हिन्दु मुस्लिम में नफरत फैलाया जा रहा है। सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए राष्ट्रिय एकता को खतरे में नहीं डालना चाहिए बल्कि हर समुदाय में आपसी सौहार्दपूर्ण वातावरण का निर्माण करना चाहिए। यह भी कहा जा रहा था कि कश्मीर में सिर्फ एक ही परिवार का कब्ज़ा है साथ ही 370 हटने के बाद विकास की गंगा बहेगी जिसमे आतंकी बह जायेंगे। आतंकी बहे तो नहीं बल्कि नए नए आतंकी गुट पैदा हो गए। इस बीच पांच सिख जवानो का शहीद होना यह भी सोचने का विषय है कि अब अचानक नए आतंकी गुट कहाँ से पैदा हो गया। क्या यह सिर्फ चुनावी फायदे के लिए तो नहीं? जनता में खुसुर फुसुर है कि ऐसा हुआ जिसमे आधार कार्ड देखकर निर्दोषों को मारा गया। देखा ये जा रहा है कि कश्मीर में आम आदमी और जवान दोनों सुरक्षित नहीं हैं। इस प्रकार की हत्या जनता के समझ में नहीं आ रहा है। इसकी गहराई से जाँच होनी चाहिए और निर्दोष के परिवारों को न्याय मिलनी चाहिए। इस पर किसी ने ठीक ही कहा है कि कर लेते है लोग मौत पर भी राजनीति, ऐ हिन्द के शेर! हम तुम्हे सलाम करते हैं।

सीएम बघेल ने लगाया सिक्सर

चावल घोटाले और कवर्धा के मामले में रमनसिंह, विष्णुदेव साय, धरमलाल कौशिक, बृजमोहन अग्रवाल, अजय चंद्राकर के आरोप-प्रत्यारोप और भाजपाइयों नेताओं के मगरमच्छ वाले आंसू बहाने पर पलटवार करते हुए कहा कि पहले डा. रमनसिंह ये बताए कि नान घोटाले में लिखी डायरी में सीएम मैडम लिखा है, उसके बारे में खुलासा करें। वहीं खीरी में किसानों को 50 लाख देने पर तंज पर सीएम बघेल ने कहा कि मैं किसान हूं और किसानों की पीड़ा समझता हूं। भाजपाई तो हमेशा से किसान विरोधी रहे है इनको किसानों को सहयोग देना रास नहीं आने वाला है। भाजपाई सिर्फ और सिर्फ अपने राजनीतिक फायदे के लिए कुछ में कर सकते है। यूपी के मुख्यमंत्री योगी को खुले मंच पर ललकारते हुए डरपोक कहकर सीएम बघेल ने सिक्सर जड़ दिया है। जनता में खुसुर -फुसुर है कि चुनाव जैसे -जैसे नजदीक आते जाते है नेताओं के बोल बिगड़ते जाते है। ये बड़बोलापन कोई नई बात नहीं है। राजनीति में सब जायज है। कोई स्थायी दुश्मन नहीं होता। अपने-अपने हाईकमान को खुश करने की यह सहज राजनीतिक प्रक्रिया का हिस्सा है।

कैसे खतरे में आ गए हिन्दू-बकौल कौशिक

नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक हिन्दुओं के खतरे में होने का राग अलाप रहे है। प्रदेश में 60 प्रतिशत हिन्दू और 2 प्रतिशत मुस्लिम सहित 38 प्रतिशत अन्य जाति के लोग रहते है। 15 साल भाजपा के शासन काल में कौशिक जी को कोई खतरा नजर नहीं आया। सत्ता से क्या बाहर हुए मति भ्रमित हो गई है। कुछ भी अनाप-शनाप बयान दे रहे हैऔर छत्तीसगढ़ की शांत भूमि को अशांत करना चाहते है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि क्या कौशिक जी किसे खतरा मानते है। सत्ता से बाहर होने को या जनता को फिर से भाजपा को सत्ता में लाने के लिए नया राग अलाप रहे है।

नेताओंं की दोहरी राजनीति

लखीमपुर हिंसा मामले में किसान नेता राकेश टिकैत ने कार चालक और भाजापा कार्यकर्ताओं की हत्या को एक्शन का रिएक्शन बताया। इस पर कांग्रेस जहां मौन रही वहीं कर्नाटक में मारल पुलिसिंग की घटनाएं बढऩे के मामले में मुख्यमंत्री बसव राजू के घटना पर प्रतिक्रिया होना लाजमी है,संबधी बयान पर कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने कटाक्ष करते हुए कहा है अगर बीजेपी के मुख्यमंत्री गुंडागर्दी को सही ठहराएंगे तो कानून का पालन कौन कराएगा। जनता में खुसुर-फुसुर है कि एक तरह की घटनाएं पर राजनेताओं के अलग-अलग बयान को पब्लिक समझती है और गुनगुनाती है- ये तो पब्लिक है सब जानती है।

बधाई हो बधाई

मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत छत्तीसगढ़ उन राज्यों में शामिल हुआ जहां 80 प्रतिशत से भी अधिक काम हो चुका है। कई राज्यों में तो एक चौथाई से भी अधिक कार्य नहीं हो सका। भाजपा सांसद इसके बधाई के पात्र है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि भाजपा सांसद फिर नेतागिरी के बजाय काम पर ध्यान दे रहे है क्योंकि आने वाला है चुनाव।                                                                                                    

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