PEKB को मिली जरूरी मंजूरी, अब छत्तीसगढ़ को मिलेगा इतने करोड़ जीएसटी शेयर

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Update: 2024-07-13 16:17 GMT
रायपुर: राजस्थान अपने परसा पूर्व और केते बेसन (पीईकेबी) कोयला ब्लॉक से करीब 180 लाख टन कोयला उत्पादित कर रहा है । केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार से सभी आवश्यक स्वीकृतियां प्राप्त करने के पश्चात मार्च 2013 से पीईकेबी कोल ब्लॉक में कोयला उत्खनन प्रारम्भ कर दिया गया था जो कि अभी जारी है। राजस्थान की छाबड़ा, कालीसिंध एवं सूरतगढ़ स्थित करीब 4340 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता पीइकेबी कोयला खदान पर निर्भर है। राज्य सरकार ने तीन खदानों के आवंटन के चलते इन विद्युत इकाइयों के साथ-साथ संचरण एवं वितरण के नेटवर्क पर 40,000 करोड़ रुपये से ज्यादा निवेश किए हैं।
जरूरी मंजूरिओ के बावजूद खुदकी खदानों से अतिरिक्त कोयला ना मिल पाने से आज आरआरवीयूएनएल अपनी कोयला आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार की कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) पर निर्भर है। दूसरी ओर जरूरी ग्रेड के कोयले की उपलब्धता पर अनिश्चितता के कारण सीआईएल से आपूर्ति हो रही है। गर्मियों में पावर एक्सचेंज से बिजली की कीमतें और भी बढ़ जाती हैं। छत्तीसगढ़ की पीईकेबी, परसा और केते एक्स्टेन्शन खदानों से मिलने वाले कोयले से राजस्थान सरकार बिजली की कीमत को नियंत्रण में रख पाएगी।आरआरवीयूएनएल के सुचारु संचालन के चलते पीईकेबी खदान को पर्यावरण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन, कर्मचारी स्वास्थ्य और सुरक्षा जैसे विषयों मे उत्कृष्ट प्रदशन के चलते कोयला मंत्रालय ने लगातार चार साल से पांच सितारा पदक से नवाजा है। राजस्थान सरकार ने छत्तीसगढ़ प्रशासन को भरोसा दिलाया है कि आरआरवीयूएनएल परसा और केते एक्स्टेन्शन को भी देश की मॉडल खदानें बनाएगी।
आरआरवीयूएनएल छत्तीसगढ़ सरकार के खजाने में माल और सेवा कर, रायल्टी, जिला खनिज निधि, एनएमईटी, वन कर और मुआवजा उपकर के रूप में सालाना एक हजार करोड़ रुपये से अधिक का योगदान देता है। पिछले दस सालों मे पीईकेबी खदान द्वारा राज्य सरकार को अभी तक लगभग सात हजार करोड़ रूपए से भी ज्यादा विभिन्न करों की अदायगी के रूप में प्रदान किए जा चुके हैं। भविष्य में बाकी की दोनों खदानें शुरू हो जाने से यह राशि दो से तीन गुना बढ़ जाएगी ।
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