PDS scam: अधिकारियों को भनक तक नही, चावल को पतला व पॉलिश कर 60 रुपए किलो में बेच रहे

Update: 2024-06-29 05:54 GMT

PDS scam

अधिकारियों को भनक तक नही, चावल को पतला व पॉलिश कर 60 रुपए किलो में बेच रहे

एक रुपए का चावल बिक रहा 25 में, इस खेल में बिचौलिए हो रहे मालामाल

सत्यापन नहीं होने से अमीरों ने बना रखा है गरीबी रेखा का कार्ड और खुले बाजार में बेच रहे चावल

राशन का सामान दलालों के माध्यम से पहुंचता है बाजार में

कहीं कहीं हितग्राही मुनाफे के लालच मेें खुद बेचते हैं

रायपुर raipur news। देश में 60 साल पहले जब अकाल पड़ा था, तब गरीब अतिगरीब और आर्थिक रूप सक्षम लोगों को आसानी से राशन मिले इसके लिए राशन कार्ड सिस्टम लागू किया गया था तािक कोई भी भुखमरी से न मरे। बाद में इसका राजनीतिक करण हो गया। जिसकी पार्टी की सरकार होती थी, उसी को राशन दुकान आवटित किया जाता था, ताकि मानिटरिंग के साथ लोगों को राशन उपलब्ध हो सके। यह परिपाटी चलते-चलते अब बाजार में पहुंच चुकी है। देश में और प्रदेश में गरीबों को मिलने वाला सारा राशन अब खुले रूप से दलालों के माध्यम से बाजार में बिक रहा है जिसकी कमाई से दलाल औऱ कारोबारी लाल तो हो रहे है और कारोबारी मालामाल हो रहे हैं। आज गरीबों का सत्यापन को कोई मापदंड नहीं है। गरीब से गरीब घर में दो बाइक,फ्रीज, टीवी उपलब्ध है। सरकारी जमीन पर कब्जा धारी हो या पीएम आवास में रह रहा हो सभी परिवार का भौतिक सत्यापन हो ताकि वास्तिवक गरीबों का चावल गरीबों को मिले। अब तो नेताओं ने सिस्टम को अपने फाय़दे के अनुरूप ढाल लिय़ा है। ताकि उनकी कमाई में कही भी रोड़ा नहीं अटके और आज राशन दुकान उन छुटभैय़ा नेताओं के इशारे पर चल रहे हैं। जिसमें सबसे ज्यादा लापरवाही खाद्य विभाग के अधिकारियों की है जो कार्ड के हिसाब से मोटे नजराने पर दुकान संचालन करने आवंटित कर रहे हैं। औऱ दुकानदार से लेकर कार्ड धारक खुले बाजार में राशन बेच रहा है।

Chhattisgarh Government छत्तीसगढ़ शासन द्वारा गरीबों को दिया जाने वाला पीडीएस सिस्टम के तहत एक रुपया किलो के दर से दिया जाने वाले पीडीएस सिस्टम के चावल की खुलकर खरीद फरोख्त की जा रही है। खाद्य अधिकारियो को भनक तक नहीं है या उनके संरक्षण में खेल हो रहा है तफ्सीस करने पर जानकारी होगी।

Chhattisgarh सरकार अत्यंत गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को और गरीबी रेखा में आने वाले लोगों को सस्ते दर पर चावल और अन्य सामग्री उपलब्ध करा रही है जिसे खुले मार्किट में बेच दिया जा रहा है। एक रूपये किलो की दर से 35 किलो चावल उठाकर उसे दलालों के माध्यम से 17 रूपये किलो की दर से खुले बाजार में बेचा जा रहा है। मजे की बात ये है की इस चावल को पॉलिस कर पतला और चमकीला कर 60 रूपये प्रति किलो की दर से से ब्रांडेड बताकर बेचा जा रहा है। अभी हाल में ही नया राशन कार्ड बनाया जा रहा है जिसमे सिर्फ कार्ड को ही बदला जा रहा है। जबकि नया राशन कार्ड बनने पर पूरी तहकीकात कर परिवार के सदस्यों की जानकारी सहित आय की भी जानकारी कर बनाया जाना चाहिए। ऐसा नहीं करने से विभाग द्वारा बनाए गए राशन कार्डों पर सवाल खड़े हो रहे हैं। लोगों ने बताया की अपात्र लोगों का भी बीपीएल राशन कार्ड बना दिये गये जिन्हें इस योजना की कोई जरूरत नहीं थी। ऐसे लोग ही हैं जो पीडीएस की चावल को सरकारी राशन दुकान से 1 रूपये किलो के दर से 35 किलो चावल उठाकर खुले बाजार में 17 रूपये प्रति किलो के दर से बेच रहे हैं।

पीडीएस चावल की खरीदी बिक्री रुक नहीं रही है

Chief Minister's Foodgrain Scheme मुख्यमंत्री खाद्यान्न योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले जरूरतमंद हितग्राहियों को दिया जाने वाला राशन जिले भर के बाजारों में खुलेआम बिक रहा। खाद्य सुरक्षा कानून लागू होने के बाद भी ग्रामीण एरिया के व्यापारी साप्ताहिक हाट बाजारों में पसरा लगा इस चावल को खरीद रहे, और शहरों में सीधे राशन दुकानों में बेचा जा रहा है। दूसरी ओर ऐसे हितग्राही जीने पीडीएस सिस्टम के चावल को खाना नहीं होता लेकिन राशन कार्ड होने की वजह से आसानी से मिल जाता है,वे एक रुपए में मिलने वाला चावल को फायदे के लालच में व्यापारियों को बेच रहे हैं, राशन के चावल की होने वाले अवैध खरीद-फरोख्त कारोबार की जानकारी विभागीय अमले को होने के बाद भी अवैध खरीद-फरोख्त पर अंकुश लगाने जिम्मेदार विभागीय अफसर आंख मुंड कर बैठे हुए हैं। जानकारी के मुताबिक प्रदेश में बीपीएल 58 लाख , अंत्योदय 4 लाख, एपीएल 10 लाख, सहित प्रदेश में लगभग 70 से 75 लाख राशन कार्डधारी हितग्राही है। हितग्राही परिवारों को एक रुपए प्रति किलो की दर से प्रतिमाह राशन की दुकानों से पात्र हितग्राही परिवारों को प्रदान किया जाता है। एक रुपए प्रति किलो की दर से लगभग 35 किलो चावल महज 35 रुपये में मिलता है। जिसे 17 रुपए प्रति किलो की दर से व्यापारियों को बेच लोग सीधा-सीध मुनाफा कमा रहे हैं। वहीं व्यापारी भी इस चावल को पॉलिस करवाकर 60 से 70 रूपये प्रति किलो की दर से बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं।

राशन कार्डों पर सवालिया निशान

खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत विभाग द्वारा बनाए गए राशन कार्डों पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं। लोगों ने दावा किया ऐसे लोगों का भी राशनकार्ड बना दिया गया है जिन्हे इसकी जरुरत ही नहीं थी। वे राशन दुकान से मिलने वाले शक्कर, चना और अन्य सामग्री का उपयोग तो जरूर कर रहे हैं लेकिन चावल को सीधे दुकानदारों को बेचकर फायदा उठा रहे हैं। दूसरी तरफ प्रदेश में कुछ ऐसे परिवार भी है ऐसे हैं जिनके पास राशन कार्ड ना होने से महंगे दाम पर चावल खरीदने उनकी मजबूरी बान गई । माना जा रहा है कि ऐसा इस योजना के तहत राशन कार्ड बनाने के दौरान विभाग की अनियमितता के कारण निर्मित हुई है। उच्च अधिकारियों को संज्ञान में लेकर तत्काल इसे रोकना होगा तभी शासन की इस महती योजना का लाभ वास्तविक हक़दार को मिल सकती है।

5.92 लाख राशनकार्डधारी अब भी गायब 

सत्यापन नहीं कराने पर निरस्त होगा राशन कार्ड

सरकार बदलने और आचार संहिता खत्म होने के बाद नए राशन कार्डों का वितरण शुरू हो गया है। लेकिन अब भी प्रदेशभर के 5.92 लाख राशनकार्डधारी गायब हैं। प्रशासन की ओर से बार-बार कहने के बाद भी इन कार्डधारियों ने नए राशन कार्ड के लिए आवेदन ही नहीं किया है। ऐसे में प्रशाासन को बोगस कार्ड की आशंका भी दिखाई दे रही है। वहीं, इस बात की संभावनाओं से भी इनकार नहीं किया जा सकता, कि सक्षम परिवारों ने किसी न किसी तरह गरीबी रेखा का कार्ड बना रखा था, अब पोल खुलने की डर से आवेदन नहीं कर रहे हैं। दरअसल, छह माह से राशन कार्ड सत्यापन की प्रक्रिया चल रही है। इसके बाद भी लोग आवेदन नहीं कर रहे हैं। ऐसे लोगों का राशनकार्ड ब्लाक हो सकता है। एक बार कार्ड ब्लाक होने के बाद जब तक लोग सत्यापन नहीं करते तब तक उनका राशनकार्ड शुरू नहीं होगा। गौरतलब है कि प्रदेश भर में 76 लाख 83 हजार 426 कार्डधारी हैं। जिनमें से 5 लाख 92 हजार 691 ने आवेदन नहीं किया है। 70 लाख 12 हजार 575 कार्डधारियों का कार्ड प्रिंट हो गया है। पूरे प्रदेश में अभी तक 92.29 प्रतिशत कार्डधारियों का सत्यापन हुआ है।

रायपुर में 84 प्रतिशत का हो गया सत्यापन: राशन कार्ड नवीनीकरण के लिए अंतिम 30 जून तय की गई है। अब तक भी रायपुर के 6 लाख 01 हजार 735 में से 92 हजार 687 कार्डधारियों का अता-पता नहीं है। अभी तक जिले में 84.6 प्रतिशत कार्डधारियों ने सत्यापन कराया है। ऐसे में अब ये अपात्र मान लिए जाएंगे। इन्हें सरकारी राशन मिलना भी बंद हो जाएगा। ग्रामीण इलाकों में स्थिति ज्यादा बेहतर: आवेदन जमा नहीं करने की स्थिति वाले इलाकों पर गौर करें तो सबसे बुरी स्थिति नगरीय निकाय की है। यहां 78.15 फीसदी आवेदन प्राप्त हुए हैं। जबकि ग्रामीण इलाकों में 92 प्रतिशत सत्यापन हो चुका है। राशनकार्ड नवीनीकरण के लिए प्रचार-प्रसार के अलावा मुनादी भी कराई जा रही है। इसके बाद भी करीब लाखों परिवारों ने नवीनीकरण के लिए आवेदन नहीं किया। रायपुर खाद्य नियंत्रक भूपेंद्र मिश्रा ने कहा, जिले में राशनकार्ड के सत्यापन की गति में तेजी लाने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। लोग खुद भी एप के माध्यम से सत्यापन कर सकते हैं, दुकानों में जाकर भी आसानी से सत्यापन कराया जा सकता है। अभी कार्ड ब्लाक करने के संबंध में कोई निर्देश नहीं मिले हैं।

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