Anganwadi बच्चों के पालक बनेेगें परवरिश के चौंपियन

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Update: 2024-06-15 18:20 GMT
Jashpur. जशपुर। कलेक्टर मित्तल के मार्गदर्शन में यूनिसेफ के सहयोग से जशपुर के आंगनबाड़ी केन्द्रों में प्रवेशित 0-6 वर्ष के बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए रेस्पोंसिव पेरेटिंग पर एक दिवसीय वर्कशाप संकल्प शिक्षण संस्थान जशपुर में आयोजित हुआ। इस कार्यक्रम को ‘‘परवरिश के चौंपियन’’ नाम दिया गया है। सीईओ अभिषेक कुमार समापन कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। सीईओ अभिषेक कुमार ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे जिले की महिला बाल विकास की टीम बहुत अच्छी है। एसटी बाहुल्य इस क्षेत्र में हम बच्चों के बेहतर जीवन के लिए आवश्यक सभी गुणों का विकास अवश्य करायेंगें। इसमें सीडीपीओ और सुपरवाइजर्स की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। आने वाले समय में आप सभी स्रोत प्रशिक्षक के रूप में कार्य करते हुए सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को अच्छी तरह प्रशिक्षित करेेेगे। जिला प्रशासन की ओर से उन्होंने यूनिसेफ और विक्रमशीला एजुकेशन रिसर्च सोसाइटी को धन्यवाद भी दिया। यूनिसेफ की कंसल्टेन्ट व ट्रेनर गार्गी परदेशी और विक्रमशीला के राज्य प्रबंधक रविंद्र यादव ने 125 सुपरवाईजर और परियोजना अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान किया । कार्यक्रम का उदघाटन यूनिसेफ कंसल्टेंट रंजू मिश्रा, डिप्टी कलेक्टर विश्वास राव मस्के, जिला कार्यक्रम अधिकारी विद्याधर पटेल, नोडल अधिकारी यशस्वी
जशपुर विनोद कुमार गुप्ता की उपस्थिति में हुआ।
गार्गी परदेशी ने कहा है कि 0-6 वर्ष की आयु किसी बच्चे के जीवन का महत्वपूर्ण चरण होता है। कलेक्टर रवि मित्तल और जिला प्रशासन को इन बच्चों के लिए यह कार्यक्रम आयोजन कराने के लिए मैं धन्यवाद देती हूँ। जशपुर को यूनिसेफ रोल मॉडल के रूप मे विकसित करना चाहती हैं। शिक्षा के क्षेत्र में जशपुर हमेशा आगे रहा है, मेरा ऐसा विश्वास है कि बच्चों की बेहतर परवरिश में भी जशपुर आगे ही रहेगा। ट्रेनर गार्गी परदेशी और रविन्द्र यादव ने प्रशिक्षण में 0-6 आयु वर्ग के बच्चों की परवरिश कैसे करें ? पालक सत्र का आयोजन कैसे किया जाना है के विषय में बताया है। प्रशिक्षार्थियों को विभिन्न एक्टिविटीज के माध्यम से रोल प्ले भी कराया गया। 0-6 वर्ष आयु के बच्चों के परवरिश में निवेश उनके बेहतर शिक्षा के लिए आवश्यक होती है। इस उम्र में संवेदनशील परवरिश प्रत्येक बच्चे की जरूरत होती है। विगत माह जिले के सभी परियोजना अधिकारी और सुपरवाईजर्स ने गार्गी परदेशी के मार्गदर्शन में आयोजित वर्चुवल मिटिंग के माध्यम से नवांकुर ऑनलाईन कोर्स भी किया है। यशस्वी जशपुर के नोडल अधिकारी विनोद गुप्ता ने प्रशिक्षार्थियों को संबाधित करते हुए कहा कि बच्चे आंगनबाड़ी केन्द्रों से अधिक समय पालको के साथ रहते हैं। इसलिए श्रेष्ठ पालकत्व की आवश्यकता हैं। इसमें जीरो थप्पड का कांन्सेप्ट शामिल किया जाना चाहिए। जीरो थप्पड का अर्थ ऐसी परिस्थितियाँ निर्मित करने से हैं, जिसमें पालको से अपने बच्चों को डांटने या मारने से बचना चाहिए। कार्यक्रम में यशस्वी जशपुर के अवनीश पाण्डेय, विक्रमशीला से स्रोत प्रशिक्षक योगेन्द्र जैन और जगत मल्होत्रा भी सम्मिलित रहे।
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