मां-बाप और परिवार को सचेत होने की जरूरत, मां सोचती रही बेटा कर रहा ऑनलाइन पढ़ाई, लेकिन दोस्त से कर्ज लेकर खेलता रहा गेम
घर-घर की यही कहानी...
रायगढ़: ये खबर इसलिए डरावनी है, क्योंकि यह हर घर-परिवार से जुड़ी हो सकती है। बच्चों के हाथ में मोबाइल का असर कितना खतरनाक हो सकता है, ये उसे भी दर्शाती है। रायगढ़ में एक 17 साल का नाबालिग पिछले एक साल से पढ़ाई-लिखाई की बजाय ऑनलाइन गेम फ्री फायर खेल रहा था। पिता जम्मू-कश्मीर में काम करते हैं और मां को मोबाइल के बारे में उतनी जानकारी नहीं।
सभी को लगता रहा कि बच्चा ऑनलाइन पढ़ाई कर रहा है, क्योंकि पिछले साल स्कूल के सत्र ऑनलाइन लगे। इधर, बच्चा गेम में इतना डूब गया कि कर्ज लेने लगा। 75 हजार रुपए कर्ज नहीं चुकाने पर कर्जदाता ने नाबालिग को शराब पिलाई और गले पर ब्लेड चलाकर मार डाला। पुलिस ने हत्यारे को गिरफ्तार कर लिया है। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक घटना कोसीर थाना क्षेत्र की है। 10 मार्च को दोपहर लक्षेंद्र खूंटे पिता जनकराम घर से बिना बताए निकला था। वह 17 साल का था।
आखिरी बार वह 25 साल के उसके पड़ोसी चवन खूंटे के साथ निकला था। लक्षेंद्र के मोबाइल से चवन खूंटे के मोबाइल पर एक मैसेज आया कि लक्षेंद्र का अपहरण हो गया है और पांच लाख देने पर उसे छोड़ेंगे। पुलिस को यह बात बताई गई। पुलिस ने जब सारे सीसीटीवी फुटेज खंगाले तो आखिरी बार लक्षेंद्र चवन के साथ ही दिखा।
इससे पुलिस का शक चवन पर गया। पुलिस ने जोर डाला तो चवन ने सच कबूल कर लिया कि उसी ने लक्षेंद्र की हत्या कर दी थी और हत्या के बाद लाश छिपा दी थी। चवन बताया कि लक्षेंद्र को गेम खेलने की बुरी लत लग गई थी। वह दिनभर गेम खेलता रहता था।
इसके लिए पिछले एक साल से वह पैसे ले रहा था। रकम करीब 75 हजार रुपए की हो गई थी और जब भी उससे पैसा मांगता, टाल देता। 10 मार्च को दोनों ने जमकर शराब पी। शराब के नशे में ही उसने पैसे की मांग की। लक्षेंद्र ने पैसे देने से इंकार किया तो चवन ने गुस्से में आकर ब्लेड से उसका गला काट डाला। उसी समय उसकी मौत हो गई। इसके बाद चवन ने कहानी बनाने की सोची लेकिन पकड़ा गया।
पिता जम्मू में काम करते हैं
लक्षेंद्र के पिता जम्मू में काम करते हैं। यहां वह अपनी मां के साथ रहता था। मां बहुत ज्यादा मोबाइल के बारे में नहीं जानती। मां को लगता कि बच्चा हमेशा मोबाइल में पढ़ाई कर रहा है क्योंकि ऑनलाइन क्लासेस चल रही थीं। ऐसे में वह गेम्स के बारे में न तो समझ सकती थी, न ही सोच सकती थी।
मारने के बाद लाश को छिपाया
लक्षेंद्र को मारने के बाद युवक ने हाथ-पांव बांध दिए। इसके बाद उसने वहीं पैरावट में लाश को छिपा दिया। फिर वह घर वापस आया और लक्षेंद्र के मोबाइल से ही सबको मैसेज करने लगा। इसी तरह वह पुलिस को लगातार गुमराह करता रहा।
चार दिनों तक पुलिस बच्चे को ढूंढने में लगी रही
पुलिस चार दिनों तक बच्चे को जिंदा सोचकर लगातार खोजबीन कर रही थी। आरोपी ने ही अपहरण की कहानी बनाई। पुलिस को शनिवार तक आरोपी पर शक नहीं कर रही थी। लेकिन आरोपी को कस्टडी में रखा गया तो किडनैपर का मैसेज आना बंद हो गया। इसके बाद पुलिस का शक गहरा हुआ।