दंतेवाड़ा। राज्य की महत्वपूर्ण महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क योजना (रीपा) का मूल उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध कच्चे माल यथा कृषि, पशुधन, वनोपज, हस्तकला का प्रसंस्करण स्थानीय स्तर पर किया जाना है और समूहों द्वारा तैयार इस उत्पाद को शहरी क्षेत्रों में सीधे मार्केटिंग किया जाएगा। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर में वृद्धि तो होगी। साथ ही ये उत्पाद,शुद्धता के साथ सस्ते दामों में लोगों के बीच उपलब्ध होगे। पूर्व में ग्राम से कच्चा माल कम कीमत खरीद कर शहर भेजा जाता था। वहां प्रोसेसिंग निजी व्यवस्था द्वारा की जाती थी। जिससे होने वाली आमदनी परिवहन एवं शहरी व्यापारियों के बीच बंट जाती थी। इस प्रकार गांव से ही निकलने वाला कच्चा माल पूनः बढ़ी हुई कीमत के साथ ग्राम पहुंचता था। परंतु रीपा का प्रमुख लक्ष्य इसी व्यवस्था में परिवर्तन लाना है क्योकि अब प्रोसेसिंग, पैकेजिंग तथा मार्केटिंग (रीपा) के माध्यम से ही किये जाएगे।
इस कड़ी में दंतेवाड़ा जिले के विकासखंड कुआकोंडा के ग्राम मैलावाड़ा में 30 महिला स्व सहायता समूह का उल्लेख किया जाना प्रासंगिक होगा। यहां के गंगनादई स्व सहायता समूह के समूह द्वारा अन्य रोजगार गतिविधि के साथ-साथ पेपर कप निर्माण किया जा रहा है। इस संबंध में समूह की महिलाओं ने जानकारी दी कि ग्राम में राजीव युवा गांधी मितान क्लब के 10 सदस्य एवं महिला समूह के 10 सदस्य मिलकर ‘‘गंगनादई समूह‘‘ का गठन किया गया है और वर्तमान में उनके द्वारा पेपर कप निर्माण कार्य का संचालन किया जा रहा है। जिसमें समूहों द्वारा अभी तक 90300 नग पेपर कप का निर्माण कर 51500 नग विक्रय किया गया है। इस प्रकार औद्योगिक पार्क में प्रतिदिन औसत 14 से 15 हजार तक उत्पादन हो रहा है। जिसका प्रति पेपर कप 60 रुपए पैकेट की दर से विक्रय आसपास की दुकानों एवं होटल में कर रहे है। इससे प्रति सदस्य प्रतिदिन 400 रूपए की आय तथा मासिक आमदनी 6 हजार से 9 हजार रुपए तक मिल रही है।
निश्चय ही गौठानों में आकार ले रहे ग्रामीण औद्योगिक पार्क ग्रामीण अर्थ व्यवस्था को बेहतर बनाने का सार्थक पहल है। इसका स्पष्ट नजरिया है कि अगर व्यक्ति को जिंदगी में सफल बनना है, काम करने की ललक होनी चाहिए और यह ललक कदम दर कदम उसे मंजिल तक पहुंचाती है। ग्राम मैलावाड़ा जैसे वनांचल ग्राम की महिलाओं ने काम करने के जुनून चलते पेपर कप उत्पादन में अपने स्वावलंबन का समाधान ढूंढा है वह अन्य ग्रामीणों के लिए प्रेरणा स्त्रोत है।