ड्रग के साथ ऑनलाइन खेलों का नशा सर चढ़ रहा
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। ऑनलाइन गेम्स जैसे रम्मी, पोकर, और अन्य सट्टेबाजी के खेल भारत में काफी लोकप्रिय होते दिख दे रहे हैं. लोग इन गेम्स से पैसे कमाने के सपने देखने लगे गई. कुछ लोग तो अपने जेब से पैसे भी लगाकर सट्टे बजी करते हैं. चौकाने वाली बात ये है की न केवल बढे बल्कि छोटे बच्चे भी आजकल इस गेम के आदी हो चुके हैं.
सब जगह आते हैं ऑनलाइन गैंबलिंग के ऐड
ऑनलाइन गैंबलिंग के एड्कास अब सब जगह देखने को मिलने कगे हैं. टीवी, चैनल, ऐप्स आदि जगहों में इस तरह के खेलों का प्रचार प्रसार आजकल आम तौर पे आने लगे हैं. चर्चित हस्तियां, जो आम लोगों के लिए वास्तविक रोल मॉडल हैं, इन ऑनलाइन सट्टेबाजी साइटों का जोरो शोरो से प्रचार कर रही हैं. सेलेब्रिटी लोगों को अपना पैसा निवेश करने के लिए प्रेरित करते हैं और ऑनलाइन गेम्स के फायदे गिनाते हैं. जनता को लगता है कि वो सच कह रहे हैं लेकिन वास्तविकता में सचाई कुछ और है। आज ऐसे गेम्स (गैंबलिंग) प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कई लोगों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे हैं. लोग ऐसे खेल के द्वारा जुए में अधिक खपत कर रहे हैं। हाल में किये एक सर्वे में ये साब सामने आई है कि ऑनलाइन सट्टेबाजी के खेल युवाओं के लिए सबसे लोकप्रिय और आकर्षक व्यवसायिक विचार बनते जा रहे हैं। बहुत से बेरोजगार लोग पैसा बनाने के लिए कैसीनो, पोकर, रम्मी जैसी चीजों में अपना दिमाग लगा रहे हैं और ऐसी चीजों के आदी हो रहे हैं, जिसमें निवेश करके अपना जीवन, समय और पैसा बर्बाद कर रहे हैं।
बनाते हैं फर्जी आईडी और आयु
इस गेम को खेनेने के लिए लोग फर्आजी आईडी बनाते हैं. कई ऑनलाइन गेम साइट गेम का आयोजन कर रही हैं, इस ऑनलाइन गेम साइट के लिए कानूनी आयु सीमा 18 वर्ष है। साईट पे जाने के लिए झूठी और गलत आयु डालकर भी इस गेम को खलते हैं, लेकिन फर्जी आईडी और आयु सीमा की जांच के लिए ऐसा कोई प्राधिकरण नहीं है।
बच्चों पे हो रहा काफी बुरा असर
ऑनलाइन गैंबलिंग से न केवल बड़े बल्कि बच्चे भी अछूते नहीं रहे. उन्हें भी इन गेम्स की लत लगने लगी है जिसका बुरा प्रभाव उनकी पढाई पे भी देखा जा रहा है. यहाँ तक कि इसका बुरा असर बच्चों की मानसिकता पे पढ़ रहा है. वो पढाई छोड़कर पैसे के पीछे भागने लगे हैं.
लोगों को लालची बना रहा
इन गेम्स से लोगों में लालच बढ़ रहा है. वो ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने के लिए रात दिन गेम्स खेलते रहते हैं. इससे उनके सेहत पे भी बुरा असर पड़ता है. ऑनलाइन गेमिंग साइटों के हालिया सर्वेक्षण के अनुसार एक विशेषज्ञ ने कहा कि 2200 करोड़ रुपये की ऑनलाइन सट्टेबाजी है और सालाना 30त्न के भारी अंतर से बढ़ रही है और 2023 तक 12,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगी।
पैसे की बर्बादी और अपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा
ताजा रिपोर्ट से मालूम होता है लोग ज्यादा पाने के लालच में कितना पैसा बर्बाद कर रहे हैं. ऑनलाइन सट्टे बाजी में पैसा खोने के बाद इस गेम को जारी रखने के लिए चोरी, छिनतई, डकैती, अपहरण और हत्या जैसे अपराध करने के रास्ते पर हैं जिससे नागरिकों में चिंता पैदा हो रही है। हाल ही में एक मामला प्रकाश में आया है जहां एक लड़के ने आत्महत्या कर ली क्योंकि उसने ऑनलाइन जुए के कारण अपनी मां के खाते से 40 हजार रुपये की चोरी कर थी। इसी तरह ऐसे कई और मालमे भी हैं जिन्हें हम दैनिक समाचार पत्रों या लेखों में पढ़ रहे हैं।
सरकार ने हटाये कई ऐप्स
कुछ राज्यों की सरकार भी ऑनलाइन गेमिंग साइटों की गतिविधियों पर नियमित जांच कर रही है. इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने हाल ही में कई ऐप पर प्रतिबंध भी लगा दिया है जो नियमों का पालन नहीं कर रहे थे और जिनमें से कई ये जुए के ऐप्स थे.
ऑनलाइन गेमिंग साइट्स चुराते हैं पर्सनल डाटा
अध्ययनों से पता चला है कि ये एप्लिकेशन कथित तौर पर उपयोगकर्ताओं से व्यक्तिगत डेटा चुराते हैं जो की चिंता का विषय है. कुछ लोगों को इसका एहसास तब तक नहीं होगा जब तक कि बहुत देर न हो जाए। जाहिर है, देखने के लिए एक भी आदर्श उत्तर नहीं है। जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन (जीडीपीआर) के तहत, यूरोप में गेमिंग ऑपरेटरों को यह स्पष्ट करने की आवश्यकता है कि वे कौन सा डेटा एकत्र करते हैं और इसका उपयोग कैसे करते हैं। लेकिन सरकार से ज्यादा लोगों को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि उनके आसपास क्या हो रहा है और क्या सकता है।
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