खुले आसमान के नीचे चल रहा सटोरियों का वन-टू-का फोर
पुलिस की छुटभैया नेताओं से दोस्ती या गुंडे बदमाशों को कानून का भय नहीं
डीजीपी बंगले के पीछे चल रहे सट्टे का भी वीडियो कैमरे में कैद
जसेरि रिपोर्टर/रायपुर। सट्टा चाहे कबूतर पर लगे या नंबर पर है तो सट्टा ही। इसके बुनियादी तौर-तरीके नहीं बदलते। सट्टेबाजों की नजर इतनी पैनी होती है कि उड़ते कबूतर की भी चाल पहचान लेते है, और एक अपनी पुलिस है कि इतनी कमजोर कि हाथ आए कबूतर को भी उड़ा देती है।
दरअसल सट्टेबाजी का इतिहास सदियों पुराना है। अलग-अलग जमाने में सट्टेबाजी की अलग-अलग शक्ल हुआ करती थी। राजधानी में सट्टा अवैध कारोबार है मगर फिर भी ये कारोबार धड़ल्ले से खुले मैदान में चल रहा है। आए दिन पुलिस सटोरियों और जुआरियों पर कड़ी कार्रवाई करती जा रही है। मगर फिर भी सटोरिए खुलेआम सट्टा पट्टी काटते नजऱ आते है। पिछले कुछ दिनों से जनता से रिश्ता के संवाददाता सटोरियों के अड्डों में जाकर उनकी गतिविधियों को अपने कैमरे में कैद कर रहे है। इसी कड़ी में संवाददाता ने मंदिरहसौद थाना क्षेत्र में चल रहे सट्टा कारोबार के अड्डे में कैमरे के साथ पहुचें तो वहां जाकर देखा कि ना तो कोई पेड़ की छाव है और ना ही कोई तंबू या छावनी है सिर्फ खुला मैदान है और उस मैदान में 6 लोग बैठे है और सट्टा पट्टी काट रहे है। सटोरियों से बातचीत में पता चला कि वो कल्याण गेम खिला रहे थे। ये वो लोग है जो खुले आसमान के नीचे बैठकर सट्टा पट्टी काटते है आम लोगों पर तो इनकी नजऱ आसानी से पड़ती है मगर मंदिरहसौद थाना पेट्रोलिंग की नजऱें इस तरफ क्यों नहीं पड़ता ये सोचने वाली बातें है।
खुलेआम मैदान के बीचों बीच खेला जा रहा सट्टा : शहर के साथ-साथ गांवों में भी सट्टा का कारोबार सफेदपोश नेताओं और आस-पास लोगों की मदद से तेजी से फैल रहा है। लोग बेख़ौफ़ होकर अपने काले धंधे का संचालन कर रहे हैं।शहर के कई क्षेत्रों में सट्टे का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। इसके चलते युवा वर्ग बर्बादी की ओर बढ़ रहा है। विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो पूरा मामला जान कर भी स्थानीय पुलिस मौन धारण किये हुए है। पूरे शहर को सट्टे ने अपनी चपेट में ले लिया है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लोग अब खुलेआम सट्टा खेल रहे हैं और उनमें पुलिस का भी कोई डर नहीं नजर आता। वहीं पुलिस भी इस पूरे मामले पर अपनी आंखें मूंदे हुए हैं।
डीजीपी बंगले के पीछे भी चल रहा सट्टा, कार्रवाई के नाम पर ठेंगा
हैरानी की बात ये है कि कुछ दिन पहले ही जनता से रिश्ता के संवाददाता ने डीजीपी बंगले के पीछे चल रहे सट्टे का भी वीडियो अपने कैमरे में कैद किया था मगर फिर भी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई। इन दिनों सट्टे का अवैध कारोबार जोर शोर से चल रहा है। एक रुपए को अस्सी रुपया बनाने के चक्कर में खासकर युवा वर्ग अधिक बर्बाद हो रहे हैं। सट्टे के इस खेल को बढ़ावा देने सटोरी ग्राहकों को मुफ्त में स्कीम देखने सट्टे नंबर वाले चार्ट उपलब्ध करा रहे हैं। इसका गुणा भाग कर ग्राहक सट्टे की चपेट में बुरी तरह से फंस कर पैसा इस अवैध कारोबार में गंवा रहा है। शहर में बढ़ रहे अपराध पर अंकुश लगाने की पुलिस प्रशासन की लाख कोशिशों के बाद भी सट्टा-जुआ, अवैध नशीली दवाओं का कारोबार रुकने का नाम नहीं ले रहा है। राजधानी में पुलिस को गुंडे-बदमाशों के साथ सटोरियों और जुआरियों का फड़ लगाने वालों के साथ इन्हें संरक्षण देने वाले छुटभैया नेताओं से रोज जूझना पड़ता है।
सामान्य तौर पर बड़े पुलिस अधिकारी और पुलिस के पुराने अधिकारी यह मानते है कि सारे अवैध कारोबार के पीछे राजनीतिक संरक्षण देने वालों का हाथ है, जिसके कारण राजधानी में सट्टा-जुआ और नशे के कारोबारियों पर हाथ डालते ही राजनीतिक दबाव बनना शुरू हो जाता है।
पुलिस की नाक के नीचे चल रहा सट्टा
शहर की हर गली, हर मोड़ पर सट्टे का कारोबार चल रहा है। कहीं सीधे तौर पर सट्टे की पर्ची ही खिलाई जाती है तो कहीं ओपन क्लोज पर। ज्यादातर अड्डों पर लाटरी की आड़ में सट्टा खिलाने वाले अब सीधा नंबर निकालते हैं और खेलने वालों को देते हैं। यह सब पुलिस की नाक के नीचे से धड़ल्ले से हो रहा है। सट्टा खिलाने वाले रोजाना लाखों रुपये सरकार को चूना लगा कर कमा रहे हैं। कई पुलिस वालों को हर हफ्ते या हर महीने अच्छी खासी रकम भी इससे मिल रही है।
छुटभैय्या नेताओं का मिलता साथ
सट्टे का कारोबार सिर्फ पुलिस की नाक के नीचे से ही नहीं चल रहा बल्कि इसे राजनीति से जुड़े लोग भी पानी देकर हरा भरा कर रहे हैं। कई छुटभैय्या नेता लोगों का दिखावे का काम तो कोई और होता है लेकिन असल में उनका अवैध शराब, अवैध लाटरी और दड़े-सट्टे का कारोबार होता है। यदि किसी बड़े स्तर पर सट्टा लगाने वालों को पुलिस पकड़ भी लेती है तो सत्ता पर आसीन लोगों के संपर्क में रहने वाले यह छुटभैय्या नेता पुलिस पर दबाव बना कर उनको छुड़वा लेते हैं। मजेदार पहलू तो यह है कि ऐसे सफेदपोश लोगों की जानकारी भी उनके संबंधित थाने की पुलिस के पास होती है। लेकिन वहां पर छुटभैय्या नेताओं के साथ रिश्ते और उनसे मिलने वाले हिस्से के चलते कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
चोरी छिपे खेले जाने वाला सट्टा खुले मैदान में
शहर में कभी चोरी-छिपे चलने वाला सट्टा बाजार आजकल कानून की ढीली पकड़ की वजह से खाईवाल के संरक्षण में खुलेआम संचालित हो रहा है। और वही खुले मैदान में सट्टेबाज ओपन, क्लोज और रनिंग के नाम से चर्चित इस खेल को खिलाते है। जिस प्रकार सब कुछ ओपन हो रहा है उससे यही लगता है कि बड़े खाईवाल को कानून का कोई खौफ नहीं रह गया है। रायपुर क्षेत्र में तो ये चलता ही है आजकल आउटर क्षेत्र में भी इस खेल के बढ़ते कारोबार का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि महिलाएं एवं बच्चे भी दिन-रात अंकों के जाल में उलझे रहते हैं। बड़े खाईवाल के एजेंट जो पट्टी काटते हैं रोज हर गली-मोहल्ले में आसानी से पट्टी काटते नजर आते हैं। इनमें से कुछ आदतन किस्म के लोग रायपुर में खुलेआम पट्टी काटकर और मोबाइल के माध्यम से भी इस अवैध कारोबार को संचालित कर लोगों की गाढ़ी कमाई पर डाका डाल रहे हैं। जिसकी जानकारी शायद पुलिस को छोड़कर सभी को है। सट्टे के हिसाब-किताब की जगह बार-बार बदल कर बड़े खाईवाल अपनी होशियारी का भी परिचय देने की कोशिश करते हैं।