रायपुर। राहुल के सलामती के लिए जहाँ दिन-रात पर दुआओं का दौर चला। वहीं घटनास्थल पर इस ऑपरेशन के पूरा होने तक कलेक्टर जितेंद्र कुमार शुक्ला, पुलिस अधीक्षक विजय अग्रवाल सहित तमाम अफसर रात भर घटनास्थल पर रेस्क्यू पर निगरानी रखे हुए थे। लगभग 105 घण्टे से अधिक समय तक चले इस रेस्क्यू ऑपरेशन में राहुल के सकुशल बाहर आने की घटना किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं थी। कलेक्टर शुक्ला ने कहा कि बोरवेल में फँसे होने की वजह से बालक का रेस्क्यू बहुत ही आसान काम नहीं था। सभी की कोशिश थी कि उन्हें सुरक्षित निकाला जाए। विपरीत परिस्थितियों के कारण जो भी संभव था वह फ़ैसला एनडीआरएफ और परिजनों के साथ मिलकर लिए गए। कलेक्टर ने इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए जिले के अधिकारियों सहित आम नागरिकों से भी अपील की है कि किसी भी स्थान पर बोरवेल को खुला न रखे। अपने छोटे बच्चों को ऐसे स्थानों पर कतई न जाने दें और स्वयं भी अपने बच्चों को निगरानी में रखे।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जांजगीर में बोरवेल में गिरे बच्चे के लिए बेहद चिंतित रहे। यही वजह है कि वे लगातार रेस्क्यू का अपडेट लेते रहे। उन्होंने राहुल को सकुशल बाहर निकालने के निर्देश दिए थे। उन्होंने वीडियो कॉल कर राहुल के पिता और माता से भी बात की थी। उन्होंने राहुल को बाहर निकालने के लिए हरसंभव मदद का आवश्वासन दिया था। मुख्यमंत्री के निर्देश पर ही राज्य स्तर पर वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा सम्पूर्ण घटनाक्रम की निगरानी रखी जा रही थी।
बोरवेल में फंसे राहुल को बचाने के लिए रेस्क्यू दल ने हर बार कड़ी चुनातियों का सामना किया। राहुल के रेस्क्यू में बड़े-बड़े चट्टान बाधा बनकर रोड़ा अटकाते रहे, इस बीच रेस्क्यू टीम को हर बार अपना प्लान बदलने के साथ नई-नई चुनौतियों से जूझना पड़ा। मशीनें बदलनी पड़ी। 65 फीट नीचे गहराई में जाकर होरिजेंटल सुरंग तैयार करने और राहुल तक पहुँचने में सिर्फ चट्टानों की वजह से ही 4 दिन लग गए। रेस्क्यू टीम को भारी गर्मी और उमस के बीच झुककर, लेटकर टार्च की रोशनी में भी काम करना पड़ा। इसके बावजूद अभियान न तो खत्म हुआ और न ही जीवन और मौत के बीच संघर्ष कर रहे राहुल ने हार मानी।