पत्नी की याचिका पर हाईकोर्ट ने शराबी पति को लगाई फटकार

छग

Update: 2023-08-01 04:21 GMT

बिलासपुर। अधिक शराब पीकर पत्नी और बच्चों के प्रति जिम्मेदारी नहीं निभाना और परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के लिए पति जिम्मेदार है। यह पत्नी और बच्चों के प्रति क्रूरता है। जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस संजय एस अग्रवाल की बेंच ने फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ पत्नी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की है। हाई कोर्ट ने रायगढ़ फैमिली कोर्ट के आदेश को निरस्त करते हुए पत्नी के पक्ष में विवाह विच्छेद की डिक्री मंजूर की है। साथ ही, पत्नी की आय का कोई साधन नहीं होने के कारण पति को उसके और बच्चों के भरण पोषण के तौर पर हर माह 15 हजार रुपए देने के आदेश दिए हैं। रायगढ़ में रहने वाली महिला की शादी दुर्ग के उमेश शर्मा से वर्ष 2006 में हुई थी। शादी के बाद उनके बेटे और बेटी हुई। पति को शराब पीने की आदत थी।

अधिक शराब पीकर वह पत्नी से मारपीट करता था और शराब के लिए घर का सामान बेच देता था। वह कोई काम भी नहीं करता था। यहां तक कि घर की जिम्मेदारियां भी नहीं निभाता था। बच्चों के स्कूल की फीस भी जमा नहीं हो पाती थी। अधिक शराब के नशे में 26 मई 2016 को उसने पत्नी और बच्चों से मारपीट और गाली गलौज की, जिससे परेशान होकर महिला अपने मायके चली गई थी।

महिला ने आखिरकार फैमिली कोर्ट में तलाक के लिए केस लगाया। इसमें पति की क्रूरता के आधार पर तलाक की मांग की गई थी। रायगढ़ के फैमिली कोर्ट ने 30 अक्टूबर 2021 को आवेदन खारिज कर दिया। महिला ने कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी। इस पर जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस संजय एस अग्रवाल की बेंच में सुनवाई हुई।

हाई कोर्ट ने पत्नी की अर्जी मंजूर करते हुए रायगढ़ के फैमिली कोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया है। हाई कोर्ट ने फैसले में कहा है कि शादी के बाद पति और पिता की जिम्मेदारी निभाने से नहीं बच सकता, खासकर जब पत्नी कामकाजी न हो। जिम्मेदारी नहीं निभाना और इस वजह से परिवार का आर्थिक परेशानियों से गुजरना निश्चित रूप से पत्नी और बच्चों के प्रति क्रूरता है।

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